पुलिस की लापरवाही और प्रशासनिक उलझनों के बीच ढाई साल की बच्ची की दर्दनाक मौत


पुलिस मामले की जांच को लेकर उलझन में रही, जिससे पोस्टमार्टम में भी देरी हुई। यह घटना प्रशासनिक खामियों और संवेदनशीलता की कमी को उजागर करती है।


आशीष यादव आशीष यादव
धार Updated On :

धारशहर की दीनदयालपुरम कॉलोनी में शनिवार को एक दर्दनाक हादसा हुआ, जिसमें एक ढाई साल की बच्ची की हौज में डूबने से मौत हो गई। घटना के समय, बच्ची शान्वी अपने घर के बाहर अन्य बच्चों के साथ खेल रही थी। थोड़ी देर बाद जब उसकी मां ने बाहर आकर देखा, तो शान्वी नजर नहीं आई। परिवार ने बच्ची की खोजबीन शुरू की, लेकिन जब कहीं पता नहीं चला, तो मां ने पड़ोस के मकान में बने हौज में देखा, जहां शान्वी डूबी हुई मिली।

बच्ची को इस हालत में देखकर मां ने तुरंत हौज में छलांग लगाई और बड़ी मुश्किल से उसे बाहर निकाला। परिवार उसे लेकर तत्काल जिला अस्पताल पहुंचा, लेकिन वहां डॉक्टरों ने बच्ची को मृत घोषित कर दिया।

इस दर्दनाक हादसे के बाद, परिवार को और भी परेशानियों का सामना करना पड़ा। बच्ची की मौत की सूचना मिलने पर, पुलिस के जवान इस बात को लेकर उलझ गए कि मामला किस थाना क्षेत्र में आता है। नौगांव पुलिस इसे कोतवाली का मामला बताने लगी, जबकि कोतवाली पुलिस इसे नौगांव थाना क्षेत्र का मान रही थी। इस उलझन के कारण, परिवार को पोस्टमार्टम के लिए घंटों इंतजार करना पड़ा। आखिरकार, कोतवाली पुलिस ने मर्ग कायम किया और पोस्टमार्टम करवाकर शव परिजनों को सौंप दिया।

इस घटना ने न केवल प्रशासनिक व्यवस्था की खामियों को उजागर किया, बल्कि यह भी सवाल उठाया कि ऐसे मामलों में त्वरित कार्रवाई और संवेदनशीलता की कितनी जरूरत है। संवैधानिक रूप से, हर नागरिक को सुरक्षा और त्वरित न्याय का अधिकार है, लेकिन इस मामले में पुलिस की सीमाओं की उलझन ने परिजनों की पीड़ा को और बढ़ा दिया।



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