सोयाबीन उत्पादन में गिरावट से किसान परेशान: कम उत्पादन और दागी फसल ने बढ़ाई चिंता


इस साल सोयाबीन की फसल से किसानों को भारी नुकसान हुआ है। कम उत्पादन और दागी दाने के कारण मंडी में फसल के उचित दाम नहीं मिल रहे हैं। खराब मौसम और अतिवृष्टि ने उत्पादन को 40-50% तक घटा दिया है, जिससे किसान आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं।


आशीष यादव
धार Published On :

सोयाबीन की कटाई अंतिम चरण में पहुंच चुकी है, लेकिन इस साल किसानों के चेहरों पर खुशी की जगह मायूसी छाई हुई है। अच्छे उत्पादन की उम्मीद के बावजूद सोयाबीन की फसल इस बार कम हुई है, जिससे किसान चिंतित हैं। मंडी में भी सोयाबीन के दाम किसानों की उम्मीदों पर खरे नहीं उतर रहे हैं। सोयाबीन की गुणवत्ता में कमी, दाने छोटे और दागी हो जाने के कारण फसल का उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा है।

 

मौसम ने दिया धोखा

किसानों का कहना है कि जिस समय सोयाबीन को पानी की सबसे ज्यादा जरूरत थी, उस समय बारिश नहीं हुई। इसके बाद जब बारिश हुई, तब फसल को फायदा पहुंचाने के बजाय नुकसान हो गया। इससे फसल का लगभग 40 से 50 प्रतिशत हिस्सा खराब हो गया है। दाने छोटे और काले पड़ गए, जिससे मंडी में सही दाम नहीं मिल रहे हैं।

धार जिले में इस बार 2 लाख 90 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सोयाबीन की बोवनी की गई थी। शुरुआती बारिश के बाद लंबी सूखे की अवधि ने फसल पर बुरा असर डाला। साथ ही पीला मोजेक और कीड़ों की समस्याओं ने उत्पादन को प्रभावित किया। जब सोयाबीन पकने के लिए तैयार हुई, तब सितंबर और अक्टूबर में हुई रुक-रुक कर बारिश ने भी नुकसान पहुंचाया।

 

उत्पादन में भारी गिरावट

किसान दिलीप डोडिया बताते हैं, “इस साल हमें उम्मीद थी कि प्रति बीघा कम से कम पांच क्विंटल सोयाबीन उत्पादन होगा, लेकिन हकीकत में सिर्फ ढाई से तीन क्विंटल ही निकला। इससे उत्पादन लगभग 40 से 50 प्रतिशत कम हो गया है।” इसी तरह, किसान पप्पू लववंशी का कहना है कि बारिश के कारण खेतों में पानी भर गया, जिससे प्रति बीघा तीन क्विंटल से अधिक उत्पादन नहीं हो पाया।

 

बढ़ती लागत और कम मुनाफा

इस साल सोयाबीन की बोवनी से लेकर कटाई और थ्रेशिंग तक की लागत काफी ज्यादा रही। ट्रैक्टर का किराया, बीज, दवाइयों और खाद का खर्च बढ़ गया। साथ ही मजदूरी और थ्रेशिंग का खर्चा भी किसानों पर भारी पड़ रहा है। पप्पू लववंशी कहते हैं, “इस बार सोयाबीन की फसल ने किसानों की कमर तोड़ दी है। न तो फसल अच्छी हुई और न ही मंडी में उचित दाम मिल रहे हैं।”

 

प्राकृतिक आपदाओं का प्रभाव

किसानों का कहना है कि इस बार सोयाबीन का दाना भी छोटा और दागी हो गया है, जिससे मंडी में फसल के अच्छे दाम नहीं मिल रहे हैं। किसान नारायण डोडिया ने बताया, “पहले ही किसान कर्ज में डूबे हुए थे और अब इस साल की खराब फसल ने हालात और बिगाड़ दिए हैं। बढ़ती महंगाई के बीच हमें गुजारा करना मुश्किल हो रहा है।”

 

भविष्य की चिंता

किसानों की सबसे बड़ी चिंता यह है कि वे इस साल की लागत भी पूरी नहीं कर पाएंगे। महंगाई और लगातार हो रहे नुकसान के बीच उन्हें आने वाले समय में और मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। किसान आशाराम यादव ने कहा, “जो उम्मीद थी, वो पूरी नहीं हुई। अब सोयाबीन के कम दाम और खराब फसल ने हालात और खराब कर दिए हैं।”

 

कुल मिलाकर, इस साल सोयाबीन की फसल से किसानों को भारी नुकसान हुआ है, और वे आने वाले दिनों में अपनी आर्थिक स्थिति को लेकर बेहद चिंतित हैं।

 


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