खेती विशेषज्ञों के अनुसार, इस बार जिले में प्रति बीघा उत्पादन 10 से 12 क्विंटल तक सीमित रह गया है, जबकि सामान्यतः यह 15 से 18 क्विंटल तक होता है। किसान भी मानते हैं कि मौसम की अनिश्चितता के चलते गेहूं का उत्पादन प्रभावित हुआ है।
बढ़ती लागत, घटती आमदनी
किसानों की चिंता सिर्फ कम उत्पादन तक सीमित नहीं है। इस बार खेती में लागत अधिक आई है। बीज, खाद, कीटनाशक और डीजल के बढ़े हुए दामों के कारण किसानों का खर्च बढ़ा, लेकिन बाजार में गेहूं की कीमतें उतनी नहीं बढ़ीं।
किसान बताते हैं कि एक बीघा में गेहूं उगाने में करीब 10 से 15 हजार रुपये तक का खर्च आया, लेकिन पैदावार कम होने से लागत भी नहीं निकल रही। समर्थन मूल्य (MSP) 2425 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है, लेकिन मंडी में किसान 2400 से 2730 रुपये प्रति क्विंटल पर गेहूं बेचने को मजबूर हैं, जिससे प्रति क्विंटल 200 से 300 रुपये तक का नुकसान हो रहा है।
समर्थन मूल्य पर खरीदी शुरू, लेकिन किसानों की दुविधा बरकरार
सरकारी स्तर पर गेहूं की खरीद 15 मार्च से शुरू हो चुकी है, जिसमें 2425 रुपये प्रति क्विंटल के साथ 175 रुपये का बोनस मिलाकर कुल 2600 रुपये का मूल्य तय किया गया है। हालांकि, कई किसान मंडी में नकद पैसे के लालच में गेहूं बेच रहे हैं, क्योंकि सरकारी भुगतान में समय लगता है।
कृषि विभाग के अनुसार, इस साल जिले में 3.20 लाख हेक्टेयर में गेहूं की खेती हुई है, जिससे 10 से 12 लाख मैट्रिक टन उत्पादन की उम्मीद है। बाजार भाव की अनिश्चितता के चलते किसान असमंजस में हैं कि वे समर्थन मूल्य पर बेचें या फिर मंडी में।
मंडी में कीमतें गिरने से किसान नाराज
शुरुआत में गेहूं 3200 रुपये प्रति क्विंटल तक बिका था, लेकिन अब मांग बढ़ने के बावजूद कीमतें 2400-2730 रुपये के बीच आ गई हैं। इससे किसानों को नुकसान हो रहा है। सरकार द्वारा दिए गए बोनस को किसान अपर्याप्त मान रहे हैं।
किसान विजय गोस्वामी का कहना है, “इस बार गेहूं का उत्पादन कम हुआ है, ऊपर से मंडी में कम दाम मिल रहे हैं। सरकार बोनस तो दे रही है, लेकिन वह बहुत कम है। हमें न्यूनतम 3000 रुपये प्रति क्विंटल का भाव मिलना चाहिए, तभी हमारी लागत निकलेगी।”
अच्छी आवक, लेकिन दाम स्थिर
मंडी में हर दिन 8 से 10 हजार बोरी गेहूं की आवक हो रही है। किसान उम्मीद कर रहे हैं कि आने वाले दिनों में भाव बढ़ेंगे, लेकिन फिलहाल ऐसा होता नहीं दिख रहा। सरकार समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीद रही है, लेकिन निजी व्यापारी कम कीमत पर खरीद कर फायदा उठा रहे हैं।