भोजशाला में एएसआई के सर्वे का बुधवार को छठवां दिन है। अपने तय कार्यक्रम के मुताबिक टीम सुबह ही साइट पर पहुंच गई और काम शुरू कर दिया। सर्वे के लिए भोजशाला को दो हिस्सों में बांटा गया था और अब अगले हिस्से का काम शुरू हो गया है। इसमें कुछ अहम भाग शामिल हैं जिनके आधार पर भोजशाला के इतिहास को लेकर चले आ रहे विवाद का फैसला हो सकता है। इनमें सबसे अहम एक हवन कुंड बताया जाता है जो भोजशाला परिसर के पिछले हिस्से में स्थित है।
भोजशाला में आज पुरातत्व विभाग के सर्वे के पांचवें दिनटीम सुबह करीब सात बजे ही मौके पर पहुंच गई और अपना काम शुरू कर दिया है। सर्वे के लिए भोजशाला को दो हिस्सों में बांटा गया है और फिलहाल आगे के हिस्से का काम जारी है। इसे आज मंगलवार को खत्म करना है और इसके बाद इस हिस्से को सील कर दिया जाएगा और फिर दूसरे यानी पिछले हिस्से का काम शुरू होगा।
इसके अलावा कोर्ट के आदेश के तहत मंगलवार को यहां हिन्दू समाज के लोग पूजा अर्चना कर सकते हैं और पहले हिस्से के सर्वे के आखिरी दिन भी ऐसा होगा। इससे पहले मुस्लिम पक्ष की ओर से आरोप लगाया गया कि एक कम्युनिटी के लोग सर्वे कर रहे है इसे पूरे समाज को आपत्ति है। इसपर जल्दी ही निर्णय होना चाहिए इंदौर हाईकोर्ट का आदेश है कि टीम में दोनों कम्युनिटी के लोग होना चाहिए।
भोजशाला वर्सेज कमाल मौला मस्जिद : आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) की टीम द्वारा शुरु किए गए सर्वेक्षण का कल चौथा दिन था और पुरातत्व विभाग की टीम होली का त्यौहार होने के बावजूद सोमवार सुबह ठीक 8 बजे अपने साथ तकनीकी उपकरण लेकर जांच क्षेत्र पहुंच गई। इस दौरान उनके साथ कल की तरह आज भी याचिकाकर्ता आशीष गोयल, भोजशाला मुक्ति संगठन के संयोजक गोपाल शर्मा और मुस्लिम पक्ष से अब्दुल समद मौजूद रहे। भोजशाला परिसर में नप्ती का काम पूरा हो गया।
रविवार को आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) ने गर्भगृह की स्कैनिंग की थी। यह हिस्सा भोजशाला के बाकी हिस्सों की तुलना में करीब चार इंच ऊंचा है। इसे मशीनों की मदद से टीम ने स्कैन किया। कार्बन डेटिंग पद्धति से केमिकल की मदद लेकर स्तंभों से सैंपल लिए। इससे इमारत के स्ट्रक्चर की सही जानकारी मिलेगी। स्तंभों पर -जय-विजय, यक्षिणी, घंटे घड़ियाल और देवी-देवताओं की आकृतियां उकेरी हैं।
जमीन के नीचे की ओर सर्चिग: टीम ने भोजशाला के पिछले हिस्से में गेट के नीचे ओर गर्भ गृह की ओर खुदाई की। जिसमें 25 मजदूर लगाए गए थे। 30 फीट तक जमीन में दबी वस्तुओं को ढूंढ़ लेने वाली ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार तकनीक से स्कैनिंग की। हाईकोर्ट के इंदौर बेंच के आदेश पर भोजशाला में चल रहे वैज्ञानिक सर्वे के चौथे दिन को एएसआई की टीमें सुबह 8 बजे परिसर में पहुंचीं। गर्भगृह से शुरुआत की। धुलेंडी पर सोमवार को भी सर्वे जारी रहेगा। वही सर्वे सुबह से शाम तक चला।
एक दिन पहले 7 घंटे चला सर्वेः आपको बता दें कि बीते सोमवार को भोजशाला के पिछले हिस्से में खुदाई कर मिट्टी के कुछ सेंपल निकाले गए थे। आज इसी खुदाई के काम को आगे बढ़ाते हुए पूरी गोपनीयता के साथ इसे आगे बढ़ाया जा रहा है। इसके लिए सुरक्षा के इंतजामों में भी अहम बदलाव किए गए हैं। व्यू कटर भी लगाया गया है ताकि किसी भी तरह की गतिविधि सार्वजनिक न हो। इसके लिए पर्दे भी लगा दिए गए हैं, ताकि बाहर से अंदर की चीजें न नजर आएं। उम्मीद जताई जा रही है कि मंगलवार को पुरातत्व टीम 8 घंटों तक काम करेगी।
आज मंगलवार को होगी पूजा: मंगलवार को पांचवे दिन का सर्वे चालू रहा मंगलवार को अनुमति अनुसार धार की भोजशाला में हिन्दू पूजा करेंगे, टीम भोजशाला में पिछले हिस्से में सर्वे करेगी। मंगलवार को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की टीम पांचवे दिन का सर्वे कर रही है उल्लेखनीय है कि प्रत्येक मंगलवार को हिंदू समाज भोजशाला में सत्याग्रह करता है। मंगलवार को सत्याग्रह जारी रहा। हिन्दू समाज की ओर से पक्षकार सुमित चौधरी ने बताया कि सर्वे से हिन्दू सहमत, मुस्लिम पक्ष की आपत्ति वहीं सर्वे ठीक,सर्वे में क्या सामने आया है, इसकी जानकारी एएसआई को देना है। प्रक्रिया से हम सहमत हैं।
अब तक क्या हुआ…
- भोजशाला को अंदर और बाहर से नापा गया यानी उसकी लंबाई और चौड़ाई का मेजरमेंट मिलाया गया।
- भोजशाला के अंदर बाहर से मिट्टी के सैंपल लिए गए।
- खुदाई करके निकाले गए पत्थरों के सैंपल लिए गए, जिससे भोजशाला की उम्र पता की जा सके।
- भोजशाला के अंदर मौजूद पत्थरों पर मौजूद कलाकृतियों को रिकॉर्ड किया और उनके सबूत लिए।
- भोजशाला के बाहरी हिस्से में अबतक 3 पांच से 6 फीट तक के गड्डे खोदे गए हैं, जिससे मिट्टी और पत्थर निकाले गए।
- सोमवार को चौथे दिन के सर्वे के दौरान भोजशाला के बाहर कमाल मौला मज्जिद तक मार्किंग की गई।
- मंगलवार को अनुमति के मुताबिक भोजशाला में पूजा-अर्चना होगी. ऐसे में टीम भोजशाला में पिछले हिस्से में सर्वे करेगी।
अष्टकमल और चबूतरा, भोजशाला का एक ऐसा हिस्सा है जिसे हिन्दू समाज सबसे ज्यादा अहम मानता है। भोजशाला का यह हिस्सा केंद्र बिंदु की तरह है। हिन्दू पक्ष इस स्थान को गर्भगृहज की तरह मानते हैं। वे हर मंगलवार मां वाग्देवी की मूर्ति रखकर पूजा करते हैं। यहीं मौजूद गुंबद पर अष्टकमल की आकृतियां भी हैं। बारीकी से इस पूरे क्षेत्र को टीम ने स्कैन किया है। गर्भगृह से लगे स्थान के पास एक चबूतरा भी है। इसे संत के प्रवचन वाले स्थान के रूप में माना जाना है। इस स्थान को मुस्लिम पक्ष भी अहम मानता है। वैज्ञानिक सर्वे में तमाम बिंदुओं को ध्यान में रखकर प्रक्रिया की गई।