इस साल नवंबर की शुरुआत में ही धार में ठंड के बजाए गर्मी का अनुभव हो रहा है, जिससे लोग असमंजस में हैं। साफ तौर पर यह मौसम में बदलवा का संकेत है क्योंकि मतौर पर इस समय तक ठंड का प्रभाव नजर आने लगता है, पर इस बार न्यूनतम तापमान 18 डिग्री और अधिकतम 33 डिग्री के आसपास बना हुआ है, जो चार सालों में पहली बार देखा जा रहा है। मौसम विज्ञानियों का मानना है कि मॉनसून की देरी और अक्टूबर में चक्रवाती हवाओं के कारण ठंड का आगमन देर से हो रहा है।
धूप के तीखेपन और तापमान में तेजी से हो रहे उतार-चढ़ाव ने लोगों की दिनचर्या को प्रभावित किया है। भोज हॉस्पिटल के सिविल सर्जन डॉ. जितेंद्र चौधरी ने बताया कि इस बार गले में खराश, अस्थमा और ब्रोंकाइटिस जैसे श्वसन संक्रमण के मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। तापमान में अचानक उतार-चढ़ाव होने के कारण लोगों को खांसी, जुकाम और गले में खराश जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। डॉक्टर ने लोगों को मास्क पहनने और गरम पानी से गरारे करने की सलाह दी है।
गर्म कपड़ों की दुकानें खाली, ग्राहक का इंतजार
धार में नवंबर आते ही गर्म कपड़े और कंबल की दुकानें सज जाती हैं, लेकिन इस बार ठंड न आने से इन दुकानों पर सन्नाटा पसरा है। दुकानदारों का कहना है कि दिवाली के बाद से ही आमतौर पर ग्राहक पहुंचने लगते थे, पर अब तक ठंड न आने से कारोबार धीमा है। दुकानदारों को उम्मीद है कि 15 नवंबर के बाद उत्तरी हवाओं का प्रभाव बढ़ेगा और ठंड बढ़ने से ग्राहक पहुंचने लगेंगे।
रबी फसलों की बुवाई में भी देरी की सलाह
रबी फसलों की बुवाई के लिए आदर्श समय 15 नवंबर के आसपास होता है, लेकिन कृषि विज्ञान केंद्र ने किसानों को सलाह दी है कि वे तापमान में गिरावट का इंतजार करें। विशेषज्ञों के अनुसार, जब तक न्यूनतम तापमान में बदलाव नहीं होगा, तब तक बुवाई लाभकारी नहीं होगी। किसानों को मौसम की अनुकूलता देखकर बुवाई शुरू करने की सलाह दी गई है ताकि फसल को पर्याप्त ठंड का लाभ मिल सके।
धूप का तीखापन और गर्म हवाओं का अहसास
मौसम विभाग के अनुसार, इस बार तापमान में उतार-चढ़ाव की वजह से लोगों को उमस और पसीने का सामना करना पड़ रहा है। दिन का तापमान पिछले कुछ दिनों से 34 डिग्री तक बना हुआ है, जिससे लोगों को दिन में गर्म हवाओं का सामना करना पड़ रहा है। तापमान में अगले दो हफ्तों तक ज्यादा बदलाव की संभावना नहीं है, परंतु नवंबर के दूसरे सप्ताह के बाद से ठंड का असर बढ़ने की उम्मीद है।
मौसम में बदलाव के कारणों पर नजर
मौसम विभाग का मानना है कि इस बार मॉनसून का देरी से समाप्त होना और अंडमान-निकोबार में बने सिस्टम का असर सर्दी में देरी का मुख्य कारण है। 2021 से अक्टूबर के अंत में ठंड का असर बढ़ने लगता था, जो नवंबर तक ठंड में तब्दील हो जाता था। इस साल हालांकि ठंड का प्रभाव कम है, परन्तु विशेषज्ञों का मानना है कि ठंड की शुरुआत देरी से होने पर भी इस बार ठंड अच्छी पड़ेगी। नवंबर के दूसरे सप्ताह में उत्तरी हवाओं का प्रवाह बढ़ने से रातें ठंडी होंगी और लोगों को सर्दी का असली एहसास होने लगेगा।
पिछले पाँच दिनों का तापमान
मौसम के विशेषज्ञों का मानना है कि इस साल देरी से ठंड का असर आने के बावजूद यह मौसम अपेक्षाकृत ठंडा होगा। पिछले वर्षों में नवंबर की शुरुआत में ही ठंड दिखने लगती थी, परन्तु इस बार नवंबर के मध्य तक लोग ठंड का इंतजार करेंगे।