आंबेडकर जयंती पर महू पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की संख्या रही कम, व्यवस्थाओं पर स्मारक समिति का विवाद हावी नज़र आया


18-20 हजार लोग ही पहुंचे, स्मारक समिति के विवादों के चलते अफसर भी रहे परेशान


अरूण सोलंकी
इन्दौर Published On :

डॉ. आंबेडकर की जयंती पर महू में होने वाला जन्मोत्सव समारोह इस बार कुछ फीका नजर आया। इस बार यहां पहुंचने वाले आंबेडकर अनुयायियों की संख्या चालीस और पचास हज़ार से घटकर केवल बीस हजार के आसपास ही लोग पहुंचे।

बताया जाता है कि इसका मुख्य कारण प्रदेश स्तर के नेताओं का ना आना तथा अंबेडकर समिति का विवाद भी रहा। इस आयोजन का मुख्य आकर्षण शोभा यात्रा होती है जो इस बार विवादों के चलते जयंती वाले दिन नहीं निकाली गई।

हालांकि स्मारक पर दूसरे शहरों और प्रदेशों से आने वाले अनुयायियों का सिलसिला 12 अप्रैल से ही शुरू हो गया था। 14 अप्रैल की दोपहर तक इनकी संख्या करीब अठारह हजार तक रही। इनमें से भी पहली बार आने वाले अनुयायियों की संख्या ज्यादा थी। स्वर्ग मंदिर परिसर में बने बना भोजनशाला पंडाल भी खाली नजर आया। वहीं अनुयायियों के ठहरने के लिए स्कूलों में जो व्यवस्था की गई थी वहां भी लोगों की संख्या काफी कम रही। इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री मोहन यादव को भी आना था लेकिन वे नहीं पहुंचे।

अधिकांश अनुयायियों ने पूछने पर बताया कि उन्हें स्मारक समिति के विवादों से कोई लेना-देना नहीं है वे अपनी आस्था के कारण यहां आए हैं। राजनीतिक दलों के नेता यहां पहुंचे और अपने अपने ढंग से डॉ. आंबेडकर की बात करते नजर आए।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एक जुट होकर यहां पहुंचे, जिसमें उमंग सिंगार, लोकसभा प्रत्याशी राधे श्याम मुवेल, कैलाश दत्त पांडे, प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता योगेश यादव, बैकुंठ पटेल, मनमोहन गुणावत, पुनीत शर्मा, पप्पू खान आनंद गोग्लिया, दिनेश करोसिया आदि शामिल थे। वहीं भाजपा के नेता अलग-अलग गुटों में यहां माथा टेकने पहुंचे। इनमें उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा, मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, राज्यसभा सांसद कविता पाटीदार, लोकसभा प्रत्याशी सावित्री ठाकुर, जनपद अध्यक्ष सरदार मालवीय, नए नए भाजपाई बने अंतर सिंह दरबार, मुकेश शर्मा, भाजपायुमो के मनोज ठाकुर शामिल रहे।

इनके अलावा महार रेजीमेंट मराठा रेजीमेंट के पूर्व सदस्य के साथ समता सैनिक दल कैसे निक तथा राष्ट्रीय स्वयंसेवक के कार्यकर्ताओं ने बाबा साहेब को श्रद्धा सुमन अर्पित कर माथा टेका। आचार संहिता के कारण इस वर्ष कोई सभा नहीं होने थी लेकिन इसके बावजूद राज्य शासन के ठीक सामने बड़ा पंडाल वह मंच बनाया। जिसमें सैकड़ों कुर्सियां रखी गईं थीं लेकिन यह स्थान खाली रहा।

स्थानीय प्रशासन के अधिकारियों को भी पूरे समय इस बात की चिंता थी कि आपसी विवादों के चलते स्मारक समिति के सदस्य आपस में भिड़ ना जाएं। हालांकि ऐसा नहीं हुआ। खराब स्वास्थ्य के चलते स्मारक के समिति के अध्यक्ष भी इस बार अनुयायियों से नहीं मिल सके। 13 अप्रैल की रात 12 बजे होने वाली आतिशबाजी के लिए पटाखे भी अंतिम समय पर पहुंचे।

इससे पहले जयंती की पूर्व रात्रि 13 अप्रैल को समता सैनिक दल ने कैंडल मार्च निकाला और जन्मभूमि स्मारक पर 12.01 बजे गॉर्ड ऑफ़ ऑनर दिया। इसके साथ ही भव्य आतिशबाजी भी की गई। मेमोरियल सोसायटी के अध्यक्ष के साथ समता सैनिक दल के राष्ट्रीय संयोजक सुनील सारीपुत्र, बाबा साहेब पौत्र एवं समता सैनिक दल के राष्ट्रीय चीफ कमाडिंग ऑफिसर आरडी भंडारे, बीएच गायकवाड़,  स्मारक समिति के पूर्व सचिव मोहन राव वाकोड़े इस दौरान मौजूद रहे।


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