धार। देश की आजादी के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले अमर शहीद भगत सिंह, सुखदेव व राजगुरु के बलिदान दिवस पर शहर में विगत 20 वर्षों से शहीद क्रांति मशाल यात्रा निकली जा रही है और इस साल भी 23 मार्च को धार जिले में शहीद क्रांति मशाल यात्रा निकाली जाएगी।
इसको लेकर सोमवार को निजी होटल में यात्रा संयोजक एवं भाजपा जिला अध्यक्ष राजीव यादव, समाजसेवी श्रीकांत द्विवेदी, दीपक पवार, नगर मंडल अध्यक्ष विपिन राठौर, नितेश अग्रवाल, भाजपा जिला मीडिया प्रभारी संजय शर्मा, सोशल मीडिया संयोजक सोनू रघुवंशी, रवि मेहता द्वारा प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया।
राजीव यादव ने पत्रकारों से चर्चा करते हुए बताया कि भगत सिंह और उनके साथी राजगुरु और सुखदेव को फांसी दिया जाना हमारे देश इतिहास की बड़ी एवं महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक है। हम यह मशाल यात्रा विगत बीस वर्ष से धार शहर में निकाल रहे हैं।
क्रांति मशाल यात्रा के माध्यम से आज के युवाओं में देश और राष्ट्र प्रेम का भाव हमेशा दिल में जगा रहे इसी उद्देश्य से यह यात्रा निकाल रहे हैं। इस वर्ष नगर के सर्व समाज सहित प्रबुद्धजन व समाजसेवी संगठन का भी सहयोग मिल रहा है।
इस वर्ष यात्रा का रूट मोती बाग चौक (भोजशाला) से राजवाड़ा, धानमंडी, पट्ठा चौपाटी नालछा दरवाजा, पौ चौपाटी होते हुए मोती बाग पर समापन होगा।
उन्होंने बताया कि यात्रा में देशभक्ति से समाहित एक आकर्षक झांकी सजाई गई है जिसमें वीर सपूत भगत सिंह, राजगुरु व सुखदेव के वेशभूषा युवा का आकर्षण का केंद्र रहेगा। साथ ही यात्रा में सैकड़ो युवाओं के हाथों में मशाल रहेगी।
उन्होंने बताया कि भगत सिंह ने राजगुरु के साथ मिलकर 17 दिसम्बर 1928 को लाहौर में सहायक पुलिस अधीक्षक रहे अंग्रेज़ अधिकारी जेपी सैंडर्स को मारा था। इस कार्रवाई में क्रान्तिकारी चन्द्रशेखर आज़ाद ने उनकी पूरी सहायता की थी।
क्रान्तिकारी साथी बटुकेश्वर दत्त के साथ मिलकर भगत सिंह ने वर्तमान नई दिल्ली स्थित ब्रिटिश भारत की तत्कालीन सेंट्रल असेम्बली के सभागार संसद भवन में 8 अप्रैल 1929 को अंग्रेज़ सरकार को जगाने के लिए बम और पर्चे फेंके थे। बम फेंकने के बाद वहीं पर दोनों ने अपनी गिरफ्तारी भी दी।
उस समय भगत सिंह करीब बारह वर्ष के थे जब जलियाँवाला बाग हत्याकांड हुआ था। इसकी सूचना मिलते ही भगत सिंह अपने स्कूल से 12 मील पैदल चलकर जलियाँवाला बाग पहुंच गए थे।
भगत सिंह ने जुलूसों में भाग लेना प्रारम्भ किया तथा कई क्रान्तिकारी दलों के सदस्य बने। उनके दल के प्रमुख क्रांतिकारियों में चन्द्रशेखर आजाद, सुखदेव, राजगुरु इत्यादि थे।
काकोरी कांड में चार क्रांतिकारियों को फांसी व 16 अन्य को कारावास की सजाओं से भगत सिंह इतने अधिक उद्विग्न हुए कि उन्होंने 1928 में अपनी पार्टी नौजवान भारत सभा का हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन में विलय कर दिया और उसे एक नया नाम दिया।