इंदौर। मुझे यह देखकर और इसका हिस्सा बनकर खुशी होती है कि आज का युवा लोकगीत व सांस्कृतिक की ओर बढ़ रहा है जब पहला संगीत मैंने सुना था तो धार्मिक था और उसने मेरे मन पर इतना प्रभाव डाला कि मैं अब सिर्फ लोकगीत धार्मिक गीत ही जाना चाहती हूं।
यह बात छठ पूजा पर खास तौर पर महू के महूगांव आईं लोक गायिका मैथिली ठाकुर ने चर्चा में कही। मैथिली ठाकुर रविवार को महू गांव के तालाब पर संपन्न हुई छठ पूजा के दौरान अपनी प्रस्तुति दे रहीं थीं जहां उन्हें सुनने के लिए हजारों की संख्या में लोग मौजूद थे।
छठ महापर्व के अवसर पर इंदौर के महूगांव में मप्र संस्कृति मंत्रालय की ओर से आयोजित कार्यक्रम में लोक गायिका मैथिली ठाकुर ने शानदार प्रस्तुति दी। उन्हें सुनने के लिए हजारों की संख्या में लोग पहुंचे थे।@maithilithakur #Indore @UshaThakurMLA pic.twitter.com/ZAsU1rFF4u
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मैथिली ने यहां एक से बढ़कर एक धार्मिक व लोक गीतों की प्रस्तुति थी जिसे सभी ने खूब सराहा इस मौके पर क्षेत्रीय विधायक व सांस्कृतिक मंत्री उषा ठाकुर ने मैथिली ठाकुर का स्वागत किया।
इस मौके पर भाजपा नेता राम किशोर शुक्ला, महू गांव नगर पालिका अध्यक्ष नवीन तिवारी धार नाका युवा मंच के विश्वास दुबे जेबी सिंह, राम आशीष शुक्ला ने भी मैथिली ठाकुर का सम्मान किया।
मैथिली ठाकुर ने चर्चा करते हुए बताया कि उन्होंने अपने घर में जब पहली बार संगीत सुना था वह धार्मिक और सांस्कृतिक था, उसने मेरे माल पर इतना प्रभाव डाला है कि अब मैं हमेशा ऐसे ही गीत गाना चाहती हूं फिल्मी गीतों के सवाल पर उन्होंने कहा कि अगर फिल्मों में लोक व सांस्कृतिक गीतों की आवश्यकता होगी तो मैं जरूर गाऊंगी वर्ना नहीं।
युवा गायिका मैथिली ठाकुर छठ पर्व के अवसर पर मध्य प्रदेश के संस्कृति मंत्रालय के बुलावे पर इंदौर के महू गांव में प्रस्तुति देने पहुंची थी सुनिए क्या कुछ कहा मैथिली ने अपनी गायन शैली और लोक गायकी को लेकर।@maithilithakur #indore #छठ_महापर्व2022 @UshaThakurMLA pic.twitter.com/TpuR3vzoBa
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मैथिली ठाकुर ने कहा कि मेरा उद्देश्य हमारी लोक संस्कृति व लोकगीतों को बचाना है और इसका प्रचार प्रसार करना है ताकि आज का युवा इसे समझें।
उन्होंने कहा कि मुझे खुशी होती है पिछले कुछ समय में मेरे देश का युवा लोग व संस्कृति से अलग हट गया था या दूर हो गया था वह अब धीरे-धीरे और वापस लौट रहा है और आने वाले समय में हर युवा के मन में हमारे देश के लोकगीत हमारे देश की संस्कृति के प्रति एक अलग सम्मान होगा।
मैथिली ठाकुर ने गायन के दौरान आने वाली समस्याओं व परेशानियों के बारे में कहा कि उन्हें आज तक ऐसी कोई परेशानी समस्या नहीं आई और जो भी आई है वह उनके माता-पिता ने दूर कर दी है अपने पिता व दो भाइयों के साथ मंच पर प्रस्तुति देने वाली मैथिली ठाकुर ने कहा कि यह एक परंपरा है जिसे मैं आगे निभा रही हूं। मेरे पिता और मेरे दोनों भाई इसमें मेरा पूरा साथ दे रहे हैं आने वाले समय में भी हम इस प्रकार देश की संस्कृति लोकगीत के लिए काम करते रहेंगे।