रक्षा संपदा कर रहा अतिक्रमण पर कार्रवाई, छावनी परिषद और महू प्रशासन पूरी तरह मौन!


– छावनी परिषद महू की कई ज़मीनों पर अतिक्रमण हो चुका है और विभाग इसे लेकर शायद ही कभी गंभीर हुआ है।
– किशनगंज इलाके में कई सरकारी जमीनों पर बड़े निर्माण हैं लेकिन प्रशासन शिकायतों के बावजूद मौन है।


अरूण सोलंकी अरूण सोलंकी
इन्दौर Updated On :
रविवार को गूजरखेड़ा में की गई कार्रवाई


इंदौर। महू छावनी में शनिवार को एक बार फिर अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई शुरु की गई। यहां रक्षा संपदा विभाग ने यहां अपनी ज़मीनों पर से अतिक्रमण हटाने के लिए योजना बनाई थी इसी के तहत पुलिस विभाग के साथ मिलकर इस कार्रवाई को अंजाम दिया गया। विभाग ने गूजरखेड़ा क्षेत्र के मुक्तिधाम मार्ग पर विभाग की जमीन पर अतिक्रमण चिन्हित किया था।

इस कार्रवाई के दौरान दो थानों की पुलिस मौजूद रही। इस कार्रवाई के बाद छावनी परिषद और स्थानीय प्रशासन पर भी सवाल उठ रहे हैं क्योंकि इनके इलाकों में भी बड़े पैमानों पर ज़मीनों पर कब्ज़ें हैं लेकिन अधिकारी शायद ही इन्हें हटाने के लिए आगे आते हैं।

रविवार को एक बार फिर रक्षा संपदा विभाग ने मुक्तिधाम मार्ग पर अपनी जमीन पर हुए अवैध निर्माणों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए पक्के निर्माणों को ध्वस्त किया। कुछ समय पहले कुछ लोगों ने अवैध निर्माण कर कर टिन शेड बना लिए थे, कार्रवाई के दौरान इन्हें भी तोड़ दिया गया। रविवार की सुबह आठ बजे छावनी परिषद का हमला मौके पर पहुंच गया था। इसके करीब दो घंटे बाद रक्षा संपदा विभाग के अधिकारी तथा स्थानीय प्रशासन के अधिकारी और कर्मचारी कार्रवाई स्थल पर पहुंचे।

इस विरोध की आशंका को देखते हुए दौरान महू और किशनगंज पुलिस थाने का बल तैनात किया गया था। रक्षा संपदा विभाग ने यहां पर करीब पांच हजार वर्ग फीट की अपनी जमीन को अतिक्रमण से मुक्त कराया। इसके साथ ही रक्षा संपदा विभाग ने तार फैंसिंग भी कर दी।  इस दौरान किसी भी तरह का कोई विरोध नहीं हुआ।

इस कार्रवाई के बारे में स्थानीय लोगों ने बताया कि ओम शर्मा परिवार द्वारा मुक्तिधाम पीढ़ियों से सेवाएं दी जा रही है उनके घर को भी अतिक्रमण मानकर तोड़ दिया गया। इस परिवार को पहले नदी के दूसरी ओर जमीन देने की बात कही गई थी लेकिन वह जमीन विवादित थी और इसीलिए परिवार ने नहीं ली। परिवार की मांग है कि उन्हें मुक्तिधाम परिसर से लगी जमीन दी जाए ताकि वे श्मशान समिति में अपनी सेवाएं दे सकें।

करीब दो महीने पहले भी एक भाजपा नेता के पुत्र की हत्या के बाद गुंडा विरोधी अभियान चलाया गया था और इसी इलाके में बड़े पैमाने पर अवैध निर्माण तोड़े गए थे। उस समय बताया गया था कि मुक्त कराई गई जमीन की कीमत करोड़ों रुपये है।  इसके बाद से उम्मीद थी कि छावनी परिषद और स्थानीय प्रशासन भी अपनी जमीनों को मुक्त कराने की कार्रवाई करेगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इस तरह महू छावनी में ही सेना के दो विभाग अपनी ज़मीनों पर कब्ज़े को लेकर अलग-अलग कार्रवाई कर रहे हैं। जो लोगों के गले नहीं उतर रहा है।

छावनी परिषद ने तो अपनी  भूमि पर अतिक्रमण के मामलों से ही आंखें मूंद लीं। वहीं स्थानीय प्रशासन का भी यही हाल है। स्थानीय अधिकारियों के पास शहरी इलाकों से लगी पंचायतों और दूसरी सरकारी ज़मीनों पर अतिक्रमण की दर्जनों शिकायतें हैं लेकिन उनके द्वारा भी इन पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। उल्लेखनीय है कि किशनगंज क्षेत्र में मुख्यमार्ग पर ही कई जगह अतिक्रमण है जिनकी शिकायतें मुख्यमंत्री हैल्पलाइन से लेकर तमाम अधिकारियों से भी की गईं लेकिन अधिकारियों ने इसे अनसुना कर दिया।

बताया जाता है कि जिन जमीनों पर कब्जे की शिकायतें प्रशासन से की गईं हैं उनकी कीमत करोड़ों रुपयों में हैं लेकिन प्रशासनिक अधिकारी इन पर कोई कार्रवाई नहीं करते।  ऐसे में लोग सवाल उठा रहे हैं कि क्या एक ही इलाके में अलग-अलग तरह के कई नियम बनाए जा रहे हैं क्योंकि छावनी परिषद अपनी ज़मीनों पर हो रही कार्रवाई को लेकर मौन है।

अतिक्रमण तोड़ा ही जाएगा… एसडीएम 

महू प्रशासन अतिक्रमण को लेकर कार्रवाई की बात कह रहा है। एसडीएम अक्षत जैन के मुताबिक निर्वाचन प्रक्रिया के बाद एक बार फिर अतिक्रमण विरोधी मुहिम चलाई जाएगी। एसडीएम जैन ने बताया कि रक्षा संपदा की ज़मीन पर पहले भी कार्रवाई हुई थी लेकिन वहां दोबारा अतिक्रमण कर मकान बनाए जा रहे थे। ज़मीन को मुक्त रखने के लिए रविवार को कार्रवाई की गई। इसके अलावा आने वाले दिनों में पंचायत क्षेत्र में हो रहे कब्जों को भी तोड़ा जाएगा।

 



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