परेशानियों के बावजूद मोहल्ला कक्षाओं को सफल बनाती दिव्यांग शिक्षिका


अध्ययन कार्य के प्रति उनकी इस निष्ठा का बच्चे और उनके अभिभावक दोनों ही सम्मान करते हैं। यही वजह है कि उनकी कक्षा में सभी विद्यार्थी नियमित पहुंचते हैं। वे भी अपने विद्यार्थियों की जरुरत का ख्याल रखती हैं और उनके लिए पैन, पैंसिल जैसी आवश्यक वस्तुएं अक्सर लेकर जाती हैं।


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इन्दौर Updated On :
शिक्षिका नम्रता मंडलोई मोहल्ला कक्षा में अध्ययन करवाती हुईं


गुजरी (धार)।  कोरोना संक्रमण के कारण स्कूल काफी समय से बंद हैं लेकिन प्रदेश शासन ने इस बीच बच्चों को पढ़ाने के लिए एक योजना शुरु की है।  जहां शिक्षक घर-घर जाकर पढ़ाई करवा रहे हैं। इस काम में हजारों शिक्षक ईमानदारी से जुटे हैं लेकिन धार जिले की एक दिव्यांग शिक्षिका नम्रता मंडलोई का जज़्बा कमाल का है। वे अपनी शारीरिक परेशानी के बावजूद घर-घर जाकर बच्चों को पढ़ा रहीं हैं। हालांकि  शिक्षा विभाग ने दिव्यांग शिक्षकों को घर से ही ऑनलाइन पढ़ाने की सुविधा दी है लेकिन नम्रता को बच्चों के सामने खड़े होकर ही उन्हें पढ़ाना पसंद है।

नम्रता मंडलोई धार  जिले के छोटे से गांव गुजरी संकुल के प्राथमिक विद्यालय कुमार गड्ढा दुगनी में पदस्थ सहायक अध्यापक हैं। वे अपने गुजरी में रहती हैं और उनका स्कूल घर से छह किमी दूर है। नम्रता ने शासन द्वारा निर्देश जारी होने के बाद लगातार बच्चों को पढ़ाया है। वे कहती हैं कि इस गांव में ज्यादातर लोग पढ़े लिखे नहीं है और उनके विद्यार्थियों के पास भी स्मार्ट फोन नहीं है ऐसे में अगर वे यहां आकर नहीं पढ़ाएंगी तो विद्यार्थियों की पढ़ाई अधूरी ही रह जाएगी। अध्ययन कार्य के प्रति उनकी इस निष्ठा का बच्चे और उनके अभिभावक दोनों ही सम्मान करते हैं। यही वजह है कि उनकी कक्षा में सभी विद्यार्थी नियमित पहुंचते हैं। वे भी अपने विद्यार्थियों की जरुरत का ख्याल रखती हैं और उनके लिए पैन, पैंसिल जैसी आवश्यक वस्तुएं अक्सर लेकर जाती हैं।

शिक्षिका गांव तक अपने पति के साथ आती हैं वे बताती हैं कि उनके पति बैंक में नौकरी करते हैं और रोजाना सुबह वे अपने काम पर जाते हुए मुझे यहां छोड़ जाते हैं।  इसके बाद वे गांव के मोहल्लों में पैदल घूम कर बच्चों को पढ़ाती हैं। हालांकि शाम चार बजे जब वे अपने घर जाती हैं तो काफी मुश्किल होती है क्योंकि इन दिनों आने-जाने के साधन नहीं मिलते हैं और यहां से उन्हें घर पहुंचने के लिए कई लोगों से मदद लेनी होती है।

राज्य शिक्षा केन्द्र ने दिव्यांग शिक्षकों को गृह सम्पर्क अभियान से मुक्त रखा है । इसके बाद भी दिव्यांग शिक्षिका नम्रता मण्डलोई नियमित रूप से मोहल्ला क्लास ले रही हैं उनकी कक्षाओं में काफी संख्या में विद्यार्थी भी आते हैं । ऐसे ही कर्मठ शिक्षकों की वजह से समाज में गुरु का सम्मान है।

ओमेंद्र सिंह चौहान, बीआरसी, धरमपुरी


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