श्योपुर। प्रदेश के श्योपुर विधानसभा क्षेत्र में सड़क पर शव रख कर परिजनों के साथ प्रदर्शन कर रहे कांग्रेस विधायक बाबू जंडेल को पुलिस ने पीटा और साथ ही साथ लाठीचार्ज किया।
सात पेटी कथित अवैध शराब ले जाने पर हुई एफआईआर से परेशान धर्मेंद्र पारेता ने बुधवार को आत्महत्या कर लिया थी। परिजन व स्थानीय विधायक जंडेल शव सड़क पर रख कर प्रदर्शन कर रहे थे।
जानकारी के मुताबिक, कथित तौर पर एमपी पुलिस की प्रताड़ना से परेशान होकर कोटा के खतौली इलाके में ड्राइवर धर्मेंद्र पारेता (45 साल) ने मंगलवार दोपहर करीब साढ़े तीन बजे जहर खाकर सुसाइड कर लिया।
इसके बाद बुधवार शाम करीब चार बजे पीड़ित के परिवार वाले न्याय की मांग करते हुए शव लेकर एमपी के श्योपुर देहात के जलालपुरा चौकी पहुंचे और चौकी के सामने शव रखकर करीब एक घंटे तक प्रदर्शन किया।
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इस विरोध प्रदर्शन में मृतक के गांव के करीब 500 लोग शामिल हुए। शाम करीब पांच बजे हंगामा बढ़ता देख पुलिस ने आंसू गैस के गोले दोगे। फिर भी भीड़ काबू नहीं हुई तो पुलिस ने लाठियां बरसाईं।
बताया जा रहा है कि इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने भी पत्थर फेंके, जिसमें पुलिस की गाड़ियां क्षतिग्रस्त हो गईं। इस लाठीचार्ज में महिलाएं व बच्चे भी चोटिल हुए हैं। मौके पर श्योपुर के स्थानीय विधायक बाबूलाल जंडेल भी पहुंचे थे, उनकी भी पुलिस से बहस हुई।
प्रदर्शन कर रहे परिजनों का आरोप है कि मध्यप्रदेश पुलिस ने उनकी एक गाड़ी जब्त कर रखी है और उसे छोड़ने के एवज में रुपये मांग रहे थे व साथ ही साथ झूठा केस भी बना दिया है।
बताया जा रहा है कि सुसाइड से पहले धर्मेंद्र पारेता ने सोशल मीडिया पर लिखा है कि मेरी अर्थी को तब तक मत उठाना। जब तक इंसाफ नहीं मिल जाए। दारू का केस झूठा है।
धर्मेंद्र के पिता रघुनाथ प्रसाद ने बताया कि
बार-बार पुलिस वाले पैसा मांग रहे थे, लेकिन व्यवस्था नहीं हो रही थी इसलिए झूठा केस लगा दिया। केस के बाद से ही धर्मेंद्र परेशान हो गया था।29 अक्टूबर को उसने हाथ की नसें काटकर आत्महत्या की कोशिश की थी, लेकिन घरवालों को समय रहते पता लग गया। ऐसे में खतौली में ही उसका उपचार करवाया गया। इसके बाद मंगलवार को धर्मेंद्र ने जहर खा लिया। धर्मेंद्र के पास अपनी कार थी। वह भाड़े पर कार चलाकर गुजारा करता था।
परिजनों की मांग है कि परेशान करने वाले पुलिसकर्मी पर कार्रवाई की जाए।