इंदौर। महू में चौदह अप्रेल को डॉ. आंबेडकर की जयंती पर हजारों अनुयायियों ने स्मारक पहुंच कर माथा टेका। इस दाैरान पहली बार प्रदेश के तीन-तीन मुख्यमंत्री मौजूद रहे। यहां मौजूदा और पूर्व मुख्यमंत्री दोनों ही ने कुछ बड़ी धोषणाएं कीं। आंबेडकर स्मारक समिति में बदलाव का रंग साफ तौर पर इस कार्यक्रम में भी नज़र आया।
यह समारोह पिछले वर्षों में होने वाले आयोजन से काफी हद तक अलग था। यहां नई व्यवस्था थी तो पहली बार भोजन परोसने में अव्यवस्था भी नज़र आई। जहां लोग भोजन मिलने की शिकायत करते दिखाई दिये। कार्यक्रम में बाबासाहेब के पोते भीमराव आंबेडकर भी पहुंचे लेकिन वे मंच पर नहीं गए और समिति से लड़ाई लड़ रहे पूर्व सदस्य मोहनराव वाकोड़े के साथ बने रहे। आंबेडकर घराना मौजूदा समिति से नाराज़ बताया जाता है।
आंबेडकर स्मारक पर सबसे पहले पहुंचने वाले नेताओं में भाजपा के महासचिव कैलाश विजयवर्गीय रहे। वे यहां अपने कुछ सर्मथकों के साथ सुबह करीब नौ बजे ही माल्यार्पण कर लौट गए। इसके बाद स्थानीय विधायक मंत्री उषा ठाकुर भी यहां पहुंची। इसके बाद समारोह स्थल पर भीड़ बढ़ी और कांग्रेसी नेताओं का पहुंचना शुरु हो गया। यहां पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, कमलनाथ भी थे।
कमलनाथ के दौरे के दौरान अच्छी संख्या में कांग्रेसी नेता मौजूद रहे। इस दौरान उनकी कैबिनेट में मंत्री रहे जीतू पटवारी, बाला बच्चन, सज्जन सिंह वर्मा जैसे कई नेता उनके साथ चल रहे थे। वहीं दिग्विजय सिंह के साथ उनके अपने सर्मथक रहे। दिग्विजय सिंह ने यहां अपने उपर खरगोन दंगों के मामले में सरकार द्वारा एफआईआर की बात पर भी बात की। भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के बारे में उन्होंने कहा कि कैलाश से कहिये कि उन पर और एफआईआर करवा दें। उन्होंने कहा कि यह खतरे कि बात है कि संवैधानिक संस्थाओं पर एक विचारधारा के लोग कब्जा करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान बचाओ और देश बचाओ।
इससे पहले एक और विवाद यहां होते-होते रह गया। दरअसल जब प्रतिमा पर माल्यार्पण के लिए दिग्विजय सिंह पहुंचे तो उनके साथ काफी संख्या में कांग्रेसी भी थे। यहां माल्यार्पण के लिए संघ के कार्यकर्ता लाईन लगाकर खड़े थे। जिन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री से कह दिया कि हम पहले से लाईन में खड़े हैं आप पीछे आईए।
इस पर कुछ कार्यकर्ता विवाद करने लगे लेकिन दिग्विजय सिंह ने संयम बरतते हुए कार्यकर्ताओं को चुप करा दिया और संघ कार्यकर्ताओं के बाद में माल्यार्पण किया। इसके बाद प्रथम मंजिल पर कांग्रेस के नेता नाराज हो कर अनुयायियों को कुछ कहने लगे तो उन्होंने कार्यकर्ता को डांट कर बाहर कर दिया था। इस तरह दिग्विजय सिंह किसी तरह यहां विवाद टालते नजर आए।
मुख्यमंत्रियों की घोषणाएं… इस समारोह में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान दोपहर करीब सवा बारह बजे पहुंचे। आंबेडकर प्रतिमा को पुष्पांजलि के बाद उन्होंने मंच से घोषणाएं की। इनमें सबसे अहम घोषणा आंबेडकर स्मारक को मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन यात्रा से जोड़ने की थी। सीएम ने कहा कि अब तीर्थ दर्शन योजना के तहत यहां श्रद्धालुओं के आने-जाने का खर्च राज्य सरकार उठाएगी। यही नहीं डॉ. आंबेडकर के पंच तीर्थ के लिए भी प्रदेश सरकार यह सुविधा देगी।
स्मारक समिति द्वारा लोगों के ठहरने के लिए भवन बनाने की गई मांग पर भी उन्होंने जिला कलेक्टर मनीष सिंह को इस काम ज़िम्मा सौंपा। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की जमीन खोजी जाएगी और वहां एक धर्मशाला बनाकर स्मारक तक आने वाले लोगों के लिए रुकने की सुविधा की जाएगी।
इससे पहले पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि डॉ. आंबेडकर एक मानवतावादी थे और वे चाहते हैं कि आंबेडकर की एक विशाल प्रतिमा भोपाल में स्थापित की जाए। इसके लिए एक समिति बनाई जाएगी।
यहां चर्चा आंबेडकर समिति की भी रही। जिन्होंने पहली बार लोगों को संभालने के लिए बाउंसरनुमा कुछ लोग खड़े कर रखे थे। हालांकि यहां पुलिस पहले से मौजूद थी लेकिन समिति की ओर सुरक्षा के कुछ अपने इंतज़ामों के तहत ये किया गया। मुख्यमंत्री ने प्रशासन के साथ समिति के सचिव राजेश वानखेड़े को आयोजन की तैयारियों के लिए बधाई दी।
आयोजन समिति में बदलाव का असर साफ नज़र आया। इस बार मंच पर भारतीय जनता पार्टी के नेताओं की अधिकता रही। पहले की तरह आंबेडकरवादी नेताओं की तस्वीरें यहां कम थीं। स्मारक समिति के सदस्य मंच से भाषण दे रहे थे और बार-बार कह रहे थे कि यह बदलाव नई समिति ने किया है।
उम्मीद से ज्यादा पहुंच गए लोग … तेरह अप्रेल तक अनुयायियाें की संख्या काफी कम थी जिसे देख कर उम्मीद की जा रही थी कि अगले दिन भी यह संख्या कम ही रहेगी लेकिन चौदह अप्रेल को अचानक यह बात गलत साबित हो गई। इसका सीधा असर भोजन शाला पर पड़ा। यहां दोपहर को हजारों की संख्या में अनुयायी पहुंच रहे थे।
भोजनशाला में बैठे बावर्ची इसके लिए तैयार नहीं थे ऐसे में खाना कम पड़ गया और फिर आनन-फानन में फिर तेजी से रसोई तैयार की गई। इस दौरान बहुत से लोगों को भोजन के लिए खासा इंतजार करना पड़ा। इस दौरान इंदौर प्रशासन की ओर से कोई भी ज़िम्मेदार अधिकारी यहां मौजूद नज़र नहीं आया।
इससे पहले तेरह अप्रैल की रात बारह बजे हर बार की तरह समता सैनिक दल ने गार्ड ऑफ आनर दिया तथा मानवंदना की। इस दौरान स्मारक पर शानदार विधुत सजावट की गई तथा फूलों से सजे स्मारक पर आतिशबाजी से सबका मन मोह लिया।सुबह शोभा यात्रा निकाली गई। स्मारक पर हजारों अनुयायियों के साथ कांग्रेस व भाजपा के नेताओं व कार्यकर्ताओं तथा आरएसएस के कार्यकर्ताओं ने माल्यार्पण कर श्रृद्धासुमन अर्पित किए।