इंदौर। स्वास्थ्य विभाग के द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक कोरोना संक्रमण के कारण अब तक इंदौर में 1106 लोगों की मौत हो चुकी है। इसके साथ ही इंदौर के ग्रामीण इलाकों में कोरोना संक्रमण सबसे तेज़ी से फैल रहा है।
ग्रामीण इलाकों में संक्रमण से रोज़ाना मौतें हो रहीं हैं और कई बार तो इनकी ख़बर भी ग्रामीण इलाकों में नहीं पहुंच रही है। जिसके चलते कोरोना की भयावहता कम नज़र आ रही है लेकिन असली सूरत इससे कहीं ज्यादा डरावनी है।
ग्रामीण क्षेत्रों के श्मशानों में रोज़ाना बड़ी संख्या में दाह हो रहे हैं। यहां मौत का बड़ा कारण कोरोना संक्रमण ही बताया जा रहा है। प्रदेश में पहले ही कमज़ोर बताया जाने वाला स्वास्थ्य तंत्र अब पूरी तरह दम तोड़ चुका है। ऐसे में हर आदमी तक पहुंच पाना फिलहाल असंभव है।
हालांकि जिले में मृतकों का यह आंकड़ा सच नहीं कहा जा सकता है। इंदौर में कोरोना संक्रमण से होने वाली मौतों पर तो पहले ही सवाल उठते रहे हैं वहीं एक बड़ा सवाल यह भी है जिला प्रशासन जो आंकड़े जारी कर रहा है वह इंदौर शहर के हैं या पूरे जिले के।
दरअसल इंदौर की महू तहसील प्रदेश और संभावित देश की भी सबसे ज्यादा प्रभावित तहसील कही जा सकती है। यहां अब तक साढ़े सात हज़ार कुल संक्रमित पाए जा चुके हैं और 147 लोगों की मौत हो चुकी है।
रविवार को यहां फिर 251 नए संक्रमित मिले और यहां के स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े के मुताबिक यहां आठ लोगों की मौत हुई है। जबकि इंदौर जिला प्रशासन ने कुल सात मौत बताई हैं।
ऐसे में अगर यह आंकड़े सही है तो इंदौर शहर में सात मौतें हुईं और महू तहसील में 8 मौतें हुईं। ऐसे में कुल पंद्रह मौतें एक दिन में दर्ज की गई हैं।
वहीं अगर ऐसा नहीं है तो यह कहना गलत नहीं होगा कि इंदौर में रोजाना जहां 1800 संक्रमित मिल रहे हैं वहां महू तहसील के मुकाबले कम लोग संक्रमण से मर रहे हैं। ऐसे में कहना गलत नहीं होगा कि महू तहसील की हालत इस समय सबसे ज्यादा ख़राब है।
संक्रमितों की सूची को लेकर भी ऐसा कहा जा सकता है। इंदौर में जहां रोजाना 1800 से अधिक संक्रमित मिल रहे हैं तो वहीं महू में यह संख्या सौ से साढ़े तीन सौ तक जा रही है। ऐसे में सवाल यह भी है कि यह संक्रमित रिकार्ड में जोड़े भी जा रहे हैं या नहीं।
इसे लेकर महू शहर में विरोध होता रहा है। लोगों के मुताबिक यहां मृत्यु की संख्या कम करके दिखाई जा रही है। जो कि सही नहीं है। इस मामले में बात करने को लेकर जहां ज्यादातर नागरिक और स्थानीय नेता जहां चुप्पी साधे हुए हैं वहीं स्थानीय पत्रकार दिनेश सोलंकी इसे लेकर लगातार विरोध जताते आ रहे हैं।
सोलंकी के मुताबिक मृत्यु की सही संख्या सरकारी आंकड़ों में नहीं बल्कि श्मशानों और कब्रिस्तानों में दिखाई दे रही है। साढ़े तीन लाख की आबादी वाली महू तहसील के हिसाब से यह काफ़ी बड़ा आंकड़ा है लेकिन जनता को सच्चाई बताना ज़रूरी है।
देखिए, हम अपनी ओर से पूरी जानकारी भेज रहे हैं अब इंदौर में इसे किस तरह से जोड़ा जा रहा है यह हम नहीं कह सकते।
डॉ. फैज़ल अली, बीएमओ, महू