मुरैना क्षेत्र में फर्जी दिव्यांग के प्रमाण पत्र बनाने का प्रमाण अब सरकारी जांच में पूरी तरह साफ दिखाई दे रहा है। मुरैना में बने ये फर्जी प्रमाण पत्र अब पकड़े जा रहे हैं। पटवारी परीक्षा में मुरैना जिले के दिव्यांगों के चयन का मामला अभी सुर्खियों में है और इसी दौरान शिक्षक भर्ती परीक्षा में पास विकलांग अभ्यर्थियों की भी खूब चर्चा है। उल्लेखनीय है कि 755 विकलांग अभ्यर्थियों में से करीब साढ़े चार सौ मुरैना से ही थे।
मुरैना जिले के रहने वाले 6 कर्मचारियों के खिलाफ़ धार जिला प्रशासन ने कार्रवाई के लिए अनुमोदन किया है। इन कर्मचारियों के दिव्यांग का प्रमाण पत्र के आधार पर नियुक्तियां हुई थी। मुरैना कलेक्टर ने जब इनकी जांच की तो पाया कि जिला चिकित्सा कार्यालय में विकलांग पंजी में इनकी नाम दर्ज नहीं हैं।
इसके बाद लोक शिक्षण संचालनालय और जनजातीय कार्य विभाग को इसकी जानकारी दी गई। जिसके बाद जनजातीय कार्य विभाग के सहायक आयुक्त ने धार जिले के सीएमएचओ को पत्र लिखकर नियुक्ति प्राप्त करने वाले अभ्यर्थियों के खिलाफ़ कार्यवाही के लिए कहा है।
इन छह कर्मचारियों में सभी माध्यमिक और प्राथमिक शिक्षक शामिल हैं। इनमें पंकज त्यागी, चंद्र मोहन शर्मा, सौरभ गुर्जर, ऋतु पाठक, शिवम कुमार और मनोरमा शर्मा शामिल हैं। यह शिक्षक तिरला, सरदारपुर, नालछा और धार ब्लॉक में पदस्थ है। हम इन सभी कर्मचारियों से इनके विकलांगता प्रमाण पत्र के गलत पाए जाने के संबंध में बात करने का प्रयास किया लेकिन किसी ने भी जवाब नहीं दिया।
ऐसे में एक बार फिर ग्वालियर मुरैना क्षेत्र में फर्जी प्रमाणपत्र बनाने की बात सही साबित होती दिखाई दे रही है। जानकारी की मानें तो यहां 10 से 20 हजार रु में ही यह प्रमाण पत्र बनाए जा सकते हैं। शिक्षक भर्ती परीक्षा में दिव्यांग अभ्यर्थियों में से अब तक 78 औपचारिक रूप से गलत पाए गए हैं इनके खिलाफ एफआईआर के आदेश भी हो गए हैं। ऐसे में धार जिला प्रशासन से की जा रही है कार्रवाई इन आरोपों की पुष्टि करती दिखाई दे रही है।