कंप्यूटर बाबा पर दूसरे दिन भी कार्रवाई, इंदौर में करोड़ों की जमीन पर था कब्जा


इंदौर प्रशासन ने कार्रवाई से पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को इस बारे में जानकारी दी। बताया जाता है कि मुख्यमंत्री कार्यालय से इसके लिए पूरी तरह हरी झंडी दे दी गई और प्रशासन ने सुबह छह बजे कार्रवाई करने के लिए टीमों को बुलाया।


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इन्दौर Published On :
प्रशासन ने सोमवार को फिर हटाए कंप्यूटर बाबा के द्वारा किए गए अतिक्रमण


इंदौर। कंप्यूटर बाबा पर सोमवार को भी कार्रवाई जारी रही। इंदौर प्रशासन ने सोमवार को कंप्यूटर बाबा के द्वारा सुपर कॉरिडोर में किए गए अतिक्रमण पर कार्रवाई शुरु कर दी। इस दौरान बड़ी संख्या में प्रशासनिक अमला और पुलिस बल यहां मौजूद रहा। यहां किए गए अतिक्रमण को कुछ भी देर में पूरी तरह ढ़हा दिया गया। इसके बाद प्रशासन ने अंबिकापुरी एक्सटेंशन मंदिर में भी कार्यवाही की।

कंप्यूटर बाबा ने इंदौर विकास प्राधिकरण की योजना 151 क्षेत्र में करीब बीस हजार वर्ग फुट जमीन पर कब्जा कर रखा था। प्रशासन के मुताबिक यह जमीन करीब पांच करोड़ रुपए के मूल्य की हो सकती है।

इससे पहले रविवार को प्रशासन ने जंबूरी हप्सी गांव में कंप्यूटर बाबा के आश्रम पर कार्रवाई की थी।इस दौरान बड़े पैमाने पर बाबा द्वारा किया गया अतिक्रमण हटाया गया था।

करीब पांच घंटे तक चली इस कार्रवाई में दस ट्रक भरकर सामान आश्रम से बाहर निकाला गया जिसे आश्रम में रहने वाले एक दूसरे बाबा गंगादास के सुपुर्द कर दिया गया। इस सामान में टीवी, फ्रिज, एयर कंडीशनर, कुर्सियां-टेबल, कार, मोटरसाइकिल, किचन का सामान आदि कई दूसरे सामान शामिल थे।

प्रशासनिक कार्रवाई में हस्तक्षेप करने पर कंप्यूटर बाबा के अलावा उनके साथ ही संदीप द्विवेदी, राम चरण दास, मोनू पंडित, रामबाबू यादव सहित कुल सात लोगों को हिरासत में लिया गया था। जिन्हें एसडीएम ने जेल भेज दिया था।

इंदौर प्रशासन ने कार्रवाई से पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को इस बारे में जानकारी दी। बताया जाता है कि मुख्यमंत्री कार्यालय से इसके लिए पूरी तरह हरी झंडी दे दी गई और प्रशासन ने सुबह छह बजे कार्रवाई करने के लिए टीमों को बुलाया।

कंप्यूटर बाबा को इंदौर नगर निगम के द्वारा उनकी अवैध निर्माण हटाने के लिए एक नोटिस 4 महीने पहले दिया गया था जिसके बाद पता चला कि यह जमीन नगर निगम की सीमा में नहीं बल्कि ग्राम पंचायत जंबूरी हप्सी की सीमा में आती है। इसके बाद ग्राम पंचायत से प्रस्ताव पास करवाकर तहसीलदार कोर्ट में भेजा गया। यहां से प्रशासनिक कार्रवाई का रास्ता साफ हो गया।

 


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