उदार हुई छावनी परिषद महू, नागरिक अब मुफ्त में कर सकेंगे स्मार्ट टॉयलेट का उपयोग


महीनों से बंद पड़ा था स्मार्ट टॉयलेट, नागरिक नहीं देना चाहते इसका शुल्क


DeshGaon
इन्दौर Updated On :

इंदौर। महू छावनी परिषद ने एक अहम फैसला लिया है। स्वच्छता सर्वेक्षण में छावनी परिषद को ज्यादा नंबर दिलवाने वाला एक अत्याधुनिक स्मार्ट टॉयलेट अब नागरिकों को उपयोग में आ सकेगा। 21 लाख रुपये का निवेश छावनी परिषद ने इस टॉयलेट में इसलिए किया था ताकि वे नागरिकों से इसका शुल्क ले सकें। हालांकि करीब साल भर तक इसे ताला लगाकर रखा गया। इस बीच इसमें खराबी भी आ गई। बताया जाता है कि नागरिक इसका शुल्क भी नहीं दे रहे थे। ऐसे में इसकी हालत खराब हो रही थी लिहाज़ा परिषद ने अब इस मुफ्त में उपयोग करने देने का फैसला किया है। नागरिकों के लिए यह एक राहत भरी बात है क्योंकि ड्रीम लैंड चौराहे के इस इलाके में सार्वजनिक सुविधाघर की काफी जरुरत थी।

इस टॉयलेट का उपयोग करने के लिए नागरिकों को शुल्क देना होता था ‌। यह स्मार्ट टॉयलेट स्थापित होने के कुछ ही दिन बाद खराब होकर बंद हो गया था। विगत 6 माह से अधिक समय से यह स्मार्ट टॉयलेट एक शो-पीस बन कर रखा हुआ था क्योंकि यह टॉयलेट चेन्नई की कंपनी द्वारा बनाया गया था जिसके मैकेनिक कई बार महू आए लेकिन वह ठीक नहीं हो सका। इस दौरान लगातार शिकायतों व पत्र पत्रिकाओं में छपने के बाद छावनी परिषद के नामित सदस्य शिव शर्मा ने पहल की और गुरुवार को इस स्मार्ट टॉयलेट को ठीक करवाया। उन्होंने कहा है कि अब इस स्मार्ट टॉयलेट का उपयोग करने के लिए किसी प्रकार का शुल्क नहीं देना होगा। आम नागरिक इसका निशुल्क रूप से उपयोग कर सकेंगे।

इस संबंध में शिव शर्मा ने कहा कि छावनी परिषद द्वारा शहर को यह एक अच्छी सौगात दी गई थी लेकिन सहयोग नहीं मिलने के कारण यह सौगात सफल नहीं हो सकी। अब आम नागरिक इसका निशुल्क इसका उपयोग कर सकेंगे। वहीं छावनी परिषद के इंजीनियर अमित व्यास ने कहा कि स्वच्छता सर्वेक्षण की सूची में प्रथम आने के लिए स्मार्ट टॉयलेट का होना अति आवश्यक है।

स्मार्ट टॉयलेट के कारण छावनी परिषद को इस सर्वेक्षण में अतिरिक्त अंक मिले थे जिसके कारण देश भर की छावनी में महू छावनी का नाम तीसरे स्थान पर था। लेकिन अब इसको निशुल्क करने से स्वच्छता सर्वेक्षण की सूची पर इसका असर पड़ेगा।

व्यास ने कहा कि नागरिकों का सहयोग नहीं मिला। कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा इसके लॉक में कागज फंसा दिया जाता था या फिर कोई दूसरी शरारत कर दी जाती थी। अब  तक इसका उपयोग करने वाले नागरिकों ने इस सुविधा के लिए 5 हजार रुपये दिए हैं।


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