भोपाल। खासगी ट्रस्ट की संपत्ति में पिछले काफी समय से अनियमितताओं की शिकायत आ रही थी। इसके बाद अब सरका ने आर्थिक अपराध शाखा यानी ईओडब्लू को इसकी जांच करने का जिम्मा सौंपा है। इस मामले में हाईकोर्ट की इंदौर बेंच के फैसले के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने यह निर्णय लिया है।
हाईकोर्ट के द्वारा इन संपत्तियों को बेचे जाने के लिए बनाई गई सप्लीमेंट्री डीड को शून्य घोषित कर दिया है। एक उच्चस्तरीय बैठक में मुख्यमंत्री ने ट्रस्ट और इससे जुड़ी संपत्तियों के बारे मं पूरी जांच करने के लिए कहा है। इसके साथ ही राजस्व विभाग की अलग से समिति गठित की जाएगी, जो इन परिसंपत्तियों से जुड़ी भूमि का रखरखाव और निगरानी करेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि हर स्थिति में संपत्तियों को वापस लिया जाएगा।
खासगी ट्रस्ट इंदौर के होल्कर राजवंश से संबंधित संपत्तियों की देखभाल करता है। यह संपत्तियां देशभर में फैली हैं और इनकी संख्या 250 से भी अधिक है। इनमें 138 मंदिर, 18 धर्मशालाएं, 34 घाट, 12 छतरियां शामिल हैं। यह संपत्तियां अरबों रुपयों की कीमत की हैं। जिन्हें बेहद कम कीमत पर बेचा गया।
आरोप है कि पिछले करीब चार दशकों से ट्रस्ट यह संपत्तियां लगाकार बेच रहा है और इस दौरान कई महत्वपूर्ण संपत्तियों पर कब्जे हो चुके हैं। हालही में वाराणसी में देवी अहिल्या द्वारा बनवाए गए घाटों और दूसरी संपत्ती को भी ट्रस्ट से जुड़े लोगों के द्वारा बेचने का प्रयास किया गया था।
देशभर में खासगी ट्रस्ट की संपत्तियों को वापस लेने के लिए मुख्यमंत्री ने स्पेशल पुलिस स्क्वॉड बनाने की बात कही है। वहीं इन संपत्तियों से जो आय होती है, वह शासन के पास जमा होती है।
इंदौर कमिश्नर डॉ. पवन शर्मा ने कहा है कि अब जब हाईकोर्ट का फैसला आ चुका है तो खासगी ट्रस्ट से जुड़ी सभी संपत्तियों का सर्वे कराया जाएगा। प्रशासनिक योजना के मुताबिक इसके बाद इस सर्वे के बाद ट्रस्ट की सभी संपत्तियों की जानाकरी सामने आ जाएगी और फिर इनका भौतिक सत्यापन होगा।
बताया जाता है कि ट्रस्ट की पहली संपत्ती साल 1983-84 में पुष्कर में बेची गई थी। मुख्यमंत्री के निर्देश मिलते ही ईओडब्लू भोपाल ने इस मामले में प्राथमिकी दर्ज कर ली है।