बिजली विभाग के इंजीनियर बंद करने जा रहे हैं काम, बिजली कंपनियों के राजस्व में बड़े नुकसान की आशंका


इंजीनियरों ने राजस्व वसूली रोकने का फैसला किया है, इसके तहत दीपावली के लक्ष्य पूरे नहीं हो पाएंगे


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इन्दौर Published On :

इंदौर। धनतेरस को लोगों के घरों में शायद अंधेरा भी हो सकता है। इसकी वजह है मध्य प्रदेश में बिजली विभाग के इंजीनियर, जो कि धनतेरस से काम बंद करने जा रहे हैं। दरअसल ये कर्मचारी अपनी सात सूत्री मांगों को लेकर पिछले एक महीने से आंदोलन पर हैं और अब इनके आंदोलन का पांचवा चरण शुरु होने जा रहा है।

सितंबर में आंदोलन शुरु होने के समय ही इन्होंने पांचवें चरण तक मांगें न माने जाने पर काम बंद करने की घोषणा की थी। अब ये इंजीनियर राजस्व वसूली बंद करने जा रहे हैं और अगर ऐसा हुआ तो प्रदेश की बिजली कंपनियों के राजस्व लक्ष्य अधूरे रह जाएंगे।अगर इन्होंने काम बंद किया तो करीब पांच सौ करोड़ रुपये के नुकसान की आशंका है।

सरकार से ये कर्मचारी प्रदर्शनकारी सालों से रुके प्रमोशन बहाल करने की मांग के साथ ही समान काम और समान पदनाम जैसी मांगे कर रहे हैं।  इनके संगठन के अनुसार मांगों के पूरा करने पर शासन पर कोई अधिक वित्तीय भार भी नहीं आना है लेकिन बावजूद सरकार इनकी मांगें नहीं मान रही है।

मध्य प्रदेश विद्युत मंडल पत्रोपाधि अभियंता संघ के बैनर तले पूरे प्रदेश के सभी बिजली कंपनियों के कनिष्ठ एवं सहायक यंत्री महीनेभर से आंदोलन कर रहे हैं। इन्होंने अपनी सात सूत्रीय मांगें सरकार को काफी पहले बता दी हैं लेकिन लगातार जवाब न मिलने के कारण अब ये आंदोलन कर रहे हैं।

आंदोलन के पहले चरण में सभी बिजली कंपनियों के सर्कल मुख्यालय पर प्रदर्शन कर ऊर्जा सचिव को ज्ञापन दिया था। इसके बाद दूसरे चरण में 23 सितंबर को सभी बिजली कंपनियों के मुख्य अभियंता स्तर पर ऊर्जा मंत्री को ज्ञापन दिया गया। 10 अक्टूबर 2022 को सभी कंपनी मुख्यालय पर हजारों की संख्या में उपस्थित होकर आम सभा के माध्यम से प्रदेश के मुखिया मुख्यमंत्री को 7 सूत्री मांगों के निराकरण हेतु ज्ञापन दिया।

मांगों पर कोई सकारात्मक जवाब न मिलने के कारण प्रदेश के सभी सहायक एवं कनिष्ठ यंत्री आंदोलन के चौथे चरण के तहत 14 अक्टूबर से वर्क टू रूल पर चले गए। इंजीनियरों ने राजस्व वसूली के काम बंद कर दिए हैं। दीवाली से पहले कंपनी के दिए लक्ष्यों को पूरा करने से भी इंजीनियरों ने इनकार कर दिया है। ऐसे में अनुमान लगाया गया है कि 2 दिनों में तीनों बिजली कंपनियों को अभी तक 100 करोड़ से अधिक का राजस्व नुकसान होने का अनुमान है।

यदि इसी प्रकार बिजली कंपनी एवं शासन के द्वारा पहल करते हुए मांगों के निराकरण हेतु सकारात्मक कदम नहीं उठाया गया तो प्रदेश की बिजली कंपनियों को 500 करोड़ से अधिक का राजस्व नुकसान का अनुमान है। अब इंजीनियरों ने आंदोलन के पांचवे चरण में कार्य बहिष्कार की घोषणा की है। धनतेरस से वे काम पूरी तरह ठप कर देंगे।

 


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