नरसिंहपुरः केंद्र सरकार के निर्णय के खिलाफ़ डॉक्टर, कहा एलोपैथी को खत्म कर देंगे ऐसे तुगलकी फ़रमान


एसोसिएशन का कहना है कि भारत में मॉडर्न मेडिसिन को नीति आयोग और सेंट्रल काउंसिल ऑफ मॉडर्न मेडिसिन के द्वारा पछाडने की कोशिश हो रही है। मेडिकल शिक्षा से संबंधित सभी पद्धतियों को मिला कर जिस तरह से घालमेल किया जा रहा है वह खतरनाक है।


ब्रजेश शर्मा ब्रजेश शर्मा
घर की बात Updated On :

नरसिंहपुर। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने आक्रोश जताते हुए केंद्र सरकार पर यह आरोप लगाया है कि सरकार की दवा नीतियां इस तरह से बन रही है कि मॉडर्न मेडिसन अर्थात एलोपैथी खत्म हो जाएगी। आईएमए ने इस मामले में केंद्र सरकार के नाम ज्ञापन सौंपा  और चेताया कि अगर सरकार इस तरह का काम करेगी तो आइएमए में स्वास्थ्य सेवाएं ठप कर देगी।

आईएमए के सदस्य चिकित्सकों ने शुक्रवार को ज्ञापन सौंपने के साथ ही इस बात पर आक्रोश जताया कि केंद्र सरकार पिछले तीन वर्षों से मॉडर्न मेडिसिन को बाहर का रास्ता दिखा रही है। इसके लिए चाहे मेडिकल काउंसिल को भंग करने की बात हो या विदेशी डॉक्टर को प्रैक्टिस की अनुमति देने की बात या फिर आयुष अर्थात आयुर्वेद से जुड़े चिकित्सकों के द्वारा बिना अनुभव एलोपैथिक दवाइयां लिखने की बात, यहां तक कि हृदय रोग का उपचार भी ऐसे ही कराया जा रहा है।

एसोसिएशन का कहना है कि भारत में मॉडर्न मेडिसिन को नीति आयोग और सेंट्रल काउंसिल ऑफ मॉडर्न मेडिसिन के द्वारा पछाडने की कोशिश हो रही है। मेडिकल शिक्षा से संबंधित सभी पद्धतियों को मिला कर जिस तरह से घालमेल किया जा रहा है वह खतरनाक है।  इस समय पूरा देश एक भयंकर महामारी से जूझ रहा है इसलिए आईएमए ने सरकार की इस तरह की नीतियों के बावजूद अपने कार्य बंद नहीं किए लेकिन सरकार इससे यह ना समझे कि आईएमए देशव्यापी बंद नहीं करेगा।

उन्होंने कहा कि सरकार आम नागरिकों के बारे में सोचे और अपने तुगलकी फरमान वापस ले नहीं तो इंडियन मेडिकल एसोसिएशन कड़े कदम उठाएगा। जिसके लिए सरकार जिम्मेदार होगी। एसोसिएशन ने यह भी कहा कि आयुर्वेद एक उत्तम विद्या है जिसके जरिए जटिल बीमारियों का उपचार किया जा सकता है। यह तर्कसंगत है पर उसका लाभ लोगों को आसानी से मिले।

एसोसिएशन ने शुक्रवार 11 दिसंबर को आपातकालीन सेवाएं व कोविड-19 के अलावा सभी तरह की ओपीडी बंद रखने का आह्वान भी किया। नरसिंहपुर के डॉक्टरों ने आक्रोश जताया कि सरकार इस आदेश को वापस ले नहीं तो नागरिकों को होने वाली असुविधा के लिए वह जवाबदार होगी।

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के जिला शाखा के अध्यक्ष डॉ संजीव चांदोरकर, सचिव डॉ पराग पराड़कर, डॉ. आशीष उपाध्याय और अन्य सदस्यों ने इसे काले कानून की संज्ञा दी और जल्द सरकार को इस तरह की नीतियों को वापस लिए जाने की मांग की। एसोसिएशन के सदस्यों ने एडीएम मनोज ठाकुर को केंद्र सरकार के नाम ज्ञापन सौंपा।



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