धार के छात्रावास में करंट लगने से दो छात्रों की मौत, प्रशासन की लापरवाही उजागर


धार के जनजाति छात्रावास में करंट लगने से दो छात्रों की मौत हो गई, जिससे प्रशासन की लापरवाही उजागर हुई है। कलेक्टर ने जांच टीम बनाकर दोषियों पर कार्रवाई के निर्देश दिए हैं, जबकि छात्रावास अधीक्षक और सहायक आयुक्त निलंबित कर दिए गए हैं।


आशीष यादव
धार Published On :

धार जिले के रिंगनोद ग्राम स्थित जनजाति सीनियर बालक छात्रावास में करंट लगने से दो छात्रों की दुखद मौत हो गई, जिससे गांव में शोक का माहौल छा गया है। प्रशासन द्वारा त्वरित जांच और कार्रवाई का आदेश दिया गया है, लेकिन घटना ने छात्रावासों की सुरक्षा व्यवस्थाओं पर सवाल खड़े कर दिए हैं। मृतक छात्रों के परिजनों ने छात्रावास प्रबंधन की लापरवाही को जिम्मेदार ठहराते हुए न्याय की मांग की है।

 

घटना के समय छात्रावास परिसर में सुबह नाश्ता करने के लिए बच्चे एकत्रित हो रहे थे। इसी दौरान विकास (17) पिता संग्रामसिंह और आकाश (17) पिता शैतानसिंह को अचानक करंट लगा। दोनों को तुरंत सरदारपुर अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, टंकी के पास पानी भरने आए एक ग्रामीण ने दोनों छात्रों को टंकी में पड़े हुए देखा। घटना के बाद मौके पर पहुंची पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों ने जांच शुरू कर दी है।

किशोर की मौत के बाद उनके घरों में पसरा मातम

कलेक्टर प्रियंक मिश्रा ने इस घटना की जांच के लिए एक विशेष टीम गठित की है, जिसमें मेघा पंवार (एसडीएम) और विद्युत विभाग के कार्यपालन यंत्री शामिल हैं। जांच टीम को जल्द से जल्द अपनी रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए गए हैं। कलेक्टर ने मृतकों के परिजनों को मुख्यमंत्री राहत कोष से 2-2 लाख रुपये और रेडक्रॉस से 1-1 लाख रुपये की सहायता राशि देने की घोषणा की है।

दोनों मृतक किशोर

इस दुखद घटना के बाद छात्रावास अधीक्षक और आदिवासी विकास विभाग के सहायक आयुक्त को लापरवाही के आरोप में निलंबित कर दिया गया है। इंदौर संभागायुक्त दीपक सिंह ने पूरे संभाग के छात्रावासों और आश्रमों में सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा के आदेश दिए हैं। उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर किसी भी छात्रावास में लापरवाही पाई गई, तो संबंधित अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

पुलिस घटनास्थल पर जांच करते हुए

घटना से जुड़े छात्रों और परिजनों का कहना है कि छात्रावास में सुरक्षा और सुविधाओं की कमी ने इस दुखद घटना को अंजाम दिया है। छात्रावास के अन्य विद्यार्थियों ने भी बताया कि उन्होंने दोनों छात्रों को बचाने की कोशिश की, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।

जिले के कलेक्टर ने पीड़ित परिवार से मुलाकात की

अब पूरे जिले के छात्रावासों में बिजली व्यवस्था को दुरुस्त करने के निर्देश दिए गए हैं, ताकि भविष्य में इस तरह की कोई घटना न हो। प्रशासन और जनजाति विभाग की कार्यप्रणाली पर उठ रहे सवालों के बीच, इस घटना ने एक बार फिर आदिवासी जिलों में सरकारी सेवाओं की गुणवत्ता पर गंभीर चिंताएं पैदा कर दी हैं।

 


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