इंदिरा गांधी जलाशय की नहरों की दयनीय स्थिति, बारिश का पानी नहीं संजो पाएंगे तालाब


नहरें क्षतिग्रस्त, जनपद सदस्यों ने निरीक्षण कर मरम्मत की मांग की, विभाग ने फाइल तैयार की, बजट भोपाल से पारित होगा


आशीष यादव आशीष यादव
धार Updated On :

धार जिले में जहां पहले ही बारिश की कमी है, वहीं टूटे तालाबों और जलाशयों की मरम्मत का काम विभाग नहीं कर पा रहा है, क्योंकि स्वीकृति और बजट भोपाल से ही प्राप्त होते हैं। धार ईई ऑफिस ने मरम्मत के लिए फाइल तैयार कर भेज दी है। बजट मिलने पर कार्य शुरू किया जाएगा। जलाशय पुराना होने के कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई है। अधिक बारिश होने पर पानी और अधिक बहने की संभावना है, लेकिन तालाब खाली होने का खतरा नहीं है।

स्थानीय लोगों का कहना है कि बाग ब्लॉक के आंबासोटी और तारा घाटी क्षेत्र को सिंचित करने वाले तालाब का वेस्टवियर एप्रोन टूटने से मिट्टी के कटाव और पानी बहने की संभावना है। क्षतिग्रस्त नहरों से व्यर्थ पानी बह रहा है। इस मुद्दे पर क्षेत्र के जनपद सदस्यों ने मंगलवार को इंदिरा जलाशय का निरीक्षण किया। उन्होंने पिछले साल टूटे एप्रोन और क्षतिग्रस्त नहरों की तत्काल मरम्मत के लिए विभाग के उच्चाधिकारियों से चर्चा की है। जल संसाधन विभाग के ईई ने मरम्मत कार्य की स्वीकृति के लिए प्रस्ताव भेजने की बात कही है।

समय पर ध्यान न देने पर चिंता:

टांडा क्षेत्र के जनपद सदस्य भुरूभाई जाली और अंतरसिंह कन्नौज ने बताया कि टांडा क्षेत्र की जीवन रेखा इंदिरा जलाशय बारिश के समय पूरी तरह भर जाएगा। हाल ही के निरीक्षण में देखा गया कि तालाब के वेस्टवियर क्षेत्र में काफी टूट-फूट हो चुकी है। आशंका है कि पानी निर्धारित स्तर तक पहुंचने पर एप्रोन क्षतिग्रस्त हो जाने के कारण पानी बाहर बह जाएगा और जलाशय में जलभराव नहीं हो पाएगा।

जनपद सदस्यों ने निरीक्षण के दौरान देखा कि जलाशय से निकाली गई 5.5 किमी लंबी नहर के कुछ हिस्से भी बुरी तरह क्षतिग्रस्त हैं। नहर के पाइप का एक गेट टूट जाने से पानी व्यर्थ बह रहा है। लंबे समय से नहरों की मरम्मत न होने और गेट नहीं लगाने से यह स्थिति उत्पन्न हुई है। कृषकों ने जल संसाधन विभाग के अधिकारियों से शिकायत की थी कि बारिश से पहले नहरों की मरम्मत हो जाए, लेकिन विभाग ने कोई कदम नहीं उठाया।

अधिकारी बोले- मिट्टी का कटाव नहीं होगा:

इस मामले में विभाग के एसडीओ राहुल ठाकुर ने कहा कि जलाशय के वेस्टवियर में फ्लैश बार बनी हुई थी। पुराने फाल का एप्रोन पिछले साल टूट गया था, लेकिन 40 मीटर हार्ड मुरम होने से मिट्टी का कटाव नहीं होगा। जलाशय में पानी लीकेज होने की शंका निराधार है। जलाशय में जितना पानी भरेगा उतना ही रहेगा। यहां वर्टिकल फाल बनाने के लिए प्रस्ताव तैयार कर भेजा गया है।

धार ईई चौहान ने बताया कि जलाशय के लिए प्रस्ताव भेजा गया है, जैसे ही स्वीकृति मिलेगी, कार्य शुरू कर दिया जाएगा। जलाशय से निकाली गई 5.5 किमी लंबी नहर के दो गेट में से एक गेट टूट गया है। कच्ची नहरों के कारण पानी कुछ मात्रा में जमीन में चला जाता है। नया गेट और नहरों में सीमेंट कंक्रीट की लाइनिंग बनाने के लिए प्रस्ताव भेजे जा चुके हैं। स्वीकृति मिलते ही कार्य शुरू किया जाएगा।



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