14 अप्रैल यानी कि डॉक्टर बाबा साहब अंबेडकर की जयंती, जब उनके जन्म स्थान महू में बड़ा जलसा होता है। हर बार की तरह इस बार भी इस जलसे की तैयारियां हो रहीं हैं लेकिन इस बार उत्साह कुछ काम नजर आ रहा है। यह उत्साह अंबेडकर स्मारक समिति के सदस्यों के बीच भी नहीं है क्योंकि उनके बीच एक बड़ा विवाद चल रहा है जिसकी वजह आर्थिक अनियमितता है। समिति के कई सदस्य जयंती उत्सव की तैयारियों में भाग नहीं ले रहे हैं।
आम चुनाव की तैयारियों के बीच अंबेडकर जयंती भी होनी है। बीते कुछ समय से महू के अंबेडकर जयंती कार्यक्रम में भीड़ कम होती जा रही है। इस बार भी अब तक ऐसा ही नजर आ रहा है। जयंती समारोह को लेकर प्रशासन अब तक बहुत गंभीर दिखाई नहीं दिया है। स्मारक समिति का भी यही हाल है।
समिति के भीतर सदस्यों के बीच जमकर कलह हो रही है। समिति के सचिव राजेश वानखेड़े पर एक करोड़ रु की वित्तीय अनियमितता का आरोप लगता गया है। जिसका बार-बार उनसे हिसाब मांगा जा रहा है लेकिन वानखेड़े सदस्यों को इसकी कोई जानकारी नहीं दे रहे हैं। यही वजह है कि समिति के सदस्य होटल कारोबारी रहे राजेश वानखेड़े पर आरोप लगा रहे हैं कि वह अंबेडकर स्मारक को भी उसी तरह चल रहे हैं जैसे कि वह होटल चलाते हैं। वानखेड़े द्वारा हिसाब ना दिया जाना एक बड़ी परेशानी को जन्म दे रहा है। राजेश वानखेड़े भारतीय जनता पार्टी से जुड़े हुए हैं। वे इंदौर में पार्षद का चुनाव भी लड़ चुके हैं, इसके साथ ही वे खुद को भाजपा के बड़े नेताओं कैलाश विजयवर्गीय और रमेश मेंदोला के भी करीबी बताते रहे हैं।
इसे समझना हो तो इन कुछ जनकारियों पर गौर करना चाहिए…
पिछले 16 सालों से महू में डॉक्टर अंबेडकर जन्म उत्सव पर 3 दिन तक आयोजन होते हैं, जिस पर राज्य शासन एक करोड़ रुपए से अधिक की राशि खर्च करती है। इस उत्सव में शामिल होने के लिए 25000 से अधिक अनुयायी दूसरे राज्यों या शहरों से आते हैं, जिनकी संपूर्ण व्यवस्था राज्य शासन द्वारा की जाती है। लेकिन इस वर्ष समिति सदस्यों में आपस में ही विवाद हो जारी हैं।
कार्यालय सचिव व कोषाध्यक्ष पर करीब 1 करोड़ रुपए की धनराशि का हिसाब किताब न देने तथा उत्सव के लिए किस प्रकार की राशि न देने का आरोप लगाया जा रहा है। यही कारण है कि इस उत्सव में इस बार कई महत्वपूर्ण आयोजन शामिल नहीं किए गए हैं। इस बार यहां आने वाले बौद्ध भिक्षुओं के प्रवचन और 14 अप्रैल को निकालने वाली विशाल शोभायात्रा भी रुक सकती है।
कुछ दिन पूर्व समिति सदस्यों ने एक मत होकर कार्यालय सचिव राजेश वानखेड़े तथा कोषाध्यक्ष को समिति से बाहर कर दिया। उनका आरोप है कि सचिव ने पिछले 1 साल में करीब एक करोड़ रुपए की राशि का कोई हिसाब किताब नहीं दिया है। इसके अलावा अंबेडकर जयंती उत्सव के लिए भी खर्च करने के लिए कोई राशि नहीं दी, जिसका सीधा असर इस वर्ष उत्सव पर पड़ेगा।
इस विवाद के चलते स्थानीय प्रशासन को भी काफी दिक्कत हो रही है आपसी तालमेल के अभाव के कारण जहां एक और स्थानीय प्रशासन के अधिकारी कर्मचारी अपनी मनमर्जी से कम कर रहे हैं। वहीं स्मारक समिति स्थानीय प्रशासन पर भी आरोप लगा रही है कि भंतो (बौद्ध भिक्षुओं) के प्रवचन के लिए न तो मंच लगाने दे रहे हैं ना कोई अन्य कार्यक्रम करने की अनुमति है।
ऐसे में संभव है इस बार बाहर से आने वाले अनुयायियों की संख्या के साथ-साथ बौद्ध भिक्षुओं की संख्या भी काफी कम हो सकती है। इस वर्ष महू शहर में भी इस उत्सव को लेकर कोई उत्साह दिखाई नहीं दे रहा है। स्थानीय प्रशासन भी महज खानापूर्ति करने में व्यस्त है। इनके पास ना तो बजट की जानकारी है और ना ही आने वाले वी आई पी की कोई खबर।
जनपद की लचर व्यवस्था
शहर में कई स्थानों पर अब तक पीने के पानी की व्यवस्था के साथ साथ धूप से बचने के लिए टेंट लग जाते हैं। यह जिम्मा जनपद पंचायत का होता है लेकिन इस बार जनपद ने केवल कागजी खानापूर्ति की है। कई स्थानों पर पानी के टैंकर खड़े होने थे लेकिन वे खोजने पर भी नहीं मिल रहे हैं। इनकी व्यवस्था के लिए पंचायत सचिवों की ड्यूटी लगाई गई है लेकिन वे भी गायब हैं। ऐसे में शुरुआती दिनों में स्मारक पर आने वाले अनुयायियों के लिए फिलहाल स्थितियां बहुत कठिन दिखाई दे रहीं हैं।