हज़ार डॉक्टरों को छोड़ मंत्री जी की पत्नी बन गईं संयुक्त संचालक


नियमों के मुताबिक संयुक्त संचालक पद पर सिर्फ प्रथम श्रेणी अधिकारी को ही पदस्थ किया जा सकता है। इनमें वरिष्ठता क्रम में उप संचालक और उससे नीचे मुख्य चिकित्सा अधिकारी आते हैं।


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घर की बात Updated On :

भोपाल। स्वास्थ्य विभाग में भोपाल की जिला स्वास्थ्य अधिकारी नीरा चौधरी को क्षेत्रीय कार्यालय में संयुक्त संचालक बनाया गया है। चौधरी स्वास्थ्य मंत्री प्रभुराम पटेल की पत्नी हैं जिन्हें पदोन्नत कर यह पद दिया गया है। हालांकि मंत्री की पत्नी से पहले इस पद के लिए प्रदेश में करीब एक हज़ार दावेदार डॉक्टर थे।

दैनिक भास्कर की खबर के मुताबिक  वरिष्ठता सूची के आधार पर संयुरक्त संचालक के इस पद के लिए डॉ. नीरा चौधरी पर स्वास्थ्य विभाग कुछ ज्यादा ही मेहरबान दिखे।  स्वास्थ्य विभाग ने 2017 में प्रथम श्रेणी डॉक्टराें की अंतिम वरिष्ठता सूची जारी की थी। इसमें 1042 डॉक्टरों के नाम थे, लेकिन डॉ.  नीरा चौधरी का नाम नहीं था। उनकी नियुक्ति के लिए कुल 34 जिलों के सीनियर डॉक्टरों को दरकिनार किया गया है।

ज़ाहिर बात है कि इस तरह की नियुक्ति से दूसरे डॉक्टरों में नाराजगी है और इसका विरोध भी हो रहा है। अखबार के द्वारा जब इस मामले में जब स्वास्थ्य मंत्री से संपर्क किया गया तो उन्होंने कुछ भी कहने से मना कर दिया।

वहीं नईदुनिया अखबार की खबर में जब रिपोर्टर ने डॉ. नीरा चौधरी से बात की तो उन्होंने  कहा कि जिसे जो कहना हो, कहता रहे लेकिन वे इस बारे में कुछ नहीं कहना चाहती हैं। यहां विभाग के कमिश्नर  डॉ. संजय गोयल ने कहा कि किसी सीनियर डॉक्टर की अनदेखी नहीं की गई है और पूरी प्रक्रिया नियमानुसार की गई है।

इस बारे में प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अरुण यादव ने ट्वीट किया कि अंधा बांटे रेवड़ी फिर अपने-अपने को दे। बहुत से सीनियर डॉक्टर्स को बायपास करते हुए स्वास्थ्य मंत्री की पत्नी को प्रभारी संयुक्त संचालक बना दिया गया। इस संबंध में वहीं, सपना लोवंशी ने कहा कि वे इस बारे में बयान देने के लिए अधिकृत नहीं हैं। हालांकि नियुक्ति नियमानुसार हुई है।

नियमों के मुताबिक संयुक्त संचालक पद पर सिर्फ प्रथम श्रेणी अधिकारी को ही पदस्थ किया जा सकता है। इनमें वरिष्ठता क्रम में उप संचालक और उससे नीचे मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमएचओ) आते हैं। नीरा जिला स्वास्थ्य अधिकारी थीं और अकेले भोपाल में ही 70 से ज्यादा प्रथम श्रेणी डॉक्टर हैं फिर भी यह पद मंत्री की पत्नी को दिया गया।

खबर बताती है कि प्रदेश के 52 जिलों में से 34 ऐसे जिलें है, जहां पिछले एक साल में सीनियर डाॅक्टरों के बजाय जूनियर को सीएमएचओ बनाया गया है। इनमें शाजापुर में डाॅ. राजू निदारिया को सीएमएचओ बनाया गया है, जबकि वहां उनसे सीनियर तीन अन्य डाॅक्टर एसडी जायसवाल, सुनील सोनी और आलोक सक्सेना पदस्थ हैं।

इसी तरह खरगोन में रजनी डाबर को सीएमएचओ बनाया गया है, जबकि वहां एसएस चौहान, विजय फूलोरिया, राजेंद्र जोशी, डाॅ. कानूनगो, वंदना कानूनगो, इंदिरा गुप्ता और संजय भट्‌ट सीनियर हैं। बड़वानी का मामला भी ऐसा ही है। जहां डॉ. अनिता सिंगारे को सीएमएचओ बनाया है, जबकि वहां तीन डाॅक्टर उनसे सीनियर हैं।

 खबर में रतलाम का उदाहरण भी बताया गया है जहां छह सीनियर डॉक्टरों के उपर डाॅ प्रभाकर नानावरे को चार्ज दिया गया है। इसके अलावा धार, छतरपुर, दमोह, कटनी, रीवा, शहडोल समेत अन्य जिलों में पदस्थ सीएमएचओ से वरिष्ठ चिकित्सक पदस्थ हैं लेकिन उन्हें तवज्जो नहीं दी गई। कुछ दूसरे जिलों की स्थिति भी यही है।


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