यह मामला 26 जून 2019 का है, जब इंदौर के गंजी कंपाउंड में जर्जर मकान को गिराने की कार्रवाई के दौरान आकाश विजयवर्गीय ने क्रिकेट बैट से नगर निगम के अधिकारियों पर हमला किया था। इस घटना का वीडियो वायरल हो गया था, जिसके बाद देशभर में इसकी चर्चा हुई थी। घटना के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ और गृह मंत्री बाला बच्चन ने मामले को गंभीरता से लिया था। इस मामले में आकाश विजयवर्गीय को जेल भी जाना पड़ा था।
मामले की सुनवाई के दौरान नगर निगम के जोनल अधिकारी धीरेंद्र बायस, जो इस केस के फरियादी थे, ने कोर्ट में अपने बयान से पलटते हुए कहा कि आकाश ने उन पर बल्ले से हमला नहीं किया था। आकाश विजयवर्गीय के वकीलों ने कोर्ट में दलील दी कि वायरल वीडियो को एडिट किया गया था और उसकी फोरेंसिक जांच भी नहीं की गई थी। इसके आधार पर कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए आकाश विजयवर्गीय और अन्य आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया।
इस घटना के बाद आकाश विजयवर्गीय को राजनीति में भारी आलोचना का सामना करना पड़ा था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस घटना पर नाराजगी जताई थी। कैलाश विजयवर्गीय ने उस समय कहा था कि आकाश और नगर निगम अधिकारी दोनों ही कच्चे खिलाड़ी हैं, और उन्होंने निगम की बारिश में कार्रवाई को गलत ठहराया था। इस घटना के बाद आकाश विजयवर्गीय को 2023 के विधानसभा चुनावों में टिकट नहीं दिया गया था।
इस फैसले के बाद अब आकाश विजयवर्गीय और उनके समर्थकों ने राहत की सांस ली है, जबकि यह मामला एक बार फिर चर्चा में आ गया है और अब चर्चा कानून और रसूख के इर्द गिर्द घूम रही है।