मानसून की आहट के साथ ही किसान खरीफ फसल की तैयारियों में जुटे


मानसून नजदीक आने के साथ ही किसानों ने शुरू की खेतों की जुताई, 5 लाख 14 हजार हेक्टेयर से अधिक रकबे में होगी खरीफ की बोवनी।


आशीष यादव
घर की बात Updated On :
farmers in field for crops

धार। मानसून की आहट के साथ ही खेतों में किसानों की चहलकदमी बढ़ गई है और वे खरीफ फसल की बोवनी की तैयारी में वे जुट गए हैं। इस बार अच्छी बारिश होने का अनुमान किसानों द्वारा लगया जा रहा है।

मानसून आगमन के पहले ही जिले में खरीफ फसल की तैयारी तेज हो गई है। किसान खेतों में रबी फसल के अवशेषों को जलाकर जमीन तैयार कर रहे हैं तो किसी के खेत में जुताई हो रही है। जमीन की उर्वरकता बढ़ाने के लिए किसान खेतों में गोबर खाद डाल रहे हैं।

मानसून पूर्व खेतों में जुताई के लिए खेत सुधारने का काम शुरू हो गया है। जिले में परंपरागत और आधुनिक दोनों तरह से फसल ली जाती है। सुविधा संपन्न किसान ट्रैक्टर व अन्य कृषि यंत्रों का जमकर उपयोग करते हैं।

गांव में अभी किसान खेती बाड़ी के कामों में लगे हैं व खेत सफाई का कार्य सप्ताह भर से शुरू हो चुका है। कई किसान तो खेत में सुपर खाद भी डालने लगे हैं।
पिछले दिनों हुई बारिश ने किसानों का काम कम कर दिया क्योंकि खेतो में मिट्टी में नमी ला दी थी जिसका फायदा किसानों को कम खपत करके जुताई की।

मानसून आने से पहले किसानों ने की खाद की खरीदी –

इस बार सरकार द्वारा सोसाइटियों के माध्यम से किसानों को मानसून के पहले ही खाद की पर्याप्त व्यवस्था करा दी गई है। किसान बस अब मानसून बारिश का इंतजार कर रहे हैं।

सहकारिता बैंक के महाप्रबंधक पीएस धनवाल ने बताया कि इस बार खाद की किल्लत नहीं होगी। बीते तीन-चार सीजनों में खाद के लिए होने वाली मारामारी देखते हुए विभाग ने प्रशासन के सहयोग से इस बार खाद को आसानी से उपलब्ध कराने की योजना बनाई है।

बताया जा रहा है कि बोवनी के अनुसार करीब 70 हजार मिट्रिक टन खाद की मांग सोसाइटी में थी जो कि किसानों को सोसाइटियों के माध्यम से 30 हजार मीट्रिक टन खाद किसानों के गोदामों में पहुंच गया है जिससे वह खरीफ की फसलों में उपयोग में ले सकेंगे जिसके मुकाबले में जिले भर की सभी निजी व शासकीय गोदामों में खाद पर्याप्त मात्रा में है।

खेतों की जुताई में जुटे किसान –

मानसून के नजदीक आते ही किसानों ने खरीफ फसल के लिए खेतों की सफाई और जुताई शुरू कर दी है। इस सीजन अच्छी बारिश की उम्मीद जताई जा रही है। किसानों ने खेतों में जुताई कर खाद आदि डालना शुरू कर दिया है।

खरीफ की फसलों में सोयाबीन, मक्का, कपास व अन्य फसल लगाएंगे। खरीफ सीजन के लिए किसान खेत तैयार कर रहे हैं। वर्तमान में 80 प्रतिशत किसानों ने अपने खेतों को तैयार कर लिया है। शेष किसान खेतों में काम कर रहे हैं। कृषि विभाग ने 20 जून के बाद बारिश होने पर ही बोवनी करने की सलाह दी है।

नई वैराइटी की मांग बढ़ी –

इस बार बाजार में नई वैरायटियों की सोयाबीन की तरफ किसान जा रहे हैं। किसान अभी से ही सोयाबीन का बीज लेने के लिए किसान व व्यापारियों से संपर्क कर रहे हैं। किसान क्षेत्र के जमीन के आधार पर फसल का चयन कर रहे हैं।

फिलहाल किसान फसल का चयन करने में असमंजस की स्थिति में हैं। किसान मानसून के पहले घरों में सोयाबीन के बीज को उगाकर देख रहे हैं कि कितने प्रतिशत बीच अंकुरित हो रहा है।

उसी आधार पर सोयाबीन को खेतों में लगाया जाएगा। अगर सोयाबीन कम उगने का प्रतिशत रहता है तो नया बीज लेंगे क्योंकि इसबार सोयाबीन का भाव बाजार में इन दिनों आसमान छू रहा है।

किसान लाखन डोडिया ने बताया कि सोयाबीन का बीज दस हजार रुपये प्रति क्विंटल तक बिक रहा है। दूसरे किसान राहुल यादव ने बताया कि कई दुकानों पर अप्रमाणित बीज का विक्रय हो रहा है। प्रशासन से उन्होंने मांग की है कि बोवनी से पहले ऐसी दुकानों पर छापामारी कर किसानों के साथ ठगी होने से बचाएं।

5 लाख 14 हजार हेक्टेयर में बोवनी का रखा लक्ष्य –

कृषि विभाग द्वारा इस बार 5 लाख 14 हजार हेक्टेयर में बोवनी का लक्ष्य रखा गया है जिसमें सर्वाधिक बोवनी सोयाबीन फसल की होती है और इसके बाद कपास का नंबर आता है।

हालांकि कई वर्षों से मक्का की बोवनी में भी तेजी देखी जा रही है। बाढ़, अतिवृष्टि के कारण सोयाबीन की परंपरागत फसलों में घाटा होने के कारण जिले के सैकड़ों किसान मक्का व अन्य की खेती की ओर मुड़ गए हैं।

मेड़ नाली पद्धति से सोयाबीन की बुवाई करने से वर्षा की अनिश्चितता से होने वाली क्षति भी कम हो रही है। उन्नत बुवाई प्रबंधन अपनाकर उत्पादकता में 25-50 प्रतिशत तक वृद्धि प्राप्त कर सकते हैं। इस विधि से फसलों में कम बारिश होने से भी फायदा होता है।

हर साल बढ़ रही लागत –

किसानों का कहना है कि ट्रैक्टर, हार्वेस्टर, थ्रेसर आधुनिक मशीनों के आ जाने से मजदूरों पर निर्भरता काफी हद तक कम हो गई है। खेती करना पहले से सरल जरूर हो गया है, लेकिन लागत भी काफी हद तक बढ़ गई है।

ट्रैक्टर की बहुउपयोगिता ने परंपरागत खेती के ढर्रे को पीछे छोड़ दिया है। घंटों का काम कम समय हो जाता है। यही वजह है कि अनेक लोग इसका उपयोग करने लगे हैं।

इस बार खरीफ की फसल का रकबा

फसल हेक्टेयर
सोयाबीन 2 लाख 75 हजार 900
कपास 1 लाख 8 हजार 800
मक्का 73 हजार 500
बाजरा 4 हजार 500
ज्वार 5 हजार 500
उड़द 5 हजार 500

पिछले बार खरीफ फसल का रकबा

फसल हेक्टेयर
सोयाबीन 2 लाख 76 हजार
कपास 1 लाख 7 हजार
मक्का 72 हजार
उरहर 6 हजार 500
बाजरा 3 हजार 500
ज्वार 4 हजार 500

4 इंच बारिश के बाद ही करें बोवनी –

किसानों से अपील है कि पर्याप्त बारिश यानी कि 4 इंच होने पर ही बोवनी करें। बारिश पर्याप्त नहीं होने पर बीज खराब हो सकता है। बीज लेते समय अंकुरण परीक्षण भी करें। साथ ही बीज और खाद को लाइसेंसी व्यापारी से ही लें और लेते समय उसका पक्का बिल जरूर लें। सोयाबीन को उपचारित जरूर करें। – ज्ञानसिंह मोहनिया, उपसंचालक, कृषि विभाग, धार


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