महू। रोजगार की तलाश में सैकडों किलोमीटर दूर आए उत्तर भारतीय परिवारों के लिए छठ पर्व पर प्रदेश के संस्कृति विभाग ने एक विशेष सौगात दी, जिसमें रात और सुबह लोक गायिका मालिनी अवस्थी और नीतू कुमारी को आमंत्रित किया गया जिन्होंने छठ पर पारंपरिक गीत सुनाकर समां बांध दिया। क्षेत्र में पहली बार हुए इस प्रकार के आयोजन को देखने व सुनने के लिए हजारों की संख्या में समाजजन मौजूद रहे।
दस नवंबर की शाम और ग्यारह नवंबर की अलसुबह महूगांव नगर परिषद के काकड़पुरा तालाब पर छठ मनाने वाले उत्तर भारतीय परिवारों को सैलाब छठ पूजा के लिए उमड़ा।
प्रदेश की संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर ने पद्मश्री गायिका मालिनी अवस्थी को इस कार्यक्रम में प्रस्तुति देने के लिए आमंत्रित किया। दस नवंबर को देर रात तक अवस्थी ने गीतों की प्रस्तुति दी। जिन्हें सुनने के लिए महू के अलावा पीथमपुर, इंदौर, धार से भी लोग पहुंचे थे।
ग्यारह नवंबर की सुबह गायिका नीतू कुमारी नूतन ने भोजपुरी गीतों व भजनों की शानदार प्रस्तुतियां दी। इन दोनों कलाकारों ने अपील की कि उत्तर भारत से आए परिवार के सदस्य जहां भी रहे वहां अपनी संस्कृति व संस्कार को ना भूलें। छठ पर्व उसी उत्साह से मनाएं जिस उत्साह से अपने घरों पर मनाते थे पूरा भारत उनका है।
दस नवंबर को डूबते सूर्य तथा ग्यारह नवंबर को उगते सूर्य का अर्घ्य देकर पूजा अर्चना की गई। यह पहली बार है जब इस कार्यक्रम को इस बड़े पैमाने पर मनाया जा रहा है। महू और पीथमपुर क्षेत्र में छठ मनाने वाले पूर्वांचल के मूल निवासियों की काफी अधिक संख्या है।
ऐसे में स्थानीय विधायक और सरकार में पर्यटन एवं संस्कृति मंत्रालय की मंत्री उषा ठाकुर ने इस बार इस समारोह को बड़े पैमाने पर मनाने की सोची। हालांकि स्थानीय भाजपा नेता रामकिशोर शुक्ला इस कार्यक्रम का विस्तार करते आ रहे हैं और इस बार उन्होंने यह प्रस्ताव मंत्री ठाकुर को दिया जो उन्होंने मान लिया। माना जा रहा है कि अब हर साल छठ पर्व को इसी तरह मनाने की तैयारी की जाएगी।
इन आयोजनों में मंत्री उषा ठाकुर तो मौजूद नहीं रहीं हालांकि उनके प्रतिनिधि के रुप में स्थानीय भाजपा रामकिशोर शुक्ला यहां व्यवस्था संभाले रहे।
ज़ाहिर था कि इलाके में पहली बार हुए इस आयोजन के बाद लोग भी खुश थे। कार्यक्रम में पहुंचे लोगों ने बताया कि उन्हें इस बार बिल्कुल भी नहीं लगा कि वे छठ अपने गांव-शहर से दूर मना रहे हैं क्योंकि इस बार का माहौल पूरी तरह वैसा हीथा जैसा इस पर्व के दौरान उनके गांव-कस्बों और शहरों का होता है।