इंदौर। महू शहर में इन दिनों एक बड़ा धार्मिक उत्सव चल रहा है। यह उत्सव शहर की पुरानी पवित्र पहचान को एक नए रंग में रंगने का है। शहर में 140 साल पुराने गोपाल मंदिर को दोबारा बनाने का काम पिछले करीब 3 सालों से जारी था और अब भगवान गोपाल जी इस नए भव्य मंदिर में स्थापित हो रहे हैं। भगवान के अपने घर को लौटकर जाने का यह समय शहर में उत्सव की तरह मनाया जा रहा है।
शुक्रवार को भगवान गोपाल जी महाराज ने नगर में पहली बार भ्रमण किया। उन्हें फूलों से सजी रथ में बैठा कर भ्रमण कराया गया जहां उनके दर्शन के लिए लोगों से पटी रहीं। गोपाल जी के रथ के साथ चलने वाली शोभायात्रा करीब 1 किलोमीटर लंबी थी।
शहर भर में कई स्थानों पर भगवान के स्वागत के लिए तोरण द्वार बनाए गए थे। जहां बड़ी संख्या में लोगों ने भगवान पर फूल बरसाए। इस दौरान दुनिया भर में कृष्ण भक्ति को प्रचारित करने वाली इस्कॉन सोसायटी यानी अंतर्राष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ के भक्तों की भी उपस्थिति रही जिन्होंने शोभायात्रा मार्ग में हरे कृष्ण महामंत्र का संकीर्तन किया।
इस आयोजन में शहर की महिलाओं ने उत्साह के साथ भाग लिया। इस उत्सव के दौरान भजन संध्या, हवन यज्ञ के अलावा अन्य धर्म में लगातार किए जा रहे हैं।
समारोह के बाद इस मंदिर को भक्तों के लिए खोल दिया जाएगा। शनिवार को महेश्वरी विद्यालय परिसर में प्रसादी वितरण का आयोजन किया जाएगा। जिसमें हजारों की संख्या में भक्त शामिल होंगे।
इस आयोजन के लिए शहर में प्रशासन द्वारा विशेष व्यवस्था की गई थी। छावनी परिषद द्वारा शोभा यात्रा के आयोजन से पूरे मार्ग को धोया जा रहा था जबकि भक्त झाड़ू लगाकर मार्ग को साफ कर रहे थे। शोभायात्रा में सौ से अधिक दलों के नेता, कार्यकर्ताओं के साथ सामाजिक संस्थाओं के सदस्य शामिल हुए।
मंदिर में गोपाल जी का प्रवेश शहर के लिए एक बड़ा धार्मिक उत्सव है। जिसमें हजारों की संख्या में लोग भाग ले रहे हैं। मंदिर के जीर्णोद्धार में करीब चार करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं।
गोपाल मंदिर महू शहर की संस्कृति की भी एक पहचान रहा है। इस मंदिर में देश-विदेश से लोग आकर दर्शन करते रहे हैं। संत महात्मा इस मंदिर को दिव्य स्थान के रूप में देखते हैं।
श्रद्धालुओं की अधिक संख्या होने के कारण पुराने मंदिर में व्यवस्थाएं अक्सर बिगड़ जाती थी जिसके बाद नए मंदिर की जरूरत महसूस होने लगी थी।
गोपाल जी महाराज का नया मंदिर बेहद भव्य बनाया गया है इसमें सफेद संगमरमर का इस्तेमाल किया गया है। आसपास की कई लोग इस मंदिर को देखने के लिए अभी से महू आने शुरू हो चुके हैं। ऐसे में भविष्य में इस मंदिर में बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या लगातार बढ़ेगी।