तेज़ बारिश में पुलिया से बह जाने के दो साल बाद भी अपने बेटे को खोज रहा एक पिता


हादसे को दो साल हो चले हैं। लेकिन हिमांशु के पिता कमल कदम, बहन भाग्यश्री और मां आज भी यही उम्मीद लगाए बैठे हैं कि शायद हिमांशु वापस आ जाए।


अरूण सोलंकी
इन्दौर Updated On :

 इंदौर। ये कहानी महू तहसील एक पिता की है जिनका बेटा ठीक 2 साल पहले 22 अगस्त 2020 को एक रपट पार करते समय हमेशा के लिए खो गया था। इसके बाद न वो नौजवान कहीं मिला और न ही उसके बारे में कोई ख़बर।

24 साल के उस नौजवान को आज भी उसके मां-बाप औद दोनों बहनें आज भी उसे खोज रहे हैं। वे कहते हैं कि आज भी जब फोन की कोई घंटी बजती है तो लगता है कि जैसे बेटे के लौटने की ख़बर है।

सिमरोल रोड निवासी कमल कदम का बेटा हिमांशु कदम दो साल पहले नौकरी से वापस घर आ रहा था। इस दौरान तेज बारिश होने के कारण उसने किशनगंज से जाने के लिए एक शॉर्टकट रास्ता अपनाया। इस दौरान वह सांतेर की पुलिया से गुज़रा।

पुलिया के उपर से पानी बह रहा था लेकिन हिमांशु ने उसे पार करने की सोची थी। इस दौरान उसे वहां मौजूद लोगों ने समझाया लेकिन वह जल्दी घर पहुंचना चाह रहा था।

पुलिया से गुजरते समय पानी का बहाव काफी तेज़ था और यह बहाव हिमांशु को भी बहा ले गया। वहां मौजूद लोग देखते रह गए और हिमांशु लहरों में गायब हो गया। इसके बाद लगातार खोजबीन जारी रही और हिमांशु का लैपटॉप और मोटरसाइकिल भी मिल गई लेकिन हिमांशु नहीं मिला।

खोजबीन लगातार 15 दिनों तक जारी रही। इस दौरान लगातार प्रशासन ने भी सहयोग किया तत्कालीन एसडीएम अभिलाष मिश्रा ने तो पूरी टीम ही इस काम के लिए तैयार कर दी थी लेकिन फिर भी हिमांशु नहीं मिला। उनके पिता कमल लगातार कई महीनों तक नाले के आसपास अपने बेटे को खोजते रहे लेकिन निराश रहे।

हिमांशु कदम

आज उस हादसे को दो साल हो चले हैं। लेकिन हिमांशु के पिता कमल कदम, बहन भाग्यश्री और मां आज भी यही उम्मीद लगाए बैठे हैं कि शायद हिमांशु वापस आ जाए।

कमल कदम बताते हैं कि उनके घर के किसी भी सदस्य की फोन की घंटी बजती है तो एक उम्मीद बंध जाती है। हिमांशु के जाने के बाद से ही कदम परिवार पर आर्थिक परेशानियों का पहाड़ टूट पड़ा है। मां और पिता दोनों ही बीमार हो गए और दोनों के ही ऑपरेशन करवाए, इसमें करीब छह लाख का खर्च हो गए।

इस बीच तीन लाख की मदद भी मिल गई लेकिन ये नाकाफी साबित हुई और अब परिवार पर तीन लाख रुपये का कर्ज़ है जिसे चुकाने के लिए वे दिनरात फर्नीचर बनाने का अपना काम करते हैं। वे कहते हैं कि अब उम्र हो चली है लेकिन कर्ज़ चुकाना मजबूरी है।

हिमांशु के बहने की उस घटना के बाद लोक निर्माण विभाग ने भी इस पुलिया पर सुरक्षा के लिए कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। यहां रेलिंग लगाई जानी थी जो नहीं लगी, सिर्फ दोनों ओर डेढ़ फुट के पिलर खड़े कर दिए गए हैं जो किसी भी तरह की सुरक्षा के लिए नाकाफी हैं। हालिया बारिश में पुलिस पर पानी तो नहीं आया लेकिन लोगों के दिलो-दिमाग पर हिमांशु का बहना आज भी कायम है।


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