मैं अपने कैरियर में केवल लोकगीत और धार्मिक संगीत गाना चाहूंगी: मैथिली ठाकुर


मैथिली को सुनने के लिए हजारों की संख्या में लोग मौजूद थे।


अरूण सोलंकी
इन्दौर Updated On :

इंदौर। मुझे यह देखकर और इसका हिस्सा बनकर खुशी होती है कि आज का युवा लोकगीत व सांस्कृतिक की ओर बढ़ रहा है जब पहला संगीत मैंने सुना था तो धार्मिक था और उसने मेरे मन पर इतना प्रभाव डाला कि मैं अब सिर्फ लोकगीत धार्मिक गीत ही जाना चाहती हूं।

यह बात छठ पूजा पर खास तौर पर महू के महूगांव आईं लोक गायिका मैथिली ठाकुर ने चर्चा में कही। मैथिली ठाकुर रविवार को महू गांव के तालाब पर संपन्न हुई छठ पूजा के दौरान अपनी प्रस्तुति दे रहीं थीं जहां उन्हें सुनने के लिए हजारों की संख्या में लोग मौजूद थे।

मैथिली ने यहां एक से बढ़कर एक धार्मिक व लोक गीतों की प्रस्तुति थी जिसे सभी ने खूब सराहा इस मौके पर क्षेत्रीय विधायक व सांस्कृतिक मंत्री उषा ठाकुर ने मैथिली ठाकुर का स्वागत किया।

मंत्री उषा ठाकुर और भाजपा नेता राम किशोर शुक्ला ने किया मैथिली का सम्मान

इस मौके पर भाजपा नेता राम किशोर शुक्ला, महू गांव नगर पालिका अध्यक्ष नवीन तिवारी धार नाका युवा मंच के विश्वास दुबे जेबी सिंह, राम आशीष शुक्ला ने भी मैथिली ठाकुर का सम्मान किया।

कार्यक्रम स्थल के सामने छठ पूजा स्थल

मैथिली ठाकुर ने चर्चा करते हुए बताया कि उन्होंने अपने घर में जब पहली बार संगीत सुना था वह धार्मिक और सांस्कृतिक था, उसने मेरे माल पर इतना प्रभाव डाला है कि अब मैं हमेशा ऐसे ही गीत गाना चाहती हूं फिल्मी गीतों के सवाल पर उन्होंने कहा कि अगर फिल्मों में लोक व सांस्कृतिक गीतों की आवश्यकता होगी तो मैं जरूर गाऊंगी वर्ना नहीं।

मैथिली ठाकुर ने कहा कि मेरा उद्देश्य हमारी लोक संस्कृति व लोकगीतों को बचाना है और इसका प्रचार प्रसार करना है ताकि आज का युवा इसे समझें।

उन्होंने कहा कि मुझे खुशी होती है पिछले कुछ समय में मेरे देश का युवा लोग व संस्कृति से अलग हट गया था या दूर हो गया था वह अब धीरे-धीरे और वापस लौट रहा है और आने वाले समय में हर युवा के मन में हमारे देश के लोकगीत हमारे देश की संस्कृति के प्रति एक अलग सम्मान होगा।

मैथिली ठाकुर ने गायन के दौरान आने वाली समस्याओं व परेशानियों के बारे में कहा कि उन्हें आज तक ऐसी कोई परेशानी समस्या नहीं आई और जो भी आई है वह उनके माता-पिता ने दूर कर दी है अपने पिता व दो भाइयों के साथ मंच पर प्रस्तुति देने वाली मैथिली ठाकुर ने कहा कि यह एक परंपरा है जिसे मैं आगे निभा रही हूं। मेरे पिता और मेरे दोनों भाई इसमें मेरा पूरा साथ दे रहे हैं आने वाले समय में भी हम इस प्रकार देश की संस्कृति लोकगीत के लिए काम करते रहेंगे।


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