शैक्षणिक गुणवत्ता सुधार के प्रयासों में महत्वपूर्ण होगी नर्सरी से पढ़ाई की शुरुआत


नए शैक्षणिक सत्र से जिले की 500 सरकारी शालाओं में नर्सरी से पढ़ाई प्रारंभ होगी। पूरे प्रदश में विभाग ने तीन जिलों का चयन किया है, जिसमें आदिवासी बाहुल्य धार जिला भी शामिल है।


आशीष यादव
धार Published On :
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धार। नए शैक्षणिक सत्र से जिले की 500 सरकारी शालाओं में नर्सरी से पढ़ाई प्रारंभ होगी। पूरे प्रदश में विभाग ने तीन जिलों का चयन किया है, जिसमें आदिवासी बाहुल्य धार जिला भी शामिल है।

इन तीन चिह्नित जिलों में करीब 1500 शालाओ में पायलट प्रोजेक्ट के तहत इसे लागू किया जाएगा। इसमें धार जिले के 13 विकासखंडों में करीब 500 शालाओं के चयन की प्रक्रिया शुरू हो गई है। प्रत्येक शाला में न्यूनतम 20 से 25 बच्चे रहेंगे।

इस तरह जिले में करीब 10 से 12 हजार 3 से 5 वर्ष की आयु के बच्चों को नर्सरी कक्षा में बैठाया जाएगा। विभागीय पत्र जारी होने के बाद धार में कक्षाए प्रारंभ करने को लेकर विभाग द्वारा तय मापदंडों के तहत शालाएं चिह्नित की गई हैं।

विद्यार्थियों की शैक्षणिक गुणवत्ता बढ़ेगी –

उल्लेखनीय है कि प्राइवेट स्कूलों में नर्सरी से केजी-2 कक्षाओ में बच्चों को अक्षर ज्ञान व अक्षर पहचान सहित कई तरह से दक्ष कर दिया जाता है। इन तीन कक्षाओं को पार करने के बाद विद्यार्थी की शिक्षा की नींव तैयार हो जाती है। इसके बाद कक्षा पहली से नियमित कोर्स पढ़ाई शुरू करने में उसे दिक्कतें नहीं होती हैं।

दूसरी तरफ सरकारी शालाओं में सीधे कक्षा पहली से प्रवेश दिया जाता है। इसमें भी शाला त्यागी और अप्रवेशियों सहित अन्य बच्चों को शालाओ में सीधे कक्षा पहली में प्रवेश दिलवाया जाता है।

अक्षर ज्ञान, अक्षर पहचान जैसी शैक्षणिक नींव तैयार ना होने के कारण बच्चे स्कूल में तो प्रवेश ले लेते हैं, लेकिन पढ़ाई में बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाते हैं। इसके कारण शैक्षणिक गुणवत्ता कमजोर रहती है। इसका असर स्कूलों के वार्षिक परीक्षा परिणामों पर दिखाई देता है।

जिले में 500 स्कूल का चयन –

विभाग ने पायलट प्रोजेक्ट में चिह्नित धार जिले के स्कूलों में नर्सरी से पढ़ाई प्रारंभ करवाने के लिए शिक्षकों की उपलब्धता, पर्याप्त स्थान एवं छोटे बच्चों की उपलब्धता को सुनिश्चित करने के लिए कहा था। जिले में 500 सरकारी स्कूलों का चयन कर लिया गया है। नर्सरी की कक्षाओं में आंगनवाड़ी में बैठने वाले बच्चों को शिक्षित किया जाएगा।

जिले में आंगनवाड़ियों के संचालन का समय 9 से एक बजे तक रहता है। यही समय शालाओं का संचालन का भी होता है। ऐसी स्थितियों में आंगनवाड़ी के बच्चों को नर्सरी कक्षा के माध्यम से शाला और शिक्षा से जोड़ने के लिए दोनों के समय में विभागीय समन्वय बैठाया जाएगा।

सीएम राईज स्कूलों को लेकर भी तैयारियां –

शासन शिक्षा व्यवस्था एवं शैक्षणिक गुणवत्ता को लेकर विशेष रूप से फोकस कर रहा है। सीएम राईज योजना के तहत जिले में 1500 से अधिक स्कूलों को पहले ही चिह्नित किया जा चुका है। इन स्कूलों में नर्सरी से कक्षा 12वीं तक पढ़ाई की व्यवस्था एक ही शाला परिसर में की जाना थी। विभाग द्वारा स्कूलों का चयन किया गया था।

इस कार्यक्रम में प्लान के तहत क्रियान्वयन प्रारंभ होने के पूर्व ही स्कूली शिक्षा विभाग ने 500 स्कूलों में नर्सरी कक्षाओं के संचालन के लिए चयनित करने के लिए कहा है जिसके कारण सीएम राईज स्कूल एवं मॉडल स्कूलों को 500 स्कूलों की चिह्नित सूची में लिया गया है।

आरटीई से 8वीं तक पहुंचते है –

नर्सरी से स्कूली शिक्षा प्रारंभ करने का सरकार का यह कदम बच्चों की शैक्षणिक नींव को मजबूत करेगा। उल्लेखनीय है कि ‘शिक्षा के अधिकार’ कानून के तहत विद्यार्थियों को कक्षाओं में नहीं रोकने के नियमों के चलते कक्षा आठवीं तक का सफर दक्ष ना होने के बावजूद आसानी से पूरा हो जाता है। इसका असर आगे की कक्षाओं में भी होता है। कक्षा आठवीं के बाद आगे की कक्षाओं में जाने के पूर्व ही जिले में बड़े पैमाने पर विद्यार्थी पढ़ाई छोड़ देते हैं।

विभाग की ओर से पत्र प्राप्त होने के बाद हमने नर्सरी कक्षाओं के संचालन के लिए 500 स्कूलों का चयन कर लिया है। आंगनवाड़ी और शालाओं का समय करीब-करीब एक ही है। विभाग इस मामले में जो भी निर्देश देगा उसके अनुरुप आगे की कार्रवाई की जाएगी। नर्सरी कक्षाओं में बच्चों को खेल-खेल में पढ़ाने और सिखाने की कवायद की जाएगी। निश्चित ही इससे कक्षा पहली में शिक्षकों को एक नींव तैयार विद्यार्थी मिलेगा।

– डीसी सेते, डीपीसी, सर्व शिक्षा विभाग, धार


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