महू। जनजातीय समाज के गौरव बिरसा मुंडा व्यापक फलक पर स्थापित हैं. जनजातीय संस्कृति और विरासत के कर्णधार धरती आबा का पूरा जीवन राष्ट्र को समर्पित रहा है. आजादी के अमृत काल में स्वाधीनता नायक के रूप में बिरसा मुंडा युवाओं के प्रेरणापुंज हैं. उनके द्वारा स्थापित किये गए सामाजिक-सांकृतिक मूल्यों को विश्वविद्यालय शोध एवं नवाचार के माध्यम से व्यापक फलक पर विस्तारित कर रहा है ।
उक्त बातें डॉ. बी.आर. अम्बेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. डी.के. शर्मा ने विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय सेवा योजना के तत्वावधान में बिरसा मुंडा की जयंती ‘जनजातीय गौरव दिवस’ के अवसर पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में कही।
मुख्य वक्ता कर्नल डॉ. विजेंद्र कुमार मिश्र ने उलगुलान से गलवान तक का जिक्र करते हुए बताया कि बिरसा मुंडा राष्ट्र के स्वाभिमान हैं। हमारे सेना के जवान बिरसा मुंडा को आत्मसात करते हैं। स्वाधीनता के दौर में 25 वर्ष का युवा जिस रणनीतिक कौशल से अंग्रेजों से लोहा ले रहा था उससे आज भी हमें सीखने की जरूरत है।
विशिष्ट अतिथि कर्नल डॉ. दिनेश कुमार शर्मा ने बिरसा मुंडा कहा कि आज भी बिहार रेजिमेंट के 26 हजार जवानों के बीच बिरसा मुंडा को भगवान की तरह याद किया जाता है।
जून 2020 में बिहार रेजिमेंट के जवानों ने 38 चीनी सैनिकों को बिरसा मुंडा के गुरिल्ला कौशल से ही बिना किसी हथियार के ही मार गिराया और चीनी सैनिकों को वास्तविक नियंत्रण रेखा से पीछे ढकेल दिया था।
गलवान घाटी में भी इन सैनिकों ने जय बिरसा, मुंडा जय बजरंगबली का उद्घोष किया। जननायकों के जीवन को आत्मसात किए बिना हम उनके विचारों को बेहतर ढंग से विस्तारित नहीं कर सकते हैं।
जनजातीय गौरव दिवस के अवसर पर विश्वविद्यालय के जनजातीय स्टाफ शंकर गोहिल, महेर सिंह, डॉ. अल्केश मुवेल को सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम में मध्य प्रदेश बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्य सोनम निनामा का विशेष सानिध्य मिला। कार्यक्रम में संकाय सदस्य प्रो. शैलेंद्र मणि त्रिपाठी, डॉ. मनीषा सक्सेना, प्रो. एम.एम.पी. श्रीवास्तव, प्रो. सुनील गोयल, डॉ. प्रवीण चौधरी, संध्या मालवीय सहित विश्वविद्यालय के अधिकारी, कर्मचारी उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का संचालन राष्ट्रीय सेवा योजना के कार्यक्रम अधिकारी प्रदीप कुमार ने और धन्यवाद ज्ञापन कुलसचिव अजय वर्मा ने दिया। कार्यक्रम में टांट्या भील पीठ के संयोजक पुंजालाल निनामा एवं विद्यार्थियों में अकांक्ष भगोरे, नीलम गुप्ता, विक्रांत सिंह, राकेश, रिंकू, दौलत सिंह राठौर ने भी विचार व्यक्त किए।
(आंबेडकर विश्वविद्यालय के द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति)