महिलाओं को मिल रहा रोजगार तो लोगों को मिलेगा प्राकृतिक रंग


होली के पर्व पर रंगों का अपना ही महत्व है। बाजारों में अब हर्बल यानी प्राकृतिक रंग की डिमांड बढ़ गई है। 2020 में बंद रखने के बाद दोबारा वन विभाग की टेसू यानी पलाश के फूलों से ‘हर्बल कलर्स” बनाने की योजना है।


आशीष यादव
धार Published On :
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धार। होली के सिंथेटिंक रंग आपको नुकसान पहुंचा सकते हैं। हर्बल रंग, गुलाल खुद की और दूसरों की सुरक्षा तो करते ही हैं साथ ही पानी और पर्यावरण की भी रक्षा करते हैं।

प्राकृतिक रंग ही होली की खुशियां बिखेरते थे। आज हम आपको ऐसे ही रंगों के बारे में बता रहे हैं जिन्हें बनाना आसान भी है और ये किसी भी तरह से नुकसानदायी भी नहीं हैं।

परंपरागत तरीका –

रंग बनाने के लिए टेसू व पलाश होली के खूबसूरत रंगों के परंपरागत स्रोत हैं। टेसू के फूलों को पानी में उबालकर रात भर छोड़ देने से प्राकृतिक रंग तैयार हो जाता है। ये तरीका काफी पुराना बताया जाता है।

इन फूलों को सुखाकर भी गुलाल तैयार किया जाता है जिसका इस्तेमाल पूजन में भी होता है। कहा जाता है कि भगवान कृष्ण भी गोपियों के साथ टेसू के फूल से होली खेलते थे और इसका इस्तेमाल कई औषधियां बनाने में भी होता है।

वन विभाग बनाएगा हर्बल कलर्स, जंगलों से इकट्ठा कर रहे पलाश के फूल-

होली के पर्व पर रंगों का अपना ही महत्व है। बाजारों में अब हर्बल यानी प्राकृतिक रंग की डिमांड बढ़ गई है। 2020 में बंद रखने के बाद दोबारा वन विभाग की टेसू यानी पलाश के फूलों से ‘हर्बल कलर्स” बनाने की योजना है।

फरवरी के आखिरी सप्ताह में अधिकारियों ने जंगल से फूल इकट्ठा करने के लिए बोला है। यह काम अस्थाई तौर पर महिलाओं के जरिये ग्रामीणों से करवाया जाएगा।

विभाग ने चार क्विंटल रंग बनाने का प्लान बना लिया है, लेकिन बाजार से डिमांड नही मिल रही है। वहीं अब विभाग इसे बाजार में स्टॉल लगाकर बेचने की योजना बना रहा है।

वन विभाग ने प्राकृतिक रंग (हर्बल कलर्स) बनाकर बाजार में बिक्री की थी व ग्रामीणों महिलाओं को भुगतान किया। लाल, गुलाबी, पीला, नारंगी रंग के पैकेट बनाए थे।

पलाश के फूलों को इकट्ठा करने का काम किया गया। फूलों को सुखाकर जिला मुख्यालय पर इसका कार्य चल रहा है। वहीं इससे महिलाओं को रोजगार भी मिल रहा है।

इसको बनाकर बाजारों में बेचा जाएगा। हर्बल कलर बना कर तैयार कर लिया गया है। वही हर्बल कलर का रेट भी बाजार मूल्य से कम है।

शहर के व्यापारी करें खरीदी –

विभाग का कहना है कि व्यापारियों से अनुरोध है के हमारे वन विभाग द्वारा बनाए जा रहे हैं कलर को खरीदे और बाजार में बेचें जिससे लोगों को लाभ मिलेगा।

लोगों को कम कीमत में अच्छा कलर मिलेगा, जिससे स्वास्थ्य भी ठीक रहेगा। पानी का भी दोहन कम होगा और लोगों की सेहत पर भी इसका कोई असर नहीं पड़ेगा। बाजारों में केमिकलयुक्त कलर से लोगों की त्वचा खराब होती है जिससे लोगों को नुकसान होता है।

रोजगार मिल रहा है –

क्षेत्र में टेसू अधिक मात्रा में है। यह कार्य ग्रीन इंडिया मिशन के तहत रोजगार उपलब्ध कराने के लिए गुलाल बनाया जा रहा है। धार रेंज की 16 वन समितियां काम कर रही हैं। 10 रुपये किलो में विभाग टेसू खरीद रहा है। विभाग ने अभी तक आठ क्विंटल टेसू खरीदा है। इसके बाद इससे गुलाल बना रहे हैं।

– राजेश निनामा, रेंजर, धार


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