भोपाल। उपचुनाव में इमरती देवी का नाम जितना लिया गया उतना तो दोनों पार्टियों के स्टार प्रचारकों को भी याद नहीं किया गया। इमरती देवी खुद के और दूसरों के द्वारा उन पर की गई टिप्पणियों को लेकर लगातार चर्चा में रहीं। चुनाव हारने के बाद अब एक बार फिर चर्चाओं में है।
इमरती देवी खुद को हारा हुआ नहीं बता रही है उनके मुताबिक तो उनकी जीत हुई है। ऐसे में इमरती देवी मंत्री पद छोड़ने के लिए तैयार भी नहीं है और न ही इस बारे में कुछ बोल रहीं हैं। अपनी हार को लेकर उन्होंने कहा कि अभी संगठन को पहले ही बता चुकी थी कि हार सकती हैं और अब जब भाजपा की सरकार बन ही गई है तो काम भी वे ही करवाएंगी कोई नया विधायक नहीं।
इमरती देवी ने कहा कि विधायक निधि का सारा पैसा तो कोरोना के फंड में चला गया है अब नहीं विधायक को तो कुछ खर्च कर नहीं पाएंगे। उन्होंने कहा कि नए विधायक क्षेत्र में हैंडपंप भी नहीं लगवा पाएंगे। इमरती देवी ने कहा कि वे भले ही चुनाव हार गईं हों लेकन अपने इलाकों में काम करेंगी और अपने लोगों के साथ खड़ी रहेंगी। उन्होंने कहा कि उनके चुनाव हारने से क्षेत्र के लोग खासे दुखी हैं।
उन्होंने कहा कि
पिछले करीब दो दशकों से डबरा कांग्रेस का गढ़ बन चुका है। इस दौरान भारतीय जनता पार्टी के वोट भी कम रहे लेकिन जब वे कांग्रेस के बाद अब जब भाजपा से चुनाव में उतरी हैं तो तो भाजपा के वोट भी बढ़ गए हैं। पिछली बार भाजपा को जहां 30 हज़ार वोट मिले थे तो इस बार वोटों की संख्या 62 हज़ार हो चुकी है।
गुरुवार तक इमरती देवी ने महिला एवं बाल विकास विभाग के मंत्री पद से इस्तीफा नहीं दिया था। उनसे इस्तीफा मांगा गया इसकी भी कोई जानकारी नहीं है हालांकि हारे हुए मंत्री एंदल सिंह कंसाना ने अपना इस्तीफ़ा दे दिया है। हालांकि वे नियम के अनुसार एक जनवरी तक मंत्री पद पर रह सकती हैं क्योंकि नियमानुसार विधायक बने बगैर भी छह महीने तक वे मंत्री पद पर रह सकतीं हैं।