विनय यादव, इंदौर। कोरोना वायरस से परेशान आम आदमी के बाद अब कौओं पर बर्ड फ्लू वायरस की मार पड़ी है। इस वायरस के कारण इंदौर में एक के बाद एक 155 कौओं की मौत की पुष्टि पशु चिकित्सा विभाग ने की है। चिड़ियाघर को बर्ड फ्लू से बचाने के प्रयास पहले ही शुरू कर दिए गए हैं।
जब से कौओं में ‘एच-5 एन-8’ वायरस का पता चला, तब से ही लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के अधीन कार्यरत पशु चिकित्सा विभाग और अन्य संबंधित विभाग सक्रिय हो गए। प्रशासन भी अलर्ट मोड पर है।
हालांकि, इन्फ्लुएंजा और वायरस से पक्षियों में केवल कौओं की ही मौत हुई है, लेकिन वेटनरी विभाग के डॉक्टर्स ने जहां अधिक पक्षी रहते हैं, उन इलाकों को भी अलर्ट कर दिया। पॉल्ट्री फॉर्म में पलने वाले मुर्गा-मुर्गियों को लेकर भी प्रशासन ने मालिकों को ताकीद कर दिया कि बर्ड फ्लू के लक्षण सामने आएं, तो तुरंत सूचित करें क्योंकि पक्षियों के लिए जानलेवा वायरस पूरे सिस्टम को प्रभावित कर सकता है।
डॉ. कुमुद शर्मा, संचालक, पशु चिकित्सा विभाग ने बताया कि जब से डेली कॉलेज में कौओं की मौत की जानकारी मिली, तब से ही पक्षियों को बचाने के लिए सैम्पलिंग के अलावा सैनेटाइज किया जा रहा है। चिड़ियाघर सहित जिन स्थानों पर अधिक संख्या में पक्षी रहते हैं, वहां फॉगिंग कर दवाइयों का छिड़काव करवाया जा रहा है। इसके अलावा पक्षियों की लगातार सैम्पलिंग भी की जा रही है। जिन कौओं की मौत बर्ड फ्लू के वायरस से हुई है, उन्हें प्रोटोकॉल के तहत 10 फीट गहरे गड्ढे में दफनाया जा रहा है ताकि पक्षियों सहित आम मनुष्य पर इसका प्रभाव न पड़े।
उन्होंने बताया कि जिस तरह से सांस के जरिये कोरोना फैलता है। उसी तरह से पक्षियों में बीमारी का फैलाव हो रहा है। खासकर उन पक्षियों में जो पालतू नहीं हैं बल्कि फ्री बर्ड की श्रेणी में आते है। हालांकि, अब तक कोई ऐसे लक्षण और जानकारी सामने नहीं आई है जिससे ये कहा जा सके कि ये वायरस मनुष्यों में भी फैल रहा है।
इंदौर में बीते 16 साल से बर्ड वाचर (पक्षियों को देखकर अध्ययन करने वाले) के रूप में काम करने वाले अजय गढ़ीकर ने हैरान कर देने वाली जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि ये जरूरी नहीं है कि बर्ड फ्लू केवल पक्षियों में होता है। हालांकि, इंसानों में अब तक ऐसे मामले देखने को नहीं मिले हैं, लेकिन चीन में एक-दो केस ऐसे सामने आए हैं। लिहाजा लोगों को भी सतर्क रहना चाहिए।
गढ़ीकर ने बताया कि घूमने-फिरने वाले पक्षियों से ये फ्लू स्थानीय पक्षियों में आता है और यहीं से पॉल्ट्री में भी फ्लू फैलता है। बर्ड फ्लू को रोकने का साधन तो नहीं है, लेकिन पशु-पक्षियों में जो सेल्फ हीलिंग पावर होती है उससे ही यह नियंत्रण में आता है।
पॉल्ट्री सहित अन्य स्थानों पर एंटी वायरल दवाइयों के छिड़काव से बचा जा सकता है। बर्ड वॉचर ने यह भी बताया कि कौओं के अलावा अन्य पक्षियों में फ्लू फैलने की पूरी आशंका है। लिहाजा सभी को सतर्क रहने की आवश्यकता है। जिस किसी को भी मृत पक्षियों की जानकारी मिले तो उन्हें तत्काल संबंधित विभाग को सूचना देना चाहिए।
फिलहाल, इंदौर में अबूझ बीमारी ने अब तक 155 कौओं की जान ले ली है जिसके कारण पशु चिकित्सा विभाग अलर्ट पर है। जानकारों द्वारा अंदेशा ये भी जताया जा रहा है कि इस बीमारी से मनुष्य भी प्रभावित हो सकते हैं।
मुर्गियों और संक्रमित पक्षियों के पास रहने से मनुष्य पीड़ित हो सकते हैं। इसका वायरस आंख, मुंह और नाक के जरिये उनके शरीर में प्रवेश कर जाता है।