कृषि विभाग के अमले ने किसानों को दी सोयाबीन फसल में कीट-व्याधि नियंत्रण की सलाह


भ्रमण दल द्वारा किसानों को सलाह दी गई है कि अपनी फसल की सतत निगरानी करते रहें एवं किसी भी कीट या रोग के प्रारंभिक लक्षण दिखते ही ये नियंत्रण के उपाय अपनायें।


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धार Published On :
soyabean insect control

धार। कृषि विभाग के अधिकारियों द्वारा लगातार दौरे कर किसानों को खेतों में सही तरह से बीमारियों से बचाव हेतु जानकारी दी जा रही है।

उप संचालक कृषि ज्ञान सिंह मोहनिया, कृषि विज्ञान केंद्र धार के वैज्ञानिक डॉ. जीएस गाठिया एवं क्षेत्र के अनुविभागीय अधिकारी कृषि एवं कृषि विभाग के मैदानी अमले द्वारा विकासखंड सरदारपुर के ग्राम पटलावदिया, इमलीपुरा, फुलगावड़ी व गोविंदपुरा ग्रामों का भ्रमण किया गया।

साथ ही विकासखंड बदनावर अंतर्गत वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी एवं मैदानी ग्रा.कृ.वि.अ. द्वारा क्षेत्र के ग्राम काछीबड़ोदा, ढोलाना, पालीबड़ोदा, कठोडीया, तिलगारा, जाबड़ा, रूपाखेड़ा का भ्रमण किया गया है। भ्रमण के दौरान सोयाबीन की बोवनी की तिथियों में भिन्नता देखी गयी है।

जहां सोयाबीन की शीघ्र पकने वाली किस्मों की बोवनी जून के द्वितिय या तृतीय सप्ताह में की गई। इस समय दाने भरने की स्थिति में हैं, जबकी बाद में बोई गई सोयाबीन की फसल तथा अन्य कुछ किस्मों में इस समय फूलने या उसके बाद की स्थिति में हैं।

सोयाबीन के प्रमुख क्षेत्रों में फसल पर प्रमुख कीट जैसे तना मक्खी, पत्ती खाने वाली इल्लियां, चक्र भृंग एवं पीला मोज़ेक वायरस रोग का आंशिक प्रकोप देखा गया है।

भ्रमण दल द्वारा किसानों को सलाह दी गई है कि अपनी फसल की सतत निगरानी करते रहें एवं किसी भी कीट या रोग के प्रारंभिक लक्षण दिखते ही ये नियंत्रण के उपाय अपनायें।

इनमें पत्ती खाने वाली इल्लियां (सेमीलूपर, तम्बाकू की इल्ली एवं चने की इल्ली) हो इनके नियंत्रण के लिए इनमें से किसी भी एक रसायन का छिड़काव करें, नोवालयुरोन + इन्डोक्साकार्ब 04.50 % एस. सी. (825-875 मिली/हे) या क्लोरएन्ट्रानिलिप्रोल 18.5 एस.सी,( 150 मि.ली./हे) या फ्लूबेंल्डयामाइड 20 ड्लयू.जी (250-300 ग्राम/हे) या लैम्बबडा सायहेलोथ्रीन 04.90 सी. एस. (300 मिली/हे) का छिड़काव करें।

इसी प्रकार तना मक्खी, चक्र भृंग तथा पत्तीखाने वाली इल्लियों के एकसाथ नियंत्रण हेतु पूर्व मिश्रित कीटनाशक क्लोरएन्ट्रानिलीप्रोल 09.30 % + लैम्बडासायहेलोथ्रिन 04.60 % ZC (200 मिली/हेक्ट या बीटासायफ्लुथ्रिन + इमिडाकोलोप्रिड (350 मिली/हे) या पूर्व मिश्रित थायमीथोक्सम़+लैम्बडासायहेलोटीथ्रिन (125 मिली/हे) का छिड़काव करें।

चक्रभृंग के नियंत्रण हेतु प्रारंभिक अवस्था में ही टेट्रानिलिप्रोल 18.18 एस.सी. (250-300 मिली/हे ) या थायक्लोप्रीड 21.7 एस.सी .(750मिली/हे) या प्रोफेनोफॉस 50 ई.सी.) 1 ली/.हे) या इमामेक्टीनबेन्जोएट (425मिली/हे) का छिड़काव करें।

यह भी सलाह दी गई है कि इसके फैलाव की रोकथाम हेतु प्रारंभिक अवस्था में ही पौधे के ग्रषित भाग को तोड़कर नष्ट करें।

इसी प्रकार सोयाबीन की कुछ किस्मों में पीला मोज़ेक वायरस रोग या अन्य कुछ रोग का प्रकोप देखा जा रहा हैं।

पीला मोज़ेक रोग के नियंत्रण हेतु सलाह दी गई है कि तत्काल रोगग्रस्त पौधों को खेत से उखाड़कर निष्कासित करें तथा इन रोगों को फ़ैलाने वाले वाहक सफ़ेद मक्खी की रोकथाम हेतु पूर्व मिश्रित कीटनाशक थायोमिथोक्सम + लैम्ब्लडासायहेलोथ्रिन (125 मिली/हे) या बीटासायफ्लुथ्रिन +इमिडाक्लोप्रीड (350मिली/हे) का छिड़काव करें।

इनके छिडकाव से तना मक्खी का भी नियंत्रण किया जा सकता है। साथ ही सफ़ेद मक्खी के नियंत्रण हेतु कृषकगण अपने खेत में विभिन्न स्थानों पर पीला स्टिकी ट्रैप लगाए। इसके अलावा कहीं-कहीं देखा गया कि किसान एक ही प्रकार के कीटों पर नियंत्रण के लिए दो-तीन प्रकार की दवाई का मिश्रण बनाकर फसल पर छिडकाव कर रहे हैं।

किसानों से अपील की गई है कि कीट या रोग नियंत्रण के लिए केवल उन्ही रसायनों का प्रयोग करें जो सोयाबीन की फसल में अनुशंसित हों। कीटनाशक या फफूंदनाशक के छिड़काव के लिए पानी की अनुशंसित मात्रा का उपयोग करें (नेप्सेक स्प्रयेर से 450 लीटर/हे या पॉवर स्प्रेयर से 120 लीटर/हे)।

उन्होंने बताया कि किसी भी प्रकार का कृषि-आदान क्रय करते समय दुकानदार से हमेशा पक्का बिल लें जिस पर बैच नंबर एवं एक्सपायरी दिनांक स्पष्ट लिखा हो।

अधिक जानकारी के लिए कृषि विज्ञान केंद्र धार, स्थानीय ग्रामीण कृषि विकास अधिकारी एवं वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी से संपर्क करें।


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