धार। भारत सरकार द्वारा निर्यात संवर्धन नीति अंतर्गत प्रत्येक जिले में निर्यात हब विकसित करने के लिये “एक जिला एक उत्पाद (ODOP)” योजना प्रारंभ की गई है इसके तहत धार जिले में परम्परागत विश्वप्रसिद्ध “बाग प्रिंट” का चयन किया गया है। धार जिले के स्व सहायता समूह द्वारा तैयार की जा रही साडियों को समूह की ही महिलाएं पहनती हैं। इन्हीं में से एक सीता दीदी इन दिनों लगातार चर्चा में हैं। सीता को दुनिया की जानीमानी फैशन मैगज़ीन वोग इलेटिया के कवर पर जगह मिली है।
सीता की यह तस्वीर धार जिले की कला और यहां के कलाकारों के हुनर की भी तस्वीर है। यह तस्वीर उन कुछ शानदार योजनाओं की भी है जो स्थानीय कला को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहुंचा रहीं हैं। यह सफलता की एक तस्वीर है जो आने वाले दिनों में कई और नई तस्वीरें गढ़ेगी।
इससे न केवल स्वसहायता समूह और उनसे जुड़े लोग उत्साहित हैं बल्कि प्रशासन के अधिकारियों को भी काम करने के लिए एक नई उर्जा मिली है। जिसका असर नज़र आने लगा है। तस्वीर प्रकाशित होने के बाद जिला प्रशासन स्वसहायता समूहों के लिए नई और बेहतर स्थितियां तैयार में करने में जुटा है वहीं महिलाएं भी अपने काम को और बेहतर करने में जुटी हैं
”एक जिला एक उत्पाद” के अतंर्गत बाग प्रिंट की साड़ी, सलवार सुट, चादर आदि पर प्रिंटिग कार्य में पूरी तरह प्राकृतिक एवं वनस्पति आधारित रंगों का उपयोग किया जाता है, योजना के अन्तर्गत चयनित उत्पाद में जिले के अधिक से अधिक आदिवासी शिल्पकारों को, विशेष रूप से महिला स्व सहायता समूहों के माध्यम से महिलाओ को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए “भारत सरकार, एमएसएमई मंत्रालय की स्फूर्ति योजना के तहत विशेष क्लस्टर विकास की 2.75 करोड की परियोजना तैयार कर खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग को प्रस्तुत की गई है।
इस परियोजना हेतु कलेक्टर आलोक कुमार सिंह द्वारा 7.50 हेक्टेयर भूमि कुटीर एवं ग्रामोद्योग विभाग (हाथकरघा) धार को आवंटित की गई है। ज्ञात रहे कि वर्तमान में धार जिले के विकासखंड बाग एवं कुक्षी में आजीविका मिशन से जडुे 8 समूह के 58 समूह सदस्य बाग प्रिंट गतिविधि के कार्य में संलग्न है। बाग प्रिंट के प्रमोशन के लिए एक प्रोड्यूसर कपनी का गठन कर कार्य किया जा रहा है।
इस प्रोड्यूसर कंपनी को नाबार्ड के सहयोग से अपराजिता स्वयंसेवी संगठन द्वारा तकनीकि सहयोग प्रदाय करने हेत कार्य किया जा रहा है। उक्त समह सदस्यों के परिवार के लोग इस कंपनी के शेयर होल्डर है। बाग प्रिंट क्लस्टर गतिविधि के अतंर्गत व्यक्तिगत स्तर पर कार्य करने वाले कलाकारों को एक साथ जोड़कर गतिविधि का विस्तार कर बाग प्रिंट हब का निर्माण बाग विकासखण्ड में प्रस्तावित किया गया है।
उत्पाद की विशेषता… बाग प्रिंट के बाजार एवं विपणन व्यवस्था हेत आजीविका मिशन के माध्यम से राष्ट्रीय, राज्य एवं जिला स्तरीय स्थानों जैसे दिल्ली, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मुम्बई, उड़ीसा, खजराहो, इदौर, भोपाल आदि में आयोजित सरस मेला एवं हस्तशिल्प मेला में समूहों की भागीदारी करवाई जा रही है। जिससे समूहों के व्यवसाय के साथ स्थानीय बाग प्रिंट को बढ़ावा मिला है। इस वित्तीय वर्ष 2020-21 में समूह द्वारा नोएडा सरस मेला उत्तर प्रदेश, जयपुर सरस मेला राजस्थान, गांधीनगर सरस मेला गजुरात, खुजराहो सरस मेला जिला छतरपुर एवं भोपाल हाट मेला में प्रतिभाग किया गया है।
दीपावली के अवसर समूहों द्वारा इदौर एवं धार में बाग प्रिंट के स्टाल के माध्यम से 2.50 लाख रूपये का व्यवसाय किया गया। बाग प्रिंट के प्रमोशन एवं बाजार व्यवस्था के तहत जिले में 3 आउटलेट क्रमशः जिला पंचायत परिसर, इंदौर नाका एवं मांडव में “रूपायन” नाम से संचालित किए जा रहे है। जिसमें जिले में अन्य शहरों से आने वाले पर्यटक एव नागरिकों को इसकी उपलब्धता की जा रही है।
आजीविका मिशन से जड़ेु समह सदस्यों द्वारा विकासखडं कुक्षी में एक आउटलेट पर विपणन का कार्यकिया जा रहा है। नाबार्ड के सहयोग से आजीविका मिशन के स्वयं सहायता समूह के लिये रूरल मार्ट प्रमोशन के तहत दो आउटलेट और प्रस्तावित है जिससे स्थानीय स्तर के उत्पाद के साथ-साथ बाग प्रिंट को बढ़ावा दिया जाएगा। इससे पहले जनवरी 2021 में ट्रायफेड के माध्यम से स्थानीय हस्तशिल्पियों को भोपाल में नई तकनीक एवं बाजार व्यवस्था पर प्रशिक्षण दिया गया।
कौन है सीता दीदी… मांडू के पास स्थित एक छोटे से गांव सूलीबेड़ी की सीता वासुनिया स्वसहायता समूह की सदस्य हैं। जिन्हें सीता दीदी भी पुकारा जाता है। कुछ दिन पहले ही दिल्ली के एक फोटोग्राफर द्वारा मांडू की रानी रूपमती महल में सीता दीदी का डाबू प्रिंट की साड़ी पहने फोटो क्लिक किया गया था और हाल ही में सीता दीदी के उस फोटो को इटली की मैगजीन वॉग इटालिया के डिजिटल एडिशन के कवर पर लिया गया है।
जिला प्रशासन ने स्वासहायता समूह को सशक्त करने के लिए जो प्रयास उठाए किये हैं। ये काफी फायदेमंद रहे, स्वसहायता समूह की महिलाओं को जो ट्रेनिंग दी गई वह उनके उत्पादों को बाजार से जोड़ने में सफल हुई। ज़ाहिर है इससे महिलाओं में सशक्तिकरण की भावना आएगी और रोज़गार भी बढ़ेगा।
सलोनी सिडाना, एडीएम धार