इंदौर। कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर काफ़ी खतरनाक साबित हो रही है। शहर में बुधवार को 294 नए संक्रमित मिले हैं। स्थितियां लगातार बिगड़ रहीं हैं जिसे लेकर इंदौर प्रशासन बेहद चिंतित है। चिंता की एक बड़ी वजह प्रशासनिक उर्जा का लोगों को जागरुक करने में खर्च होना है।
प्रशासनिक अधिकारियों के मुताबिक उन्हें उम्मीद थी कि कोरोना का प्रकोप झेल चुका यह शहर और यहां के लोग अब इसके खतरों को लेकर जागरुक हो गए होंगे लेकिन फिलहाल ऐसा नहीं है।
बुधवार को रात के कर्फ्यू का पहला दिन था लेकिन इसके बावजूद बड़ी संख्या में लोग बेपरवाह नजर आए। वे ना मास्क पहने पहुए थे और न ही कोई सोशल डिस्टेंसिंग थी। इससे पहले दिनभर पुलिस-प्रशासन के अफसर सड़कों पर मुस्तैद रहे।
शाम से रात तक कई लोगों पर कारवाई भी की गई। इसके बाद देर रात आए मेडिकल बुलेटिन में 294 नए मरीज मिलने के बाद प्रशासन और चिंतित हो गया। नईदुनिया अख़बार के पहले पन्ने की ख़बर के मुताबिक
कलेक्टर मनीष सिंह ने कहा है कि…
अगर नाइट कर्फ्यू के बाद भी हालात नहीं सुधरे तो शनिवार और रविवार को टोटल लॉकडाउन लगाने का विकल्प भी खुला है।
इससे पहले इंदौर चिड़ियाघर को भी बंद कर दिया गया है। इसे अब अगले आदेश के बाद ही शुरू किया जाएगा। वहीं इसके अलावा जिले के ग्रामीण इलाकों में भी प्रशासन कोरोना को लेकर खासा चिंतित है। हालांकि कलेक्टर ने इस ख़बर को गलत बताया। उनके मुताबिक लॉकडाउन की कोई भी बात उन्होंने नहीं कही है। यह जानकारी भ्रामक है।
महू क्षेत्र में बुधवार को एसडीएम अभिलाष मिश्रा ने सख्ती से कार्रवाई की। उन्होंने खुद सड़कों पर उतरकर व्यवस्था संभाली और लोगों को मास्क पहनने के लिए कहा। इस दौरान कई लोगों के चालान भी बनाए गए हैं।
जिला प्रशासन गुरुवार से अन्य ग्रामीण इलाको में भी सख्ती से काम करेगा। ग्रामीण क्षेत्रों से बड़ी संख्या में कामकाजी लोग रोजाना इंदौर शहर में आते-जाते हैं। ऐसे में यहां संक्रमण का खतरा बना हुआ है। पिछले साल इन इलाकों में भी संक्रमण तेजी से फैला था।