तानसेन समारोह में हंगामा: व्यापम घोटाले के व्हिसलब्लोअर आशीष चतुर्वेदी को मंच से हटाया गया


ग्वालियर के तानसेन समारोह में व्यापम घोटाले के व्हिसलब्लोअर अशोक चतुर्वेदी को मंच से जबरन हटाए जाने का मामला सामने आया। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है, जिसमें चतुर्वेदी ने कहा, “यह तानसेन की तस्वीर है, बम नहीं।”


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ग्वालियर Published On :

ग्वालियर में आयोजित प्रतिष्ठित तानसेन समारोह के समापन कार्यक्रम के दौरान, व्यापम घोटाले के व्हिसलब्लोअर अशोक चतुर्वेदी के साथ धक्का-मुक्की का मामला सामने आया। चतुर्वेदी, जो इस आयोजन में तानसेन की तस्वीर लेकर श्रद्धांजलि देने मंच पर पहुंचे थे, को आयोजन से जुड़े एक व्यक्ति ने मंच से ज़बरदस्ती हटा दिया। यह घटना कैमरे में कैद हो गई और सोशल मीडिया पर तेज़ी से वायरल हो रही है।

 

“यह तस्वीर है, बम नहीं” 

घटना के वीडियो में, चतुर्वेदी उस व्यक्ति से भिड़ते हुए दिखाई देते हैं जिसने उन्हें मंच से हटाया। उन्होंने कहा, “यह तानसेन की तस्वीर है, बम नहीं।” इसके बाद चतुर्वेदी ने दोबारा मंच पर जाकर तानसेन की तस्वीर रखी और उसे माला पहनाकर श्रद्धांजलि दी।

 

सरकार पर लगाया लापरवाही का आरोप

इस घटना के बाद चतुर्वेदी ने फेसबुक पर पोस्ट कर राज्य सरकार और समारोह के आयोजकों पर गंभीर लापरवाही का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि इस तरह की घटनाएं न केवल आयोजन की गरिमा को ठेस पहुंचाती हैं, बल्कि भारतीय संस्कृति और तानसेन जैसे महान संगीतज्ञों के प्रति सम्मान की भी कमी दिखाती हैं।

 

तानसेन के जन्मस्थल को अतिक्रमण मुक्त कराने का अभियान

चतुर्वेदी लंबे समय से तानसेन के जन्मस्थल और ध्यान स्थल को अतिक्रमण मुक्त कराने के लिए अभियान चला रहे हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) और अन्य अधिकारियों को पत्र लिखकर तानसेन की जमीन को उसके वास्तविक स्वरूप में लौटाने की मांग की है। उन्होंने आरोप लगाया कि भूमाफिया ने तानसेन के ध्यान स्थल और उनके जन्मस्थान को अपने कब्जे में ले लिया है, जिससे ये स्थान उपेक्षा और प्रदूषण का शिकार हो गए हैं।

चतुर्वेदी ने सूचना के अधिकार (RTI) के तहत यह भी खुलासा किया कि पुरातत्व विभाग ने तानसेन की संपत्ति पर अतिक्रमण की बात मानी है।

 

सुरक्षा पर उठे सवाल

इस घटना ने तानसेन समारोह की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। एक राष्ट्रीय और सांस्कृतिक महत्व के आयोजन में ऐसी घटना होना सरकार और आयोजकों की तैयारियों पर बड़ा प्रश्नचिह्न लगाता है।

 

यह मामला न केवल सांस्कृतिक कार्यक्रमों की गरिमा को बनाए रखने के लिए एक गंभीर चेतावनी है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि सामाजिक मुद्दों और भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज़ उठाने वाले लोगों के साथ किस तरह का व्यवहार किया जा रहा है।

 



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