महू के राजनीति में दल बदल के समीकरणों की चर्चा हर चौराहे पर होने लगी है और इसके असर भी नजर आने लगे हैं। हालही में भगवाधारी बने कांग्रेस के पुराने नेता अंतर सिंह दरबार, पूर्व मंत्री और मौजूदा विधायक उषा ठाकुर से मिलने पहुंचे थे। ठाकुर उनसे नाराज़ बताई जा रहीं थी लेकिन दरबार भाजपा की रीति-नीति समझने लगे हैं और इसीलिए उषा ठाकुर जिन्होंने दरबार को दो बार बुरी तरह हराया उनसे किसी भी तरह रंज न रखते हुए दरबार उनसे मिलने पहुंच गए।
बीते साल चुनावों से पहले अंतर सिंह दरबार खुद इस बात की शिकायत कर रहे थे कि उषा ठाकुर ने कभी भी विधानसभा में विकास कार्य़ों के लिए विपक्ष के किसी दूसरे नेता से राय नहीं ली और उनसे तो बात तक नहीं की। अब भाजपा में आने के बाद शायद दरबार अपने उसी विचार के तहत ठाकुर से मिलने पहुंचे हैं। ठाकुर ने भी उनका खूब स्वागत किया। हालांकि जब चुनावों से ठीक पहले जब राम किशोर शुक्ला भाजपा से कांग्रेस में आए थे तो दरबार ने उनके लिए ऐसी दरियादिली नहीं दिखाई थी। कांग्रेसी कहते हैं कि अगर ऐसा बड़ा दिल तब दिखाया होता तो उन्हें अब इस तरह न झुकना पड़ता।
इस संबंध में कैलाश पांडे ने कहा है कि दरबार का पार्टी बदलने गलत है इस प्रकार के अन्य से आम कार्य करता हूं वन नागरिकों का सामाजिक राजनीतिक क्षेत्र में विश्वास कम हो जाता है उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए था
विधानसभा के कांग्रेस नेता बैकुंठ पटेल ने कहा कि कांग्रेस ने दरबार को पूरा सम्मान दिया लगातार पांच बार टिकट देकर एक विश्वास बनाया था लेकिन उनका यह निर्णय आश्चर्यजनक है उनके पार्टी बदलने से एक नई कांग्रेस का उदय होगा।
दरबार के जाने को लेकर लोगों में कई तरह के विचार हैं। कई लोग इसे नुकसान बता रहे हैं तो बहुत से जिनमें कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता भी शामिल हैं इसे अच्छा मौका बता रहे हैं। उनका कहना है कि अंतर सिंह दरबार ने बीते तीन दशकों में कांग्रेस में कोई दूसरा बड़ा नेता पनपने नहीं दिया। यह हाल न केवल विधानसभा में था बल्कि जनपद और नगर पालिका स्तर पर भी था। कांग्रेसियों में आम समझ है कि दरबार के रहते दूसरे नेताओं का नाम भोपाल और दिल्ली तक पहुंचना मुश्किल था।
हालांकि यह बात उतनी ही सही है कि दरबार कांग्रेस के सबसे ज्यादा जुझारू नेता थे और उनके जैसे नेता के इस तरह जाने से कांग्रेसी खेमा खाली होता नजर आ रहा है। जबकि भाजपा के नेता कार्यकर्ता इन आने वाले कांग्रेसियों को पचा नहीं पा रहें हैं।
प्रदेश कांग्रेस सचिव रहे नवीन सैनी कहते हैं कि वर्तमान समय में कांग्रेस की स्थिति खराब है और कांग्रेस में लगातार पांच बार आपको (दरबार को) टिकट देकर एक विश्वास जताया था उनको मान सम्मान दिया है ऐसे में उनका यह निर्णय पूरी तरह गलत है।
महू की राजनीति की हलचल विधानसभा चुनाव से ही शुरू हो गई थी, दल बदल के चर्चे आम हो गए थे लेकिन दो दिन पहले ही कांग्रेस के कद्दावर नेता अंतर सिंह दरबार का भाजपा में जाना तहसील के हर चौराहा की चर्चा बन गया है। दरबार में कांग्रेस के चुनाव चिन्ह पर पांच बार चुनाव लड़ा जिसमें दो बार जीते और तीन बार हारे।
इस बारे में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कैलाश पांडे ने कहा है कि दरबार का पार्टी बदलने गलत है। इस प्रकार के कृत्य से आम नागरिकों का सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्र में विश्वास कम होता है उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए था।
इसके बाद भी उन्हें कांग्रेस से एक और मोके की उम्मीद थी जबकि पिछली बार उन्होंने टिकट नहीं मिलने पर निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ा। इस चुनाव में उन्होंने अपनी ताकत व उपस्थिति भी दर्ज कर दी लेकिन दो दिन पूर्व भाजपा की सदस्यता लेने पर अंतर सिंह दरबार के प्रति जो समर्थन व सम्मान का भाव था, वह कम हो गया। आम नागरिकों का कहना है कि दरबार को भाजपा के सदस्यता नहीं लेनी थी, कुछ कांग्रेसियों ने यह भी कहा कि पिछले 30 साल से अंतर सिंह दरबार पार्टी में एक बरगद की पेड़ की तरह हो गए थे जो किसी अन्य को पनपने नहीं दे रहे थे। अब उनके जाने से कम से कम अन्य नेताओं को तो मौका मिलेगा।
दरबार के भाजपा में प्रवेश से विधायक उषा ठाकुर व उनके समर्थक भी खासे नाराज हैं। गत दिनों संपन्न कार्यकर्ताओं की बैठक में कुछ कार्यकर्ताओं ने गुस्से में यहां तक कहा कि अंतर सिंह दरबार ने अपने कांग्रेस के कार्यकाल के दौरान निनामा हत्याकांड में कई भाजपाइयों के नाम दर्ज कराए थे और उन्हें परेशान किया था, ऐसे में उन्हें भाजपा में लेना गलत है। वहीं यह भी चर्चा है कि अब नए समीकरणों के चलते विधायक उषा ठाकुर का गुट व दरबार का गुट अलग काम करेगा। उषा ठाकुर के समर्थकों का कहना है कि दरबार अगर कोई आयोजन करते हैं तो हम उनके कार्यक्रम में नहीं जाएंगे और ना ही उन्हें अपने कार्यक्रम में बुलाएंगे।
जनपद अध्यक्ष पर नजर: कहा जा रहा है कि दरबार के भाजपा में जाने के बाद वह महू जनपद अध्यक्ष पद पर अपने समर्थक को बैठना चाहते हैं। कहा जा रहा है कि आने वाले कुछ दिनों में दरबार समय तक जनपद सदस्य व सरपंच अध्यक्ष सरदार मालवीय के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पत्र लाकर उन्हें हटा देंगे व दरबार समर्थक को अध्यक्ष बना दिया जाएगा
खुद का महत्व कम किया: अंतर सिंह दरबार के भाजपा में जाने से राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि दरबार ने भाजपा के वरिष्ठ नेता भेरूलाल पाटीदार को दो बार पराजित किया जबकि कैलाश विजयवर्गीय जैसे नेता को चुनाव में कड़ी टककर दी अब उनके ही नेतृत्व में काम करना पड़ेगा। वहीं दूसरी ओर यह भी चर्चा है कि कैलाश विजयवर्गीय ने आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर अभी से महू में राजनीतिक जमीन तैयार कर ली है क्योंकि वह आकाश विजयवर्गीय को महू से चुनाव लड़वाना चाहते हैं और ऐसे में आकाश को कोई टक्कर दे सकता था तो वह दरबार ही थे लेकिन उन्हें भी अपने पाले में लेकर आकाश विजयवर्गीय के लिए रास्ता साफ कर दिया। हालांकि आगामी में विधानसभा चुनाव में भाजपा किसे अपना उम्मीदवार बनाएगी यह समय के साथ ही पता चलेगा। हालांकि यह तय है कि विधायक उषा ठाकुर को महू विधानसभा में अपने ही पार्टी के नवागत सदस्य व कार्यकर्ताओं से कड़ी टक्कर लेनी होगी।
कांग्रेसियों की नाराजगी: महू तहसील के वरिष्ठ कांग्रेसी नेता दरबार के भाजपा में जाने से काफी नाराज हैं। दरबार के सबसे करीबी माने जाने वाले कई वरिष्ठ नेताओं ने कहा कि गत विधानसभा चुनाव में टिकट नहीं मिलने के बावजूद हमने अंतर सिंह दरबार का व्यक्तिगत रूप से साथ दिया था लेकिन उनके भाजपा में जाने से अब उनके साथ नहीं रहेंगे। ऐसे वरिष्ठ नेताओं का यह भी कहना है कि दरबार को भाजपा में न जाते हुए घर बैठ जाना था क्योंकि वह एक वरिष्ठ नेता हैं लेकिन भाजपा में जाने से वह एक नाम मात्र के कार्यकर्ता बनकर रह जाएंगे। शुक्रवार को दिए गए एक बयान में दरबार ने कहा था कि अब कांग्रेस पार्टी में प्रजातंत्र नहीं बचा है तथा राम मंदिर के निमंत्रण को ठुकराना भी भाजपा में जाने का एक कारण था लेकिन वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि कांग्रेस पार्टी ने दरबार की लगातार हार के बावजूद उन पर विश्वास किया और टिकट दिया ऐसे में पार्टी के लिए शब्द उचित नहीं थे।