इंदौर। दो बैंकों के निजीकरण के विरोध में बैंकों में दो दिन की देशव्यापी हड़ताल सोमवार से शुरू हुई, जिसका असर इंदौर शहर में भी देखने को मिला।
यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस के आह्वान पर हो रही इस हड़ताल के कारण शहर में करीब 600 बैंक शाखाओं के ताले नहीं खुले। इन बैंकों के 4800 अधिकारी-कर्मचारी हड़ताल पर रहे, जिसके कारण चेक क्लियर नहीं हो पाए। हालांकि, बैंकों की एटीएम सेवा जारी रहीं।
हड़ताल कर रहे बैंक कर्मचारियों ने निजीकरण को धोखा बताया और कहा कि जितना जुल्म हमपर किया जाएगा, हम उतना ही उठकर लड़ेंगे। हड़ताल में शामिल बैंककर्मी कमल जोशी ने बताया कि मोदी सरकार ने कुछ बैंकों के निजीकरण की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसी के विरोध में यह हड़ताल है।
निजीकरण होने से किसी का भी भला नहीं होना है। पहले जब बैंक धन्ना सेठों के अधीन थे तो किसी गरीब व्यक्ति की हिम्मत नहीं होती थी कि वह बैंक के भीतर पैर रख दे। जिन कर्मचारियों को सुस्त कहा जा रहा है, ये वहीं कर्मचारी हैं जिन्होंने करोड़ों जनधन के खाते खोले।
कोरोना काल मे रात-दिन एक कर सभी को उनके रुपये दिए। हमारी मांगें नहीं मानी गईं तो आंदोलन तेज होगा। हमारा नारा है कि जुल्म किया तो और लड़ेंगे, और किया और और लड़ेंगे।
बैंक का निजीकरण तो हम किसी हालत में नहीं होने देंगे, चाहे फिर किसी भी हद तक जाना पड़े। राष्ट्रीकृत होने के बाद ही बैंक आज गांव-गांव तक पहुंची हैं, क्योंकि इसमें यह नहीं देखा जाता है कि कहां फायदा होगा और कहां नुकसान जबकि निजीकरण होने पर सबसे पहले यह देखा जाएगा।
बैंककर्मी मेहनत के साथ काम कर रहे हैं। बैंक घाटे में नहीं हैं। सरकार बस उन धन्ना सेठों से बैंकों के रुपये रिकवरी करवा दे, जो लोन के नाम पर बड़ी रकम डकार कर बैठे हैं। ऐसा हुआ तो बैंक खुद-ब-खुद फायदे में आ जाएंगी।
हड़ताल का नेतृत्व करने वाली यूएफबीयू संस्था 9 यूनियनों का नेतृत्व करती है। सदस्यों में ऑल इंडिया बैंक इम्प्लॉइज एसोसिएशन, ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कन्फेडरेशन, नेशनल कन्फेडरेशन ऑफ बैंक इम्प्लॉइज, ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन, बैंक इम्प्लॉइज ऑफ इंडिया, भारतीय राष्ट्रीय बैंक कर्मचारी महासंघ, भारतीय राष्ट्रीय बैंक अधिकारी कांग्रेस, नेशनल बैंक ऑफ बैंक वर्कर्स और नेशनल ऑर्गेनाइजेशन ऑफ बैंक ऑफिसर्स शामिल हैं।
यूनियन के संयोजक मोहनकृष्ण शुक्ला ने बताया कि
इस हड़ताल में को-ऑपरेटिव और कुछ निजी बैंक शामिल नहीं हैं, लेकिन बाकी सभी बैंक बंद हैं। हड़ताल के कारण इंदौर में हर दिन होने वाला करीब 400 करोड़ का लेन-देन प्रभावित होगा, चेक भी क्लियरिंग में नहीं आ सकेंगे। कोरोना के कारण कोई सभा और रैली नहीं निकाली जा रही है। अलग-अलग परिसरों में हड़तालकर्मियों ने पोस्टर, बैनर लेकर मांगों के लिए सुबह 11 बजे से प्रदर्शन किया।