मध्य प्रदेश के महू में हुए सामूहिक दुष्कर्म और सेना के अधिकारियों पर हमले के मामले में सेना ने तुरंत कार्रवाई करते हुए दोनों अधिकारियों के खिलाफ विभागीय जांच शुरू कर दी है। यह जांच एक वरिष्ठ अधिकारी की देखरेख में की जा रही है।
दोनों अधिकारी महू के इंफेंट्री स्कूल में प्रशिक्षण के लिए तैनात थे, ऐसे में सवाल उठता है कि इस अवधि में यह अधिकारी दिन रात को बाहर कैसे निकले। यह घटना 10-11 सितंबर की रात को जाम गेट के पास घटी थी, जो महू छावनी से करीब 30 किमी दूर है।
घटना में आरोपियों ने सेना के दो अधिकारियों और उनकी महिला मित्रों पर हमला किया था। पुलिस ने बताया कि छह आरोपियों ने एक महिला के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया और अधिकारियों से पैसे की मांग की। हमले के दौरान एक महिला और एक अधिकारी को बंधक बना लिया गया और दूसरे अधिकारी और महिला से 10 लाख रुपये लाने की मांग की गई थी। घटना की जानकारी मिलने पर पुलिस ने समय रहते कार्रवाई की और सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया, जिनमें प्रमुख आरोपी ऋतेश भाभर, अनिल बारोड और अन्य शामिल हैं।
घटना के बाद पुलिस द्वारा की गई जांच में यह पता चला कि आरोपी संगीत सुनने की आवाज सुनकर घटनास्थल पर पहुंचे थे। पुलिस ने यह भी बताया कि आरोपियों का पहले भी आपराधिक रिकॉर्ड हो सकता है और वे इस तरह की अन्य घटनाओं में भी शामिल हो सकते हैं। पुलिस इस एंगल से भी जांच कर रही है कि क्या और लोग इसी इलाके में ऐसी घटनाओं का शिकार हुए हैं लेकिन उन्होंने रिपोर्ट नहीं किया।
इस घटना को लेकर राजनीतिक तनाव भी बढ़ गया है। कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि इस घटना में भाजपा के कुछ कार्यकर्ताओं और उनके रिश्तेदारों का हाथ है, जबकि भाजपा ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि विपक्ष इस मुद्दे पर झूठा प्रचार कर रहा है। भाजपा ने यह भी स्पष्ट किया है कि राज्य सरकार ऐसी घटनाओं में बेहद संवेदनशील है और किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा।
पुलिस ने कहा कि पीड़िता अभी भी बयान देने की स्थिति में नहीं है और उन्हें समय दिया जा रहा है ताकि वह अपनी स्थिति संभाल सकें। मामले की आगे की कार्रवाई पीड़िता के बयान के बाद ही की जाएगी।