ग्रामीण इलाकों में कोरोना रोकना बड़ी चुनौती, दहशत के कारण जांच कराने नहीं जा रहे ग्रामीण


– धार जिले की 761 ग्राम पंचायतों में से अब तक अधिकाश गांवों में कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं और 119 मौत दर्ज की गई है।
– जिले में कोरोना के 2026 सक्रिय केस हैं और संक्रमितों की कुल संख्या 11 हजार 409 पहुंच चुकी है।


आशीष यादव
धार Published On :
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तीसगांव स्वास्थ्य केंद्र


धार। शहरी इलाकों के बाद कोरोना संक्रमण से गांव भी अछूते नहीं रह पा रहे हैं। अब जिले के गांवों में कोरोना संक्रमण की रफ्तार पकड़ती नजर आ रही है। पिछले कई दिनों से हर दिन कोरोना संक्रमण के मामलों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।

स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी मेडिकल बुलेटिन के मुताबिक, जिले में एक्टिव केस तो कम हुए हैं, लेकिन जहां शहरी इलाकों में कोरोना का कहर बरपा हुआ है तो वहीं दूसरी ओर ग्रामीण इलाकों में भी कोरोना का संक्रमण तेजी से फैलने की आशंका सताने लगी है।

अब तक यह माना जाता रहा था कि कोरोना का असर सिर्फ शहरी इलाकों तक ही है और ग्रामीण इलाके पूरी तरह सुरक्षित हैं, लेकिन बीते कुछ दिनों में जो खबरें व आंकड़े सामने आ रहे हैं, वह बता रहे हैं कि ग्रामीण इलाके में भी संक्रमित मरीजों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है।

आलम यह है कि कई गांव ऐसे हैं जहां घर-घर में मरीज मिल रहे हैं, जिनमें से अधिकांश सर्दी-जुकाम और बुखार से पीड़ित हैं। जांच कराने को लेकर ग्रामीणों में भ्रम है और साथ में दहशत भी।

यही कारण है कि कोरोना संक्रमण की जांच कराने लोग जिला मुख्यालय नहीं जा रहे हैं और ग्रामीण इलाकों में जांच की सुविधा अब तक नहीं है। राज्य सरकार भी इस हालात से वाकिफ है। यही कारण है कि उसने ग्रामीण इलाकों में कोरोना को रोकने के लिए कार्ययोजना बनाने के लिए कहा है।

इसलिए गांवों में बढ़ा संक्रमण –

वर्तमान दौर में जो आंकड़े सामने आ रहे हैं, वे बता रहे हैं कि छोटे जिलों में भी संक्रमण की रफ्तार तेजी से बढ़ रही है। इस संक्रमण के पीछे दो बड़े कारण बताए जा रहे हैं। एक तो हरिद्वार कुंभ से बड़ी संख्या में लौटे लोग और दूसरी ओर मजदूरों की अपने घरों की वापसी।

कई गांव में तो बाहर से लौटे लोगों को क्वॉरेंटाइन करने के लिए विशेष इंतजाम किए गए, लेकिन कई इलाके ऐसे हैं जहां बाहर से लौटे लोग सीधे गांव में पहुंच गए। अगर वे संक्रमित थे तो उन्होंने बड़ी संख्या में लोगों को संक्रमित कर दिया।

राज्य सरकार भी मानती है कि ग्रामीण इलाकों में संक्रमण बढ़ रहा है इसलिए उसे रोके जाने की जरूरत है। यही कारण है कि कोरोना किल व मेरा गांव कोरोना मुक्त गांव अभियान चलाया जा रहा है।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि गांवों में हमारी दो टीमें काम करेंगी। एक टीम घर-घर सर्वे करेगी और सर्दी-जुकाम व बुखार वालों की पहचान करेगी।

वहीं, दूसरी टीम लक्षण के अनुसार व्यक्ति को दवा और मेडिकल किट तत्काल प्रदान करने का काम करेगी। साथ ही कोरोना संक्रमित व्यक्ति को गांवों की पंचायतों में आइसोलेशन में रखा जायेगा।

शहरों के मुकाबले गांवों में पॉजिटिविटी दर ज्यादा –  

शहरों के मुकाबले गांवों में पॉजिटिविटी प्रतिशत दिनों दिन ज्यादा हो रहा है। स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक कोरोना संक्रमण की औसत रफ्तार देखें तो गांवों में भी हर घर मे एक मरीज मिलेगा।

ऐसे में छोटे गांव में इलाज के पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। कोरोना की रफ्तार को धीमा करने में छोटे गांव मिसाल भी बने हैं क्योंकि ग्रामीणों ने बाहरी व्यक्तियों का प्रवेश गांव में बंद कर दिया है।

इस महामारी को रोकने के लिए हर गांव पंचायत व ग्रामीण अपने-अपने तरीकों से गांवों को कोरोना से बचा रहे हैं। जिला मुख्यालय पर वेंटिलेटर भी खाली नहीं है।

स्वास्थ्य विभाग के रिकॉर्ड के मुताबिक धार में एक भी वेंटिलेटर नहीं है। यहां सभी आईसीयू बेड फुल हो चुके हैं और सिर्फ ऑक्सीजन बेड खाली हैं।

ग्रामीण युवाओं में वैक्सीनेशन को लेकर कोई रुचि नहीं –

बता दें कि इस कोरोना महामारी में शहरी युवा वैक्सीनेशन में जोर-शोर से आगे आ रहे हैं तो ग्रामीण युवा इससे कोसों दूर हैं। ग्रामीण युवा वैक्सीन लगाने में कतई रुचि नहीं रख रहे क्योंकि इसकी प्रकिया जटिल है।

इसके साथ ही ग्रामीण युवाओं के कम पढ़े-लिखे होने की वजह से गांव का युवा वर्ग रजिस्ट्रेशन ही नहीं करवा पा रहा है। इसके साथ ही गांवों में पर्याप्त प्रचार-प्रसार का अभाव भी एक अन्य कारण है।

ग्रामीण इलाकों में उपचार सुविधा उपलब्ध नहीं –

ग्रामीण इलाकों में उपचार सुविधा खुद बीमार हैं। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तो है लेकिन डॉक्टर व स्वास्थ्यकर्मी की कमी किसी से छुपी नहीं है। अधिकांश स्वास्थ्य केंद्रों के हाल यहीं हैं।

आपको बता दें कि ऑक्सीजन वेंटिलेटर सुविधा तो दूर गंभीर मरीजों के लिए ग्रामीण क्षेत्रों के सरकारी अस्पतालों में बेड तक नहीं है। जिन केंद्रों में डॉक्टर पदस्थ हैं, वहां भी डॉक्टर समय पर उपस्थित ही नहीं मिलता है।


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