अजनार नदी में प्रदूषण को लेकर प्रदर्शन करने वाले 500 प्रदर्शनकारियों के खिलाफ एफआईआर


इंदौर में थाना घेरने पर 500 लोगों पर दर्ज हुई एफआईआर। अजनार नदी में प्रदूषण को लेकर रविवार को हुआ था बड़ा प्रदर्शन। पुलिस ने कोरोना का हवाला देकर समझाया था, लेकिन नहीं माने थे प्रदर्शनकारी।


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इन्दौर Published On :
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इंदौर। महू तहसील के मानपुर क्षेत्र में बहने वाली पहाड़ी नदी अजनार में प्रदूषण को लेकर मानपुर क्षेत्र की कालिकिराय पंचायत में रविवार को बड़ा प्रदर्शन हुआ। इस मामले में अब पुलिस ने थाने पर जमा हुए 500 लोगों के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है।

पुलिस सूत्रों के मुताबिक, पुलिस ने वहां मौजूद प्रदर्शनकारियों को कोरोना संक्रमण का हवाला देते हुए कोरोना गाइडलाइन का पालन करने की समझाइश भी दी थी, लेकिन वे लोग नहीं माने। उन पर आरोप है कि वो बिना मास्क के आए थे और प्रदर्शन की अनुमति भी नहीं ली गई थी।

प्रदर्शनकारियों ने पहले मली गांव में अजनार नदी के किनारे और बाद में मानपुर थाने पर जाकर प्रदर्शन किया। इसके बाद जयस अधिवासी संगठन के कार्यकर्ताओं ने मानपुर हाइवे पर आकर प्रदर्शन किया था।

इस विरोध प्रदर्शन में सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर, महेंद्र सिंह कन्नौज, डॉ. आनंद राय, विधायक पांचीलाल मेढ़ा, अंतिम मुजाल्दे, सीमा वास्केल सहित इंदौर, उज्जैन व देवास आदि संभागों से आए आदिवासी समाज के लोग और महाराष्ट्र व गुजरात के सामाजिक कार्यकर्ता शामिल थे।

प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि प्रशासन और पुलिस दोनों ही अजनार नदी में जहरीला रसायन छोड़ने वाले असली आरोपियों को बचाने का काम कर रहे हैं।

कार्यकर्ताओं व स्थानीय आदिवासियों द्वारा एसपी महेशचंद्र जैन से मानपुर थाने के प्रभारी हितेंद्र सिंह राठौर के खिलाफ भी शिकायत की गई।

स्थानीय आदिवासियों ने एसपी को दी गई अपनी शिकायत में बताया कि टीआई ने इस मामले के असली आरोपियों को बचाने के लिए पूरी रूपरेखा बनाई है क्योंकि वे इस इलाके के समृद्ध उद्यमी हैं।

एसपी जैन इस शिकायत पर गंभीर नजर आए और उन्होंने सार्वजनिक तौर पर टीआई को हटाने की बात कही। इसके अलावा अगले कुछ दिनों में मामले के असली आरोपियों पर कार्रवाई करने का आश्वासन दिया।

यह है पूरा मामला –

क्षेत्र की कालीकिराय पंचायत के तहत आने वाले मली गांव में बहने वाली अजनार नदी को लेकर करीब महीने भर से मुद्दा गर्म है। इस नदी के किनारे कुछ लोगों ने जहरीले रसायनों का अपशिष्ट छोड़ दिया था जिसके बाद नदी गंभीर रुप से प्रदूषित हो गई और इसका पानी जहरीला हो गया।

इससे नदी में मछलियां और दूसरे जीव तो मरे ही आसपास की वनस्पति को भी नुकसान हुआ। गांव में रहने वाले चालीस आदिवासी परिवारों पर भी इसका असर हुआ।

उनके नलकूप प्रदूषित हो गए और नदी का पानी पीने वाले उनके मवेशी मर गए जिसके बाद गांव के आदिवासी लगातार दोषियों पर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। उनका आरोप है कि पुलिस और प्रशासन असली दोषियों को बचा रहे हैं क्योंकि वे क्षेत्र के रसूखदार लोग हैं और उन्हें राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है।


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