ग्वालियर के नेशनल स्पोर्ट्स इंस्टिट्यूट में फूड प्वाइज़निंग, सौ से ज्यादा छात्र बीमार


रात के खाने में पनीर खाया था जिसके बाद बच्चों की तबियत बिगड़ने लगी।


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ग्वालियर Updated On :

ग्वालियर। शहर में स्थित देश के जाने-माने खेल संस्थान लक्ष्मीबाई नेशनल कॉलेज ऑफ फिजिकल एजुकेशन में फूड पॉइजनिंग का मामला सामने आया है।  इस वजह से 100 से ज्यादा छात्र बीमार हो गए हैं। जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है। इन सभी को उल्टी और पेट दर्द की शिकायत है। इस मामले के सामने आने के बाद कॉलेज में अपने स्तर से मामले की जांच में जुट गया है। इन छात्रों से मिली जानकारी के अनुसार उन्होंने सोमवार रात को खाने में पनीर खाया था और संभवतः यही उनके बीमार होने की वजह बना है।

 

 

 

बताया जाता है कि एक के बाद एक छात्र की तबियत बिगड़ती रही। इस दौरान जानकारी मिलते ही वाइस चांसलर और हॉस्टल वार्डन छात्रों के बीच पहुंचे और  बीमार छात्रों को अस्पताल भेजा गया। मंगलवार रात से अब तक करीब सौ से ज्यादा छात्र-छात्राओं की तबियत बिगड़ गई और फिर कई को अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ा। कुछ की तबियत काफी बिगड़ गई है। रातभर उन्हें एलएनआईपीई के हेल्थ सेंटर में ही प्राथमिक उपचार दिया गया। मगर मंगलवार दिन तक बच्चों की तबीयत और ज्यादा बिगड़ने लगी। इसके बाद देर शाम तक सभी पीड़ित बच्चों की स्थिति बदतर हो गई तब उन्हें JAH अस्पताल में भर्ती करवाया गया।

एलएनईपीई संस्थान के अधिकारी फिलहाल इस मामले में कुछ भी बोलने से कतरा रहे हैं। उनका कहना है कि फिलहाल सारा ध्यान बच्चों के स्वास्थ्य पर केंद्रित है और उनके इलाज का पूरा ध्यान दिया जा रहा है। बच्चों का स्वास्थ्य ठीक होने के बाद इस बात की जांच की जाएगी की फूड प्वाइजनिंग आखिर हुई क्यों? एलएनआईपीई के रजिस्ट्रार अमित यादव ने बताया है कि रात को हालत बिगड़ने पर अस्पताल में 100 बच्चों को भर्ती कराया है।

यादव ने बताया कि बच्चों ने जो खाना खाया उसके सैंपल लिए जा रहे हैं और उनकी जांच में अलग कुछ गलत पाया गया तो जिम्मेदारों की खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। डॉक्टरों का कहना है कि हो सकता है पनीर की क्वालिटी ठीक न हो। डेयरी प्रोडक्ट्स कई बार इस तरह की फूड पॉइजनिंग का कारण बनते हैं। JAH अधीक्षक आरकेएस धाकड़ ने कहा कि हमारे डॉक्टर पूरी मुश्तैदी से काम कर रहे हैं। किसी भी चीज की कमी नहीं आने दी जाएगी।

LNIPE हेल्थ सेंटर के डॉ. जयराज वाधवानी के मुताबिक, सुबह बच्चों में बुखार और उल्टी-दस्त के लक्षण देखने में आए थे। इसके बाद उन्हें प्राथमिक उपचार के रूप में पैरासिटामॉल और ओआरएस का घोल लगातार दिया जा रहा है। हालांकि, उस समय हालात इतने गंभीर नहीं थे। अचानक ही शाम को बच्चों की हालत बिगड़ती गई। इसके बाद बिना देरी किए प्रबंधन और फैकल्टी की मदद से सभी को अस्पताल पहुंचाया गया।

 



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