धार। जिले की ग्राम पंचायतों में जल प्रदाय की व्यवस्था नल से जल आधारित की जा रही है। केन्द्र सरकार ने 2022 तक प्रत्येक परिवार को नल से जल देने का संकल्प लिया है। इसी के तहत धार जिले में इसको लेकर तेजी से काम किया जा रहा है।
बीते डेढ़ वर्ष कोरोना महामारी के कारण आर्थिक एवं कार्य गति को प्रभावित करने वाले रहे है। इसके बावजूद पीएचई घरों में नल से जल पहुचाने के काम को तेजी से किया है। 2019-20 के आकंड़ों को देखें तो 2020-21 में नल से पानी प्रदाय करने के कार्य का क्रियान्वयन 3 गुना तेजी के साथ हुआ है।
जहां एक-डेढ़ वर्ष पूर्व तक 13 प्रतिशत के लगभग घरों में नल कनेक्शन के माध्यम से पानी दिया जा रहा था। वर्तमान में करीब 44 प्रतिशत के लगभग घरों में नल कनेक्शन से पानी दिया जा रहा है। काम की यही रफ्तार रही तो 2022 और 23 के दरम्यिान शत प्रतिशत का हासिल होने में दिक्कतें नहीं रहेगी।
चुनौतीपूर्ण इलाका धार जिला –
प्रदेश के अन्य जिलों की तुलना में धार जिले में सबसे ज्यादा 13 ब्लॉक है। यहां पर 761 पंचायतों और टोलो-मजरों में अनुमानित रूप से करीब 20 लाख के लगभग लोग रहते हैं। शहरी जनगणना को शामिल किया जाए तो करीब 26 लाख की आबादी है।
761 पंचायतों में 1400 से ज्यादा गांव शामिल हैं। वहीं बसाहट और टोले-मजरों की संख्या भी लगभग 6 हजार के लगभग है। ग्रामीण क्षेत्रों में सर्वाधिक आबादी अनुसूचित जनजाति, अनसूचित जाति के लोगों की है।
गांव-गांव नल कनेक्शन के माध्यम से पानी प्रदाय करना इस जिले के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण है। ग्रामीण क्षेत्रों में वर्तमान में पेयजल व्यवस्था करीब साढ़े 18 हजार के लगभग हैंडपंपों और छोटी जल प्रदाय योजनाओ पर निर्भर है।
जिले की भौगोलिक परिस्थिति बेहत दुर्गम है। सैकड़ों टोले-मजरे और गांव ऊंची चोटियों से लेकर नीचे तलहटी तक बसे हुए हैं। इसके बावजूद बीते डेढ़ साल पेयजल उपलब्धता की दृष्टि से बेहतर साबित हुए हैं।
प्रत्येक माध्यम से जल को जोड़ने की कोशिश –
जिले में जल जीवन मिशन के तहत जल प्रदाय और जल संरक्षण-संवर्धन को लेकर लगातार धार कलेक्टर आलोक सिंह और जिला पंचायत सीईओ आशीष वशिष्ठ द्वारा समीक्षा की जा रही है। इसके तहत अब ‘हर घर जल’ पहुंचाने की कवायद में नल से पानी लेने की योजना को ग्राम पंचायत स्तर से बनाया जा रहा है।
इसी के साथ लोगों को पानी का प्रबंधन करने के लिए जागरूकता कार्यक्रम किए जा रहे हैं। इधर जिले में ढ़ाई हजार से अधिक ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओ को फील्ड टेस्ट कीट के द्वारा जल परीक्षण करने के लिए प्रशिक्षण दिया गया है। इसके नतीजे भी सामने आ रहे हैं।
ग्रामीण क्षेत्रों में जल जनित रोगों से बीमार होने वालों की संख्या कम हो गई है। इधर जिले के 6 हजार स्कूल और आंगनवाड़ियों में जल उपलब्धता सुनिश्चित की जा रही है। सैकड़ों स्थानों पर नवनिर्मित प्याऊ को नल से जोड़ा गया है जिसके माध्यम से शुद्ध पानी बच्चों को उपलब्ध कराया जा रहा है।
प्रयोगशालाएं बढ़ाई, घटे फ्लोराईड के मामले –
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग द्वारा जिले में जल परीक्षण हेतू लगातार अभियान के रूप में काम किया जा रहा है। जिले में वर्तमान में पानी की गुणवत्ता की जांच हेतु एनएबीएल से मान्यता प्राप्त जिला प्रयोगशाला है। साथ ही 5 उपखंडडीय प्रयोगशालाएं कार्यरत हैं।
लगातार जल परीक्षण के कारण जिले में फ्लोराईड सहित जल जनित रोगों के मामले कम हो रहे हैं। दरअसल इस तरह की स्थिति सामने आने के बाद विभाग ऐसे पानी के पेयजल उपयोग को प्रतिबंधित कर देता है।
सरदारपुर ईई आरएस चौहान ने बताया कि जल जीवन मिशन के अंतर्गत 3830 स्कूलों व 2546 आंगनवाड़ी में बच्चों को पीने की पानी की सुविधा मिलेगी।
617 गांव की डीपीआर बनी –
वर्तमान में 51 ग्राम पंचायतों को नल कनेक्शन द्वारा जल प्रदाय से जोड़ दिया गया है। 102 गांवों में भी इसी प्रकिया से पानी दिया जा रहा है। जल जीवन मिशन अंतर्गत अभी तक 617 ग्रामों की डीपीआर बनाई गई है जिसमें 492 रेट्रोफिट योजनाओं एवं 108 नवीन योजनाओं की प्रशासकीय स्वीकृति प्राप्त हुई हैं। जल जीवन मिशन अंतर्गत किये जा रहे कार्यों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने हेतु विभागीय अधिकारीयों के साथ-साथ थर्ड पार्टी इंस्पेक्शन भी किया जा रहा है।
– केपी वर्मा, ईई लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग, धार