शराबबंदी वाले गुजरात तक एमपी से शराब तस्करी के लिए होड़, हालिया कार्रवाइयां इसी का नतीजा


दमन के नाम पर परमिट लेकर अवैध रूप से भेजी जा रही शराब, तस्करी से जुड़े हैं। प्रदेश व दिल्ली के बड़े तस्करों का हाथ।
तीन दिन में पकड़ी 15 करोड़ से अधिक की शराब, ग्वालियर के रास्ते भेज रहे गुजरात


आशीष यादव
धार Published On :

शराब तस्करी को लेकर पिछले कुछ दिनों से माहौल गर्म है। तस्करी को इस तरह दिखाने की कोशिश की गई है जैसे गुजरात में इतने बड़े पैमाने पर शराब पहुंचाना कोई नई बात हो। हालांकि इस काम से जुड़े लोग जानते हैं कि धार, झाबुआ और अलीराजपुर के रास्ते तस्करी वर्षों से कहीं बड़े पैमाने पर होती रही है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि फिर इस हंगामे की वजह क्या है और इसका जवाब है व्यापारिक प्रतिस्पर्धा यानी शराबबंदी वाले गुजरात में बड़े पैमाने पर शराब भेजने और बेचने का लालच।

शराब ठेकेदारों के लिए इंदौर संभाग के रास्ते से गुजरात शराब पहुंचाने के लिए सबसे आसान तरीका होता है। गुजरात पहुंचाने के लिए धार भी अपने आप ने अलग गढ़ है धार से गुजरात शराब पहुंचाने के लिए इस रास्ते से काम होता रहता है मगर इस बार पुराने ठेकेदारों को नए ठेकेदार का यह व्यवहार रास नहीं आ रहा है जिसके कारण लगातार दो दिनों से झाबुआ सुर्खियों में बना हुआ है। अब तक यहां 15 से अधिक कंटेनर शराब पकड़ी है जिसकी कीमत 15 करोड़ से अधिक बताई जा रही है क्योंकि मप्र-गुजरात सीमा पर शराब का अवैध परिवहन किया जा रहा है।

पुलिस और आबकारी की टीम ने पिछले तीन दिन में करीब 15 करोड़ की अवैध शराब जब्त की है। अधिकारियों के अनुसार शराबबंदी वाले गुजरात में शराब पहुंचाने के लिए दमन और दीव का सहारा लिया जा रहा है। ग्वालियर डिस्टलरी की एक ब्रांच नासिक में भी है चूंकि महाराष्ट्र से अभी अन्य राज्यों में शराब परिवहन के परमिट जारी नहीं किए जा रहे, इसलिए भी ग्वालियर डिस्टलरी का उपयोग परमिट के लिए किया जा रहा है।

शराब कारोबार का मुख्यालय बना उज्जैन:

इन दोनों शराब कारोबारियों का मुख्य ठिकाना उज्जैन हो गया है पूर्व में सिंडिकेट का मुख्यालय इंदौर हुआ करता था जहां प्रदेश भर के शराब कारोबारी इंदौर धोख देने आते थे। मगर इन दिनों उज्जैन से शराब कारोबार का संचालन हो रहा है और अब कई बड़े ठेकेदार इस शराब कारोबार में नए तरीके से उतरे हैं। कहा जाता है कि इस कारोबार में राजनेताओं के हित भी हैं।

पुराने ठेकेदारों को नए ठेकेदार शराब व्यापार में उतरने पर हजम नहीं हो रहे हैं और कहा जाता है कि इसलिए यह कार्रवाई होते हुए नजर आ रही है। वहीं पुराने ठेकेदारों ने अपने दांव लगाने शुरू कर दिए हैं और इसी के चलते यह कार्रवाई हो रहीं हैं।

दो रुट से परिवहन

दमन के लिए ग्वालियर, धार ,इंदौर, दाहोद, गोधरा, बड़ौदा और सूरत रुट का उल्लेख परमिट में रहता है और वहीं दीव के लिए ग्वालियर, इंदौर और दाहोद गोधरा, अहमदाबाद और राजकोट वाले रुट को प्रयुक्त किया जाता है। शराब परिवहन के परमिट जारी नहीं किए जा रहे, इसलिए भी ग्वालियर डिस्टलरी का उपयोग परमिट के लिए किया जा रहा है।

बीच में उतार लेते हैं शराब:

शराब तस्करी का यह खेल लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लगने के बाद से शुरू हुआ। इसके तार दिल्ली व प्रदेश के बड़े शराब माफिया से जुड़े हैं। चूंकि आचार संहिता के दौरान महाराष्ट्र से अन्य राज्यों में शराब परिवहन के परमिट जारी करना बंद कर दिए जाते हैं। इसलिए शराब माफियाओं ने ग्वालियर का रास्ता चुना। ग्वालियर डिस्टलरी से साठगांठ कर आसानी से दमन और दीव के परमिट तैयार करवाए जा सकते है।

प्रतिदिन 10 ट्रक शराब का परिवहन:

17 मार्च से आचार संहिता लागू है। तब से लेकर अब तक यदि ग्वालियर डिस्टलरी से प्रतिदिन औसत 10 ट्रक शराब दमन और दीव के परमिट पर गुजरात भेजी गई तो अब तक का आंकड़ा 700 ट्रक हो जाता है। यदि एक ट्रक में औसत 1000 पेटी शराब भी मानो तो 700 ट्रक के हिसाब से आंकड़ा 7 लाख पेटी हो जाता है। यानी इतने बड़े पैमाने पर शराब गुजरात में खपाई गई। जिसको लेकर जिम्मेदार आज भी सोए हुए क्योंकि अब शराब के कारोबार में जिम्मेदारों को भी चांदी काटना मिलती है जितनी चांदी काटते है। उतना फायदा ठेकेदारों को होता है।

शराब कारोबार में यह भी खेल:

शराब माफिया परमिट की समयावधि समाप्त होने पर गाड़ियां पिटोल बॉर्डर पर स्थित ढाबों पर खड़ी कर देते हैं। साठ गांठ कर परमिट की समयावधि बढ़वाकर गुजरात राज्य में प्रवेश करते हैं। एक ही परमिट पर दो-दो गाड़ियां क्रॉस करवाने की बात भी सामने आई है। कयास लगाए जा रहे हैं कि शराब माफिया ने नजदीक ही गोदाम बना रखे हैं जहां से माल भरकर एक ही परमिट पर गुजरात में शराब खाली करते हैं।

परमिट वाले पहलू पर जांच कर रहे:

दमन और दीव के लिए जो परमिट जारी किए जा रहे हैं उस पहलू पर जांच की जा रही है। इसके लिए अलग से टीम गठित की गई है। एक टीम ग्वालियर डिस्टलरी में जाएगी तो दूसरी टीम दमन और दीव। इससे ये पता चल जाएगा कि कितनी शराब डिस्टलरी से निकली और कितनी दमन और दीव पहुंची

         पीवी शुक्ल, एसपी, झाबुआ


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