क्षेत्र के आदिवासी समाज से आने वाले कांग्रेस के बड़े नेता प्यार सिंह निनामा की पुण्यतिथि पर बड़ी संख्या में कांग्रेसी और समाज के लोग उनके गांव खुर्दी में पहुंचे। निनामा और उनके परिवार की वीभत्स हत्या को बीस साल हो चुके हैं। इस मौके पर पहुंचे उन्हें जानने वाले कई लोगों की आंखें नम थीं और अपने आंसुओं से ही उन्हें श्रद्धांजलि दे रहीं थीं।
इस दौरान वरिष्ठ कांग्रेसी और पूर्व केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया भी मौजूद रहे। जिन्होंने निनामा की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। इस कार्यक्रम में बोलते हुए भूरिया ने कहा कि आदिवासियों के खिलाफ अपराध उन पर अत्याचार लगातार हो रहे हैं और पुलिस प्रशासन अपना ग्राफ सुधारे रखने के लिए इन प्रकरणों को दर्ज नहीं करता है। मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा आदिवासियों पर अत्याचार इंदौर जिले के महू में ही हुए हैं।
प्यार सिंह निनामा को श्रद्धांजलि देने के लिए ग्राम खुर्दी में एक सामूहिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। मध्य प्रदेश कॉन्ग्रेस चुनाव प्रबंधन समिति अध्यक्ष प्रदेश वरिष्ठ आदिवासी नेता कांतिलाल भूरिया की मुख्य अतिथि में पूर्व विधायक अंतर सिंह दरबार साहब के नेतृत्व में श्रद्धांजलि अर्पित की गई ।सभा स्थल पर प्यार सिंह निनामा के पुत्र महेश निनामा , रामेश्वर पटेल, जिला पंचायत सदस्य कन्हैयालाल ठाकुर राधेश्याम मुवेल, अनूप दरबार, प्रदीप ओसारी, पप्पू खान अशोक आंजना, विपुल चौहान, रमेश परमार, दिनेश भूत, सचिन चौधरी, रशीद पटेल, मुकसिद पटेल सहित कई पदाधिकारी एवं वरिष्ठ जन उपस्थित हुए।
भूरिया ने कहा कि संपूर्ण देश में मध्य प्रदेश में आदिवासियों पर सर्वाधिक अत्याचार हो रहे हैं। प्रदेश में आदिवासियों की परिवार सहित हत्या कर दी जाती है एवं उनकी मां बहनों के साथ अत्याचार किया जाता है। यहां पहुंचे महू के पूर्व विधायक अंतर सिंह दरबार ने कहा कि इंदौर जिले में महू तहसील में आदिवासियों पर सबसे ज्यादा अत्याचार हो रहा है कांग्रेस पार्टी एवं में उनकी हर मदद के लिए तैयार हैं। इस अवसर पर आदिवासी कांग्रेस के उपाध्यक्ष राधेश्याम मुवेल ने भी संबोधित किया।
कौन थे प्यार सिंह निनामा!
निनामा की हत्या साल 2003 में हुई थी। यह उस समय हिन्दू चरमपंथ का सबसे पहला मामला माना गया। घटना के वक्त प्रदेश में कांग्रेस की दिग्विजय सिंह की सरकार थी। मानपुर के पास खुर्दी गांव में रहने वाले प्यारसिंह निनामा के घर आधी रात को हथियारों से लैस दर्जनभर लोगों ने हमला कर दिया था। यह हमला इतना बेरहम था कि निनामा की हत्या करते हुए न केवल उन्हें गोलियां मारी गईं बल्कि तलवारों से भी हमला किया गया। उन्हें बचाने आए उनके भतीजे दिनेश निनामा की भी बदमाशों ने हत्या कर दी थी। सभी हत्यारे हिंदू संगठनों से संबंधित थे। इस हत्याकांड में संघ के प्रचारक सुनील जोशी का भी नाम आया था। इसके अलावा लोकेश शर्मा का भी नाम इस हत्याकांड में शामिल था। हालांकि बाद में कई आरोपी बरी हो गए थे और जोशी की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई।
हत्याकांड से ठीक एक साल पहले महू में सांप्रदायिक तनाव भी जन्मा था। इसमें भी जोशी का नाम बताया गया। इस दौरान पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने एक रिपोर्ट बनाकर केंद्र को भेजी थी। इस रिपोर्ट में बताया गया कि कैसे महूगांव के एक खेत में बम बनाए जाते थे।
तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने इस मामले में दिलचस्पी दिखाते हुए तत्काल कार्रवाई के निर्देश दिए थे। जिससे ताबड़तोड़ 10 लोगों की गिरफ्तारी की गई थी। दिग्विजय सिंह ने निनामा की हत्या में संघ से जुड़े लोगों का हाथ होने का आरोप लगाया था। खुर्दी गांव में संघ की शाखा लगाने को लेकर धर्मेंद्र पंड्या व निनामा का विवाद हुआ था। आरोप है कि निनामा और पंड्या का झगड़ा भी हुआ था।