धार ओर राऊ नगर पालिका में रहते हुए इंजीनियर डीके जैन ने किए कई बड़े खेल


गरीबों की जेब पर डाका डालकर बना करोड़पति, धार नगरपालिका में असिस्टेंट इंजीनियर डीके जैन के यहां लोकायुक्त छापा में मिली करोड़ों की बेनामी संपत्ति।


आशीष यादव आशीष यादव
इन्दौर Published On :
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धार। धार नगरपालिका में असिस्टेंट इंजीनियर देवेंद्र कुमार जैन उर्फ डीके जैन ने भ्रष्टाचार में राऊ नगर पंचायत में भी कम गुल नहीं खिलाए थे। धार नगरपालिका में भी रहते हुए डीके ने बहुत काले कारनामे किए।

डीके के काले कारनामे से खुश होकर उसके आकाओं ने उसे उपहार में बहुत महंगी चीज दी। वही बता दें कि जिन कॉलोनियों में लोकायुक्त ने नक्शों पर रोक लगाई थी, सीएमओ को पता भी नहीं चला और जैन ने चोरी-छिपे नक्शे पास कर दिए थे।

घोटाले की भनक लगने पर तत्कालीन कलेक्टर को शिकायत की गई। इस पर विभाग को कार्रवाई के लिए लिखा गया जिसकी वजह से जैन का तबादला हो गया था। लोकायुक्त पुलिस ने जैन के यहां छापामार कार्रवाई कर करोड़ों रुपये की बेनामी संपत्ति जब्त की है।

शिकायत के आधार पर विभाग ने जितनी संपत्ति होने की आशा की थी, जैन उससे कहीं बड़ा कलाकार निकला। उसने सोना, चांदी के अलावा जमीन और मकानों में खासा निवेश कर रखा था। वो लगभग पांच साल से धार नगरपालिका में पदस्थ है।

उसने कई लोगों को दुःखी कर रखा था जिसकी वजह से गोपनीय शिकायतें हुई। जैन इंदौर के राऊ नगर परिषद में भी करीब चार साल पदस्थ रहा और भ्रष्टाचार के चलते गलत कामों को लेकर तत्कालीन कलेक्टर आकाश त्रिपाठी के निशाने पर आ गया था।

लोकायुक्त में चल रहे घोटाले के केस में श्रीकृष्ण पैराडाइज कॉलोनी के नक्शों पर रोक लगी हुई थी। उस दौरान जैन ने मोटी रकम लेकर नक्शे पास करना शुरू कर दिए थे। चौंकाने वाली बात ये थी कि नक्शे पास करने में सीएमओ के हस्ताक्षर होते हैं। इतना ही नहीं धार में भी बंधक प्लॉट में जैन ने बड़ा खेल किया था।

बिना पैसे नहीं करता था कोई काम –

लोकायुक्त की कार्रवाई के बाद राऊ नगर परिषद के एक जवाबदार ने खुलासा किया कि जैन बिना पैसे के कोई काम नहीं करता था। राजनीतिक दबाव को भी नहीं मानता था। इसको लेकर नगर परिषद के अध्यक्ष से भी कई बार झड़प हो चुकी थी। उन्होंने भी शिकायत की थी।

आम जनता ने तो कई बार कार्यालय पर उन्हें जलील किया जिसका जैन पर कोई असर नहीं होता था। जैन अपने ही हस्ताक्षर से सारे नक्शे पास कर रहा था। कुछ बड़े खेल करने के बाद सीएमओ को इसकी भनक लगी तो उन्होंने जांच कराई। सच्चाई देखकर उनकी जमीन खिसक गई।

उस पर उन्होंने तत्काल एक रिपोर्ट बनाकर तत्कालीन कलेक्टर आकाश त्रिपाठी को सौंपी जिसमें जैन के घोटालों की जानकारी दी गई। इस पर त्रिपाठी ने संभागीय उपसंचालक नगरीय प्रशासन एंव विकास इंदौर को पत्र लिखकर कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे। हालांकि उसके बाद जैन का तबादला हो गया था।

जांच हो तो निकलेगा बड़ा घोटाला –

सूत्रों के मुताबिक, इंजीनियर जैन ने राऊ में रहते हुए करीब एक हजार नक्शे पास किए थे जिसमें से दो सौ से अधिक फर्जी तरीके से किए गए थे। इसकी जांच की जाए तो बड़ा घोटाला निकलेगा।

विभाग में थी गहरी पकड़, ऊपर तक पहुंचाता था हिस्सा –

जैन की अपने विभाग में गहरी पकड़ थी। बताया जाता है कि भ्रष्टाचार की मोटी कमाई का एक हिस्सा वो अपने सरपरस्तों को भी पहुंचाता था। ऐसे में जब भी कोई कार्रवाई की बात आती थी तो आका जैन को बचाने में जुट जाते थे।

राऊ कांड के बाद भी यही हुआ जिसमें जैन को निलंबित किया जाना था, लेकिन तबादला करके बात ठंडी कर दी गई। मजेदार बात ये है कि बाद में जैन का तबादला भी निरस्त हो गया था।

धार में बेटा करता है ठेकेदारी –

नगरपालिका में जैन का बेटा ठेकेदारी का काम भी करता है। इंजीनियर रहते हुए अपने बेटे को भी ठेकेदारी का लाभ डीके ने दिलवाया है। वहीं अधिकांश ठेके बेटा व अन्य पार्टनरशिप में लेते थे।

पिता के इंजीनियर होने के कारण घटिया निर्माण के बावजूद भी बेटा बच जाता था। अगर जिम्मेदार अधिकारी इसकी जांच करें तो यहां भी बड़े घोटाले निकलेंगे। डीके के पाले हुए गुर्गे धार नगरपालिका में भी अपनी जादूगरी दिखा रहे हैं।



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