सालगिरह के बहाने शुरु हुई चुनावी चाल, भीड़ से मापी गई मज़बूती


अंतर सिंह दरबार ने अपना जन्मदिन पहली फरवरी को मनाया तो मंत्री उषा ठाकुर ने दो दिन बाद तीन फरवरी को


अरूण सोलंकी
इन्दौर Published On :

इंदौर। साल 2023 के साथ प्रदेश में चुनावी मौसम शुरु हो चुका है और इसके लिए तैयारी भी शुरु हो चुकी हैं। महू विधानसभा की तैयारियां भी कुछ खास दिखाई दे रहीं हैं जहां नज़र आ रहा है कि चुनावी तैयारियां नेताओं ने अपने जन्मदिन के साथ शुरु की हैं। सालगिरह के जश्नों में भीड़ के हिसाब से नेताओं की मज़बूती मापी जा रही है हालांकि जमीनी काम करने वाले मानते हैं कि असली लड़ाई ज़मीन पर ही होनी है।

कांग्रेस के अंतर सिंह दरबार ने अपना 68 वां जन्मदिन एक फरवरी को मनाया तो मंत्री उषा ठाकुर ने अपना 57वी सालगिरह ठीक दो दिन बाद। दरबार ने जहां अपने साथी कांग्रेसियों को समेटने का काम किया तो मंत्री ठाकुर ने अपने मौजूदा रुत्बे को दिखाया और भाजपा संगठन उनके लिए मददगार रहा। चार साल पहले उषा ठाकुर ने अंतर सिंह दरबार को चुनाव हराया था जिसके बाद उन्होंने दरबार से कभी कोई औपचारिक मुलाकात भी नहीं की। इन दोनों नेताओं को इनके जन्मदिन की तारीख़ ही करीब लाती है। इसके अलावा विपक्ष में बैठे अंतर सिंह दरबार अक्सर मंत्री उषा ठाकुर के खिलाफ मोर्चा खोलते रहते हैं लेकिन मंत्री ठाकुर की राजनीति महू में उनके पार्टी के अंदरुनी मामलों तक ही सीमित रही है।

एक उम्र जी चुके लेकिन जनता के अब भी लाडले बने इन नेताओं के लिए यह जन्मदिन बेहद खास थे क्योंकि इनमें चुनावी रणनीति की औपचारिक शुरुआत भी हुई थी। चुनावी साल में यह उनके निजी रुप से करीबी कार्यकर्ताओं की संख्या देखने के लिए सबसे बेहतर आयोजन था। दोनों ही नेताओं ने यहां एक तरह से अपनी ताकत देखी और दिखाई भी।

 

महू विधानसभा में दरबार पुराने नेता हैं और उनके पास यहां मजबूत जनसर्मथन है और उनका जन्मदिन पहले भी मनाया जाता रहा है बस इस बार चुनावी साल के चलते कुछ खास रहा वहीं मंत्री उषा ठाकुर महू में नई हैं और इस साल उनके कार्यकाल को 5 साल पूरे हो रहे हैं लेकिन इससे पहले उनका जन्मदिन इस तरह से नहीं मनाया गया। इससे पहले 4 साल तक उन्होंने अपना जन्मदिन एक कॉलोनाइजर के बंगले में कुछ संख्या के कार्यकर्ताओं के साथ ही सीमित रखा।

कांग्रेस नेता अंतर सिंह दरबार का जन्मदिन समारोह

दरबार के जन्मदिन में जहां दो हजार से ज्यादा लोग पहुंचे थे लेकिन फिर भी अपने विरोधी कांग्रेसियों को वे नहीं मना पाए न ही इन विरोधियों ने भी कोई बड़ा दिल दिखाया। दरबार के जन्मदिन के जश्न में एक नई बात ये रही कि वे और उनके करीबी इस बार मीडिया को पहले से ज्यादा महत्व दे रहे थे जो मीडिया वालों ने भी पहले कम ही अनुभव किया था।

वहीं मंत्री उषा ठाकुर के जन्मदिन में इससे दो गुने लोग पहुंचे थे। सत्ता पक्ष की विधायक और सरकार में मंत्री होने के नाते उनके जन्मदिन में यह संख्या दोगुनी थी। उनके करीबियों से लेकर उनसे बैर रखने वाले नेता कार्यकर्ता भी यहां पहुंचे वहीं सरकारी अधिकारी और कर्मचारियों की संख्या भी ठीक-ठाक रही।

मंत्री उषा ठाकुर के जन्मदिन कार्यक्रम की तस्वीर

यहां पहुंचे जिला और जनपद के नेताओं और सरपंचों के बीच मंत्री ठाकुर ने यहां अपने द्वारा किए गए विकास कार्य़ों का बखान भी किया।

मंत्री के कार्यक्रम में सरकारी योजनाओं और विधायक निधि की चर्चा भी खूब की गई, बात केवल बात तक ही न रहे इसलिए पोस्टर भी लगवाए गए

उषा ठाकुर के जन्मदिन में भाजपा के जिला अध्यक्ष राजेश सोनकर ,राम किशोर शुक्ला ,जनपद अध्यक्ष सरदार मालवीय ,भारतीय जनता युवा मोर्चा के जिला अध्यक्ष मनोज ठाकुर ,जैसे बड़े नेता शामिल हुए जबकि भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय इससे दूर रहे। जन्मदिन की यह महफिल पूरी तरह मंत्री के भाई के हाथ में रही। हर बार की तरह यहां मीडियाकर्मियों को तवज्जो दी गई।

 

अब इन दोनों ही जन्मदिन कार्यक्रमों को देखा जाए तो कुछेक बातें बिल्कुल साफ होती हैं, बातें जो आने वाले चुनावों में शायद असर भी दिखाएं। सबसे पहली बात यह है कि जन्मदिन की भीड़ एक लोकप्रिय नेता के तौर पर परखने का पैमाना फिल्हाल नहीं कही जा सकती है क्योंकि एक नेता दो बार विधायक रहकर तीन बार चुनाव हार चुके हैं और दूसरी नेता जो अब मंत्री हैं वे पहली बार जन्मदिन के बहाने खुले तौर पर कार्यकर्ताओं के बीच आईं हैं।

वहीं दूसरी बात यह है कि दोनों ही नेताओं अपने सभी विरोधियों को एक जाजम पर बैठा पाने में नाकाम रहे हैं। मंत्री उषा ठाकुर अपने करीबियों के बीच ही रहीं हैं और कैलाश विजयवर्गीय से अपना बैर पूरी तरह निभाया है। ऐसे में भाजपा के अच्छे नेताओं के मन उनसे नहीं मिलते हैं।

दूसरी ओर अंतर सिंह दरबार हैं जो वर्षों से खुद को कांग्रेस का इकलौता चेहरा दिखाते रहे हैं। यह वजह है कि दरबार को स्थानीय कांग्रेसी एक बरगद की तरह देखते हैं। उनके जन्मदिन में उनके कद का कोई दूसरा कांग्रेसी नेता नज़र नहीं आया। इस आयोजन की एक कमी यह भी रही कि उनसे नाराज़ चल रहे कांग्रेसी भी यहां नहीं दिखे जो एक संगठन के तौर पर कांग्रेस को कमजोर दिखाता है। वहीं सबसे अहम बात ये रही कि इन आयोजनों में नेता तो नज़र आए लेकिन जनता नहीं जिसके भरोसे यह नेता आने वाले दिनों में मैदान में उतरने वाले हैं क्योंकि आखिरी लड़ाई तो जनता की जमीन पर होनी है।


Related





Exit mobile version