गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को जानने लिए ग्वालियर में शुरू हुई गोडसे ज्ञानशाला


ग्वालियर में गोडसे की यह ज्ञानशाला शुरु होना कोई बहुत अचरजभरी बात नहीं है। ग्वालियर में ही महात्मा गांधी की हत्या का षडयंत्र रचा गया था और हत्या के लिए पिस्तौल भी यहीं से खरीदी गयी थी।  


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ग्वालियर Updated On :
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भोपाल। इस साल की पहली जनवरी को जहां राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने जहां महात्मा गांधी को एक सबसे बड़ा हिंदू देशभक्त बताया तो दस जनवरी को गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे का महिमामंडन हिंदू महासभा द्वारा ग्वालियर में किया गया।

मध्यप्रदेश अब हिंदूवाद और राष्ट्रवाद की नई प्रयोगशाला बनता नजर आ रहा है।  ग्वालियर में गोडसे के नाम पर पहली लाईब्रेरी स्थापित की गई है।

दौलतगंज में हिंदू महासभा के कार्यालय में गोडसे ज्ञानशाला शुरू की गई है। यहां गोडसे से जुड़ी जानाकारियां मिलेंगी। इसके अलावा गोडसे के विचार और उनसे जुड़ा साहित्य उपलब्ध होगा।

हिंदू महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. जयवीर भारद्वाज ने कहा  कि देश विभाजन के लिए कांग्रेस जिम्मेदार है, जिसके कारण अखंड भारत के दो टुकड़े हुए और करीब पांच लाख हिंदुओं की हत्या कर दी गई तथा 20 लाख से ज्यादा हिंदुओं को विस्थापित होना पड़ा।

ग्वालियर में गोडसे की यह ज्ञानशाला शुरु होना कोई बहुत अचरज भरी बात नहीं है। ग्वालियर में ही महात्मा गांधी की हत्या का षडयंत्र रचा गया था और हत्या के लिए पिस्तौल भी यहीं से खरीदी गयी थी।

हिंदू महासभा के उपाध्यक्ष जयवीर भारद्वाज ने कहा कि लाइब्रेरी इसलिए खोली गयी है ताकि दुनिया को बताया जा सके कि गोडसे कितने बड़े राष्ट्रवादी थे। उन्होंने कहा,

“गोडसे अविभाजित भारत के लिए खड़े रहे और मृत्यु को प्राप्त किया. इस लाइब्रेरी का मक़सद आज की बेफ़िक्र युवा पीढ़ी में असल राष्ट्रवाद जगाना है, जिसके लिए गोडसे आख़िरी वक़्त तक खड़े रहे” 

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने कहा,  गोडसे अविभाजित भारत के लिए लड़े और मरे। भरद्वाज ने आगे कहा कि लाइब्रेरी को स्थापित करने का उद्देश्य आज के अज्ञानी युवाओं में सच्ची देशभक्ति को जगाना है जिसके लिए गोडसे खड़े हुए थे।

उन्होंने कहा, ‘हिंदू महासभा ने हमेशा से हिंदी, हिंदू और हिंदुस्तान की बात की है और आज 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस है, इसलिए इस ज्ञानशाला की शुरुआत की गई है।’

इसके पहले हिंदू महासभा ने 15 नवंबर 2017 को गोडसे का यहां मंदिर बनाने के लिए प्रतिमा भी स्थापित की थी, लेकिन उस समय उस प्रतिमा को जब्त कर लिया गया। इस प्रतिमा को हिंदू महासभा के कार्यकर्ता कई बार प्रशासन से मांगते रहे हैं।


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