
अंबेडकर जयंती महोत्सव में अभी करीब डेढ़ महीना बाकी है, लेकिन प्रशासन ने अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं। मंगलवार को एसडीएम राकेश परमार ने सभी विभागों के अधिकारियों की बैठक लेकर महोत्सव के लिए की जाने वाली व्यवस्थाओं को लेकर निर्देश दिए। हालांकि, जहां प्रशासन महोत्सव के लिए सक्रिय नजर आ रहा है, वहीं सालभर महू आने वाले अनुयायियों की दुर्दशा जस की तस बनी हुई है।
देशभर से बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर की जन्मस्थली महू पहुंचने वाले अनुयायियों को बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव झेलना पड़ रहा है। ठहरने की समुचित व्यवस्था नहीं, पीने का पानी नहीं, साफ-सुथरे शौचालय नहीं और न ही भोजन की कोई व्यवस्था—इन तमाम परेशानियों के बावजूद श्रद्धालु मजबूरी में खुले में गंदगी के बीच अपना खाना बनाने और खाने को मजबूर हैं।
तीन दिवसीय महोत्सव की तैयारियां शुरू
हर साल 14 अप्रैल को महू में डॉ. अंबेडकर की जयंती बड़े स्तर पर मनाई जाती है। इस अवसर पर लाखों श्रद्धालु देशभर से यहां आते हैं। इस बार भी तीन दिवसीय महोत्सव की तैयारियों के लिए प्रशासन ने कमर कस ली है। एसडीएम राकेश परमार ने संबंधित अधिकारियों को निर्देशित किया कि अनुयायियों के भोजन, पानी, टेंट, शौचालय और अन्य सुविधाओं की पर्याप्त व्यवस्था की जाए। बैठक के बाद अधिकारियों ने डॉ. अंबेडकर स्मारक परिसर और अन्य ठहरने वाले स्थानों का दौरा कर स्थिति का जायजा भी लिया।
सालभर अनुयायियों के लिए कोई सुविधा नहीं
महोत्सव के दौरान तो व्यवस्थाएं की जाती हैं, लेकिन सालभर यहां पहुंचने वाले अनुयायियों के लिए स्थानीय प्रशासन और अंबेडकर स्मारक समिति पूरी तरह उदासीन नजर आती है। श्रद्धालुओं को खुले में रहना पड़ता है, भोजन के लिए खुद इंतजाम करना पड़ता है और बुनियादी सुविधाएं भी नदारद रहती हैं।
- श्रद्धालुओं को सड़क किनारे और गंदगी के पास खाना बनाना पड़ रहा है।
- शौचालयों की हालत बेहद दयनीय है, लेकिन कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा।
- ठहरने की पर्याप्त व्यवस्था नहीं, लोग मजबूरी में खुले में रात गुजारते हैं।
- स्मारक परिसर दिनभर बंद रहता है, समिति सिर्फ महोत्सव के दौरान सक्रिय दिखती है।
अनुयायियों की मांग – कम से कम बुनियादी सुविधाएं तो दो
श्रद्धालुओं ने मांग की है कि प्रशासन और समिति कम से कम शौचालयों की सफाई और परिसर में खाने की अनुमति दे, ताकि वे सम्मानजनक रूप से यहां रुक सकें। अनुयायियों का कहना है कि महोत्सव के दौरान व्यवस्थाएं तो होती हैं, लेकिन बाकी समय उनके लिए कोई ध्यान नहीं दिया जाता।
स्थानीय प्रशासन द्वारा जो व्यवस्था की जाती है, वह सिर्फ तीन दिनों के लिए होती है। इसके बाद सभी सुविधाएं हटा दी जाती हैं और श्रद्धालुओं को फिर वही मुश्किलें झेलनी पड़ती हैं।
जरूरत है स्थायी समाधान की
अंबेडकर जयंती महोत्सव सिर्फ तीन दिनों का आयोजन नहीं, बल्कि यहां आने वाले श्रद्धालुओं के लिए सालभर सुविधाएं सुनिश्चित करने की जरूरत है। प्रशासन और अंबेडकर स्मारक समिति को यह समझना होगा कि महू सिर्फ महोत्सव के दौरान नहीं, बल्कि पूरे सालभर श्रद्धालुओं का केंद्र रहता है।
अगर स्थायी टेंट, भोजनालय, स्वच्छ पेयजल, साफ-सुथरे शौचालय और बैठने के लिए छायादार स्थानों की व्यवस्था की जाए, तो यह श्रद्धालुओं के लिए बड़ी राहत होगी। प्रशासन को चाहिए कि वह सिर्फ महोत्सव तक सीमित न रहे, बल्कि स्थायी सुविधाओं की व्यवस्था करे, ताकि बाबा साहेब के अनुयायियों को सम्मान के साथ महू आने का अवसर मिले।